बुधवार, 26 जून 2024

सावधान! बच्चों की पहुंच तक आ चुका नशे का जहर (नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस - 26 जून 2024) Beware! The poison of drugs has reached the reach of children (International Day against Drug Abuse and Illicit Trafficking - 26 June 2024)

आज के आधुनिक युग में हम कहने को उन्नत हो रहे है, लेकिन संस्कार, जिम्मेदारी, आदरभाव, अपनापन, प्रेम, करुणा, दया भाव, नैतिकता जैसे शब्दों का कोई मोल नज़र नहीं आता। समाज में लगातार अराजकता फ़ैल रही है जिससे, सामाजिक समस्याएँ और अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है। इसके प्रमुख कारणों में से एक नशाख़ोरी है। एक समय था जब हम हशीश, गांजा, कोकीन जैसे खतरनाक नशीले जहर के बारे में केवल सुनते थे और फिल्मों में देखते थे, लेकिन अब ये नशा हमारे अपने लोगों तक भी पहुंच गया है और स्कूल-कॉलेज जाने वाले किशोर इस नशे के आदी होकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। हर दिन मादक पदार्थो की तस्करी की खबरें पढ़ने-सुनने को मिलती है, युवावर्ग तेजी से नशे के प्रति आकर्षित हो रहा है। हुक्का बार, पब, पार्टी का चलन खूब बढ़ रहा है। इस समस्या में सबसे बड़ी ग़लती अभिभावको की नजर आती है, जो आज की युवापीढ़ी को योग्य संस्कार और बेहतर परवरिश देने में नाकाम हो रही है। अक्सर सड़क किनारे, फुटपाथ पर, निर्जन स्थलों पर, खंडहरनुमा मकानों या गलिच्छ बस्तियों में बच्चें से लेकर बड़े तक नशा करते हुए दिखते है। छोटे-छोटे बच्चे भी घातक रसायन, पेट्रोल, सैनिटाइजर, व्हाइटनर, खांसी की दवा, दर्द निवारक, गोंद, पेंट, गैसोलीन सुंघकर नशा करते है, बहुत बार, अभिभावक बच्चों की ऐसी हरकतों को देखकर भी नजरअंदाज कर देते है, जो कि घातक है। देश में 10-17 वर्ष की आयु के लगभग 15.8 मिलियन बच्चे मादक पदार्थों के आदी हैं। वैश्विक मादक पदार्थों की तस्करी का कारोबार 650 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो कुल अवैध अर्थव्यवस्था का 30 प्रतिशत है। हर साल शराब ही दुनिया भर में 2.3 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार है। 


नशे में कर रहे अपराध Drug addicted youth committing crime :- बचपन से महंगे शौक, जिद, गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड का चलन, आधुनिकता की जगमगाहट, झूठा दिखावा और फिल्मों, सोशल मीडिया का बच्चों के दिमाग पर बुरे असर ने नशे के प्रति किशोरों के आकर्षण को तीव्र कर जीवन में जहर घोल दिया है। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर में एक करोड़पति बिल्डर के नाबालिग नशेड़ी लड़के ने अपनी पोर्श कार से दो अभियांत्रिकी युवाओं को कुचल दिया था, फिर भी बड़े रसूखवाले इस बिल्डर पिता ने अपने अपराधी लड़के को बचाने के लिए भरसक प्रयास किये, चार महीने पहले महाराष्ट्र के नागपुर में बड़े उद्योगपति संभ्रांत परिवार की बहू ने नशे की हालत में अपनी कार से आधी रात में दो युवा इंजीनियरों को मौत के घाट उतार दिया, अब फिर नागपुर में रात में इंजीनियरिंग के छात्र ने शराब के नशे में गाड़ी चलाते हुए फुटपाथ पर सो रहे 9 लोगों को कुचल दिया। आजकल के अभिभावक ही अपने जिम्मेदारियों को समझ नही रहे है, रोज नशे से संबंधित अपराधों की ख़बरें पढ़ने-सुनने को मिलती है, कोई युवा नशे के लिए अपने अभिभावकों को मौत के घाट उतार देते है, तो कोई बच्चे नशे की हालत में क्राइम कर रहे है। अभिभावकों का लगातार व्यस्त रहना, बच्चों की दिनचर्या पर ध्यान न देना, बच्चों पर नियंत्रण न होना, बच्चों की गलतियों को हमेशा नजरअंदाज करना, केवल महंगे संसाधन या भौतिक सुविधा देना, अति लाड प्यार कर बच्चों की हर जिद पूरी करना ही अभिभावकों ने अपनी जिम्मेदारी समझी है, अपितु बच्चों को समय देना, उनके कार्यकलापों में सहभागी होना, बच्चों का दोस्त बनकर जीना अहम जिम्मेदारी है। 


तेजी से बढ़ रहा है नशे का व्यापार Drug trade is growing rapidly :- हर साल 26 जून को नशे के प्रति जागरुकता और मादक पदार्थो की तस्करी के रोकथाम के लिए “नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस” विश्वभर में मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “सबूत स्पष्ट हैं: रोकथाम में निवेश करें” यह है। आज विश्व में सबसे बड़ा युवाओं का देश भारत है, युवाओं को संभालकर योग्य दिशा में अग्रसर करना ही देश का विकास है। मीडिया के माध्यम से हमेशा यह पता चलता है कि नशीली दवाओं की तस्करी के लिए किशोरों का उपयोग किया जा रहा है, ऐसे गलत काम करने के लिए पैसे का लालच दिया जा रहा है, ताकि स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चे भी नशीली दवाओं के जहर के संपर्क में आसानी से आ जाएं। जिन होनहार युवाओं के भरोसे देश का उज्वल भविष्य टिका है वो नशे में अपना वर्तमान और सुनहरा भविष्य अंधकारमय बना रहे है और आनेवाली पीढ़ी के रूप में देश को खोखला, बीमार, कमजोर, अविकसित, समस्याग्रस्त, आपराधिक प्रवृत्ति का युवा सौंप रहे हैं।

नशे के गिरफ्त में युवा Youth in the grip of drug addiction :- ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के अनुसार, 2017 में दुनिया भर में अवैध दवाओं से लगभग 7.5 लाख लोगों की मौत होने का अनुमान है। एम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इन्हेलर के नशे में करीब 18 लाख वयस्क और 4.6 लाख बच्चे बुरी लत की श्रेणी में आते हैं। पंजाब में कुल कैदियों में से कम से कम 30 प्रतिशत अवैध मादक पदार्थ रखने के आरोप में जेल में सजा काट रहे हैं। सरकारी रिपोर्ट बताती है कि, 2018 में भारत में 2.3 करोड़ ओपिओइड नशेडी थे, जो 14 वर्षों में पांच गुना वृद्धि है। एक एनजीओ सर्वेक्षण बताता है कि भारत में उपचार की आवश्यकता वाले 63.6 प्रतिशत मरीज़ 15 वर्ष से कम उम्र के हैं। ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय रिपोर्ट अनुसार, भारत में नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों के सेवन में शामिल लगभग 13 प्रतिशत लोग 20 वर्ष से कम उम्र के हैं। भारत देश में हर साल 20 मिलियन बच्चे और हर दिन लगभग 55,000 बच्चे तंबाकू के आदी होते है और अमेरिका में हर दिन धूम्रपान करने वाले 3000 नए बच्चों के मुकाबले यह संख्या भयावह है। 


नशे का बाजार अधिक बढ़ने की संभावना The drug market will grow further :- घरेलू अल्कोहल पेय उद्योग में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है। इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड 2023 की वार्षिक रिपोर्ट अनुसार, दुनिया के 39% अफीम उपयोगकर्ता दक्षिण एशिया में रहते हैं। वैश्विक स्तर पर हेरोइन बाजार 430-450 टन के वार्षिक प्रवाह को दर्शाते हैं। भारतीय सेना द्वारा 2018 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, जम्मू कश्मीर में लगभग 40% युवा किसी न किसी रूप में नशे की लत से पीड़ित हैं, जो 2008 में 5% से कम था। भारत में पिछले एक दशक में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और शराब की लत के कारण आत्महत्या करने वालों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। विश्व ड्रग रिपोर्ट 2023 अनुसार, वैश्विक स्तर पर, 2021 में 296 मिलियन से अधिक लोगों ने नशीली दवाओं का उपयोग किया, जो पिछले दशक की तुलना में 23 प्रतिशत की वृद्धि है। इस बीच, नशीली दवाओं के उपयोग संबंधी विकारों से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़कर 39.5 मिलियन हो गई है, जो 10 वर्षों में 45 प्रतिशत की वृद्धि है। अफ्रीका में, उपचाराधीन 70 प्रतिशत लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं।


वक्त रहते बच्चों को संभाले, वर्ना ज़िंदगी तबाह Take care of the children, else life will be ruined :- विश्व स्तर के साथ भारत देश में नशे का कारोबार बहुत तेजी से बढ़ रहा है, नशा इंसान को जिन्दा लाश बना कर रख देता है और बुराइयों, अपराध, नकारात्मक विचारों को बढ़ावा देता है। नशे के कारण आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक और मुख्य रूप से शारीरिक, मानसिक क्षति होती है। आज के अभिभावकों को अपने बच्चों के प्रति अधिक सजग रहने की आवश्यकता है, अपने बच्चे अपनी जिम्मेदारी है, अभिभावकों का व्यस्तता का बहाना बच्चों के भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। बच्चों पर आंख मूंदकर भरोसा न करें, बच्चों को समय देना सीखें, बच्चों के सामने बड़ो का व्यवहार आदर्शात्मक होना चाहिए, बच्चे अपनी दिनचर्या कैसे बिताते है, किससे मिलते हैं, उनकी मित्रमंडली कैसी है, बच्चे बाहर खर्चा कहां करते है, यह सब अभिभावकों को पता होना चाहिए। आधुनिकता विचारों में होनी चाहिए, दिखावे में नहीं, इसलिए बच्चों को दुनियादारी, व्यवहार ज्ञान, अच्छे-बुरे की समझ अभिभावकों द्वारा मिलनी ही चाहिए। आज के समय में संस्कार, सत्य, नीतिमत्ता तेजी से विलुप्त हो रहे है, जो बच्चों के साथ अभिभावकों के लिए भी ये बेहद आवश्यक है। नशा छोड़े, जागरूक रहें, बच्चों को देश का उज्वल भविष्य बनने के लिए उन्हें बेहतर और पोषक वातावरण दें। अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर संगठन, सरकार, स्वयंसेवी संस्थान नशामुक्ति और मादक पदार्थों के तस्करी के विरुद्ध कार्य करते है। भारत सरकार के "नशा मुक्त भारत अभियान" के तहत राष्ट्रीय टोल फ्री नशा मुक्ति हेल्पलाइन 14446 पर संपर्क कर सकते है।  


डॉ. प्रितम भि. गेडाम

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