बढती हुई जनसंख्या पुरे विश्व के लिए गंभीर समस्या है
लेकिन भारत देश के लिए तो महामारी का रूप ले रही है आज विश्व की जनसंख्या
7,716,791,619 है और भारत की जनसंख्या 1,369,100,571 है अर्थात विश्व की 17.74 प्रतिशत
जनसंख्या भारत देश की है जबकी क्षेत्रफल के हिसाब से विश्व की मात्र 2.42 प्रतिशत जमीन
ही हमारे देश के हिस्से मे है। आज हम चीन के बाद विश्व की दूसरी सबसे बडी जनसंख्या वाले
देश के रूप मे है लेकिन अगले छह साल बाद विश्व की सबसे बडी जनसंख्या हमारे भारत देश
की होगी क्योकी हमारे देश की जनसंख्या दर वृद्धि 1.02 प्रतिशत है जबकी चीन की जनसंख्या
वृद्धी दर 0.43 प्रतिशत है। हमारे देश मे प्रत्येक मिनट मे 28 लोग, दिन मे 40,320 और
एक महीने मे 1,209,600 इतनी जनसंख्या बढती है।
भारत देश की इतनी बडी जनसंख्या की डेंसिटी भी 460/प्रतीवर्ग किलोमीटर है जबकी बडे शहरों की स्थिती तो और भी ज्यादा बदतर है देश के प्रसिद्ध शहर मुंबई मे प्रतिवर्ग किलोमीटर/32,400 जनसंख्या डेंसिटी है। अन्य देशो की तुलना मे हमारे देश की जनसंख्या डेंसिटी काफी अधिक मात्रा मे है। चीन देश की जनसंख्या डेंसिटी 151/ प्रतिवर्ग किलोमीटर है, युनाईटेड स्टेट्स की डेंसिटी 36 है, इंडोनेशिया की जनसंख्या डेंसिटी 149 है, ब्राजील की जनसंख्या डेंसिटी 25 है, पाकिस्तान की जनसंख्या डेंसिटी 265 है, नाईजेरीया की जनसंख्या डेंसिटी 221 है, रशिया की जनसंख्या डेंसिटी 9 है एंवम मेक्सिको की जनसंख्या डेंसिटी 68/प्रतिवर्ग किलोमीटर है। आज देश की 34 प्रतिशत जनसंख्या शहरों मे रहती है साल 2050 मे 50 प्रतिशत जनसंख्या शहरी आबादी की होगी।
बढती जनसंख्या की जरूरते भी रोज तेजी से बढ रही है एंवम जब आसानी से सुख-सुवीधाए प्राप्त नही होती है तब मजबूरी मे समझौता करना पडता है। आज देश मे बेरोज़गारी, अशिक्षा, गरीबी, अपराधवृद्धी, भुखमरी, महगाॅंई, प्रदूषण, भ्रष्टाचार, मिलावटखोरी जैसी बहुत सी गंभीर समस्या है। इतनी बडी जनसंख्या की जरूरत को पूर्ण करना एक चुनौती है। बढती जनसंख्या दूसरी गंभीर समस्याओं को जन्म देती है अर्थात कई समस्याओं की मुल जड ही जनसंख्या है। एक सशक्त नागरिक बनने मे रोडा बनकर आयी हुई आफत है ये। आज खेती की उपजाऊ भूमी कांक्रीट के जंगल का रूप ले चुकी है। मानवो की आवश्यकता की पुर्ती के लिए पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ कीया जा रहा है जिसके कारण नैसर्गीक आपदाओ मे लगातार बढ़ौतरी हुई है।
बढती जनसंख्या देश के लिए घातक :-
हंगर ऐंड मालन्यूट्रिशन रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बच्चों के बीच कुपोषण के अनिष्ट अनुपात मिले हैं। एक दशक पहले जिन जिलों की स्थिति कुछ बेहतर थी वहां आज कुपोषित बच्चों की तादाद बढ़ी है। रिपोर्ट खुलासा करती है कि 40 फीसदी बच्चों कम वजन वाले हैं और 60 फीसदी का शारीरिक विकास थम चुका है। वहीं भारत के अधिकतर भागों में स्कूली शिक्षा की हालत दयनीय है। जहां तक उच्च शिक्षा की बात है तो उसे भी बहुत बेहतर नहीं कहा जा सकता। विश्वविद्यालयों को संसाधनों की जबर्दस्त कमी से जूझना पड़ता है। इससे उनकी गुणवत्ता प्रभावित हुई है। सयुंक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुपोषित लोगों की संख्या 19.07 करोड़ है। यह आंकड़ा दुनिया में सर्वाधिक है। देश में 15 से 49 वर्ष की 51.4 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है। 2016 के वैश्विक भूख सूचकांक में 118 देशों में भारत को 97वां स्थान मिला था। आज दुनिया की 7.1 अरब आबादी में 80 करोड़ यानी बारह फीसदी लोग भुखमरी के शिकार है। बीस करोड़ भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या के साथ भारत इसमें पहले नंबर पर है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018 के अनुसार भारत 119 देशों की सूची में 103वें स्थान पर पहुंच गया है। आईएमएफ़ की रिपोर्ट के अनुसार प्रति व्यक्ति आय दर के मामले में 200 देशों की सूची में भारत 126वें पायदान पर है। ब्रिटेन स्थित चैरिटी ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने आर्थिक असमानता को कम करने के प्रतिबद्धता सूचकांक में 157 देशों वाली सूची में भारत को 147वां स्थान दिया है।
डाॅ. प्रितम भि. गेडाम
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