नशा जीवन को बर्बाद करने का ऐसा शापित मार्ग है, जो मनुष्य के शरीर के साथ-साथ पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक सभी प्रकार के वातावरण को छिन्न-भिन्न कर देता है। आज छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग भी नशे के आदी बन गए है, भारत में तम्बाकू, शराब, गांजा, भांग, अफीम और हेरोइन प्रमुख मादक पदार्थ साथ ही तेज गंध वाले पदार्थो का सूंघकर किया जानेवाला नशा भी लगातार बढ़ रहा हैं। ब्यूप्रेनोर्फिन, प्रोपोक्सीफीन और हेरोइन सबसे अधिक इंजेक्शन वाली मादक दवाएं हैं। विश्व स्तर पर, 2017 में 11.8 मिलियन मौतों के लिए मादक द्रव्यों का सेवन जिम्मेदार था, यह वैश्विक स्तर पर होने वाली पांच मौतों में से एक है। यह कुल मिलाकर कैंसर से होने वाली मौतों से अधिक है। मादक द्रव्यों के ओवरडोज से हर साल 350,000 से अधिक लोग मारे जाते हैं, जहरीली शराब के कारण भी लोगों की मौत लगातार होती रहती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शराब से जुड़े प्रमुख तथ्य :-
- अल्कोहल का हानिकारक उपयोग 200 से अधिक बीमारियों
और चोट की स्थिति हेतु प्रमुख कारक है।
- पूरी दुनिया में, हर साल 30 लाख मौतें शराब के
हानिकारक उपयोग के परिणामस्वरूप होती हैं, यह कुल मौतों
का 5.3% है।
- बीमारी और चोट के वैश्विक बोझ का 5.1% शराब के कारण
है।
- स्वास्थ्य परिणामों के साथ ही, शराब के हानिकारक
उपयोग से लोगों को बड़े पैमाने पर सामाजिक और आर्थिक नुकसान होता है।
- शराब का सेवन जीवन में अपेक्षाकृत जल्दी मृत्यु और
विकलांगता का कारण बनता है, 20-39 वर्ष की आयु के लोगों में, कुल मौतों का
लगभग 13.5% शराब के कारण होता है।
- शराब के हानिकारक उपयोग और कई मानसिक और व्यवहार
संबंधी विकारों, अन्य गैर-संचारी स्थितियों और चोटों के बीच संबंध है।
देश में 10 करोड़ से अधिक लोग विभिन्न नशीले पदार्थों के आदी :-
राष्ट्रीय
अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017-19 में भारत में ड्रग ओवरडोज
से 2,300 से अधिक लोगों की मौत हुई, जिसमें सबसे अधिक 30-45 आयु वर्ग में इस तरह की
मौतें दर्ज हुईं। भारत में नशीली दवाओं का दुरुपयोग और नशे से जुड़े करीब 11,000 मामलों
के साथ देश में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है। यह सभी राज्यों में दर्ज किए गए कुल मामलों
के लगभग 20 प्रतिशत के लिए उत्तर प्रदेश जवाबदेह है। इसके बाद पंजाब (6,909 मामले)
और तमिलनाडु (5,403 मामले) हैं। 2020 में ड्रग्स से जुड़े 4,968 मामले दर्ज करते हुए
केरल चौथे स्थान पर है। एम्स की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 18 लाख वयस्क और 4.6 लाख बच्चे
गंभीर नशे की श्रेणी में आते हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि मादक द्रव्यों
के सेवन / शराब की लत के कारण होने वाली आत्महत्याओं के 80% से अधिक बड़े महानगरों के
बाहर से मामले दर्ज किए जाते हैं। कर्नाटक में इस तरह की आत्महत्याएं पिछले चार वर्षों
में चौगुनी हो गई हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के आंकड़ों अनुसार “नशीले पदार्थों के आदी होने वाले लोगों
की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। वर्तमान में, देश में लगभग 10 करोड़ लोग विभिन्न
नशीले पदार्थों के आदी हैं, 15 साल पहले यह लगभग 2 करोड़ (20 मिलियन) हुआ करता था।
70% से अधिक नशीली दवाओं की तस्करी अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों से होती है, जबकि
20% सड़क मार्ग से और 10% हवाई मार्ग से होती है।
जिंदगी का मोल समझें, नशे में बर्बाद न करें :-
जिंदगी में नशा बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है, जिंदगी अनमोल
है, फिर जीते-जी जिंदगी नरक क्यों बनाना? आजकल अक्सर देखा जाता है कि नशा करने के लिए
सिर्फ बहाना चाहिए, ख़ुशी हो या गम नशा ही किया जाता है। नशेड़ियों की जिंदगी दूसरों
पर बोझ बन जाती है, नशेड़ी व्यक्ति अपने कर्तव्यों, जिम्मेदारियों से भागता है। वह समाज
में नासूर की भांति पलता है, जिसे कोई भी सभ्य कदापि पसंद नहीं करता है। जिंदगी खूबसूरत
है उसे नशे में बर्बाद न करें। संस्कार, नीतिनियम, जिम्मेदारी का अहसास, ख़ुशी और अपनों
का साथ नशे से दूरी बनाने के लिए जरूरी है। आजकल छोटे बच्चों में नशे की लत तेजी से
बढ़ रही है, इसमें पालकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण
भूमिका है। बच्चों के पालन-पोषण के साथ उनपर नियंत्रण रखना भी बहुत जरुरी है, बच्चों
की हरकतों पर विशेष ध्यान होना चाहिए। आधुनिकता के अंधे कुएं में गोता लगाने से पहले
समझदारी से विचार करना आवश्यक है। नशे से दूर रहने के लिए हेल्दी हॉबी, खेलकूद, समाजसेवा
एवं सकारात्मक विचारों के व्यक्तियों के बिच रहना सीखें। जिंदगी की ओर देखने का नजरिया
बदलें, अपनी प्रतिष्ठा, सम्मान और अपने जीवन के लक्ष्य के बारे में सोचें। नशे से दूर
रहें, खुश रहें, उन्नति करें।
डॉ. प्रितम भि. गेडाम


आप का लेख हमेशाही सराहनीय रहता है।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद!
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