शनिवार, 5 जून 2021

सांसे हो रही कम, आओ पेड़ लगाएं हम (विश्व पर्यावरण दिवस - 5 जून 2021) Oxygen is running low, let's plant trees (World Environment Day - June 5, 2021)

 

आज कोरोना काल में हम सबने ऑक्सीजन के महत्व को जाना, लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर प्राप्त करने के लिए बड़ी जद्दोजहद करनी पडी, कितनो ने तो अपने प्राण त्याग दिये, यह नजारा आम था हमारे समाज में। जो पेड़ हमें मुफ्त में ऑक्सीजन देते है छाया, फुल, फल देते है, इस पेड़-पौधे, पर्यावरण के प्रति अगर हम अब भी नहीं जागे तो समाज के सबसे बड़े दुश्मन हम खुद होंगे। पेड़ों का महत्व समझों। विश्व भर में 5 जून पर्यावरण के प्रति जनजागृति के लिए “विश्व पर्यावरण दिवस” मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम ‘इकोसिस्टम रीस्टोरेशन' है. जंगलों को नया जीवन देकर, पेड़-पौधे लगाकर, बारिश के पानी को संरक्षित करके और जल संसाधनों के निर्माण करने से हम पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से संग्रहित कर सकते हैं. वन नीति, 1988 के अनुसार भूमि के कुल क्षेत्रफल का 33 प्रतिशत भाग वन-आच्छादित होना चाहिए। तभी प्राकृतिक संतुलन रह सकेगा, किंतु सन 2001 के रिमोट सेंसिंग द्वारा एकत्रित किए गए आकड़ों के अनुसार देश का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है। इनमें वन भाग 6,75,538 वर्ग कि.मी. है, जिससे वन आवरण मात्र 20 प्रतिशत ही होता है और ये आंकड़े भी पुराने हैं।


    वनों का क्षरण अनेक प्रकार से होता है। इनमें वृक्षों को काटना, जलाना, अवैध उत्खनन, प्राकृतिक आपदाएं प्रमुख हैं। गांवों, नगरों, महानगरों का क्षेत्रफल बढ़ रहा है और जंगल संकुचित हो रहे हैं। दैनिक आवश्यकताओं के लिए लकड़ी के प्रयोग की मांग बढ़ी है। पर्यावरण का चक्र बिगड रहा है, समुद्र मे जलस्तर बढ रहा है, प्राकृतिक आपदाएं लगातार बढ़ रही है, उपजाऊ भूमि का तेजी से क्षरण हो रहा हैं, पेड़ों की कमी के कारण लगातार रेगिस्तान का विस्तार हो रहा है। बदलते जलवायु के कारण मनुष्य का स्वभाव भी चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो गया है।

भारतीय वन स्थिति सर्वेक्षण रिपोर्ट 2017 अनुसार वन क्षेत्र के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष 10 देशों में है। भारत के भू- भाग का 24.4 प्रतिशत हिस्सा वनों और पेड़ों से घिरा है, हालांकि यह विश्व  के कुल भू-भाग का केवल 2.4 प्रतिशत हिस्सा ही है ऐसा तब है जबकि बाकी 9 देशों में जनसंख्या घनत्व 150 व्यक्ति/वर्ग किलोमीटर है और भारत में यह 382 व्यक्ति/वर्ग किलोमीटर है और इन पर 17 प्रतिशत मनुष्यों  की आबादी व मवेशियों की 18 प्रतिशत संख्या की जरूरतों को पूरा करने का दवाब है।

नेचर जर्नल की रिपोर्ट अनुसार तो आपको अन्दाजा लग जाएगा कि हम जिस टिकाऊ विकास की बात करते हैं वो सब निरर्थक और निष्फल है। रिपोर्ट का दावा है कि हम हर साल लगभग 15.3 अरब पेड़ खो रहे हैं। प्रतिवर्ष एक व्यक्ति पर सन्निकट दो पौधे का नुकसान हो रहा है। इन सबके मुकाबले विश्वभर में मात्र 5 अरब पेड़ लगाए जाते हैं। सीधे तौर पर हमें 10 अरब पेड़ों का नुकसान हर साल उठाना पड़ता है। रिपोर्ट में भारत के हिस्से के आँकड़ों पर नजर डालें तो और भी हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आते हैं। विश्व में प्रति व्यक्ति पेड़ों की संख्या 422 है जबकि भारत के एक व्यक्ति के हिस्से मात्र 8 पेड़ नसीब होते हैं। 35 अरब पेड़ों वाला भारत कुल पौधों की संख्या के मामले में बहुत नीचे है। सबसे ज्यादा 641 अरब पेड़ों के साथ रशिया है। कनाडा में 318 अरब तो ब्राजील में 301 अरब पेड़ हैं। वहीं अमेरिका 228 अरब पेड़ों के साथ चौथे पायदान पर है, भारत में स्थिति भयावह है। मेडिकल जर्नल द लांसेट में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, 2015 में प्रदूषण से होने वाली दुनिया भर की 90 लाख मौतों में भारत में अकेले 28 प्रतिशत लोगों को जान गँवानी पड़ी। प्रदूषण से हो रही मौतों के मामले में 188 देशों की सूची में भारत पांचवें पायदान पर आता है।

        अगर पेड़ नहीं होंते तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होता, पेड़ की हमारी प्रकृति है जो की पूरी पृथ्वी को हरा भरा और खुशहाल बना कर रखते है. पेड़ जीवन भर हमें कुछ ना कुछ देते ही रहते है, फिर भी हम अपने निजी स्वार्थ के लिए पेड़ों को काट देते है. आज यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि जो पेड़ हमें जीवन दे रहे है हम उन्हीं को नष्ट करने पर तुले हुए है. अगर हमें पृथ्वी को बचाए रखना है तो अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे. पेड शुद्ध ऑक्सीजन देकर प्रदूषण नियंत्रण का कार्य करते है  पेड बारिश के दिनों में भूमि के कटाव को रोकते है, बाढ़ आने से रोकते है। पेड़ों के पत्तों से भूमि उपजाऊ हो जाती है, पेड़ अन्य जीव जंतु को रहने के लिए घर के समान स्थान देते है और अन्य बहुमूल्य खनिज संपदा भी इन्हीं की देन है। पेडो से जंगल समृद्ध होते है जीससे वन्यप्राणी जीवन समृद्ध होता है। पेडो से जल के स्त्रोत समृद्ध होते है। पेड़ों के कारण पृथ्वी की ओजोन परत सुरक्षित रहती है इसके कारण सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों से हमारी सुरक्षा होती है, वृक्षों के कारण पृथ्वी की सतह ठंडी रहती है पेड़ हमारी पहली साँस से लेकर अंतिम संस्कार तक मदद करते हैं।

        लेकिन धीरे-धीरे जब से औद्योगिकीकरण और शहरीकरण बढ़ा है वैसे-वैसे मानव द्वारा पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की गई है, अन्न की बर्बादी, प्राकृतिक संसाधनों का बड़े पैमाने पर उत्खनन, प्लास्टिक, ईंधन व कागज का अतीउपयोग, बड़े पैमाने पर निर्मित होने वाले ई-वेस्ट और बायो मेडिकल कचरे के व्यवस्थापन की कमी, बिजली का दूरूपयोग के कारण प्राकृतिक संतुलन गड़बड़ा गया है. शहरों में पेड़ नहीं होने के कारण वहां पर वर्षा कम होती है और वायु प्रदूषण भी अधिक मात्रा में रहता है जीससे तापमान मे लगातार बढ़ोतरी हो रही है, अगर पेड़ों की कटाई निरंतर इसी गति से चलती रही तो वह दिन दूर नहीं है जब पृथ्वी का विनाश हो जाएगा। तो आईये हम सभी लोग पर्यावरण के प्रती अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए वृक्षारोपण के कार्य मे पुरा सहयोग करे, पेड़ लगाए- जीवन बचाए।

 

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

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