पुस्तकों का स्थान जीवन में कोई
अन्य नहीं ले सकता है, पुस्तकें मनुष्य की सच्ची साथी होती है वह तब भी साथ निभाती
है जब, कोई हमारे साथ नहीं होता है और बिना किसी भेदभाव के निरंतर प्रगतिपथ पर अग्रसर
होने के लिए मार्गदर्शन करती है। प्रत्येक मनुष्य के विकास में पुस्तकों का अमूल्य
योगदान होता है, संपूर्ण जीवन पुस्तकें साथ निभा कर जीवन में बेहतर बनने के लिए प्रेरित
करती है। हर साल 23 अप्रैल “विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस”, संयुक्त राष्ट्र (यूनेस्को)
द्वारा पढ़ने, प्रकाशन और कॉपीराइट को बढ़ावा देने के लिए आयोजित एक वार्षिक कार्यक्रम
है, जिसकी शुरुवात 1995 में हुयी थी और संपूर्ण विश्व में यह दिवस बड़े उत्साह के साथ
मनाया जाता है। इस वर्ष 2022 की थीम "पढ़ें... ताकि आप कभी अकेला महसूस न करें"
यह है।
किताबें दुनियाभर का ज्ञान प्रदान करके, पढ़ने, लिखने और बोलने के कौशल में
सुधार करने के साथ-साथ सोच विचार, व्यवहार, नीति नियम, स्मरण शक्ति और बुद्धि को बढ़ाने
में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 2005 के बीओपी वर्ल्ड कल्चर स्कोर इंडेक्स के अनुसार,
औसतन भारतीय हर हफ्ते 10 घंटे से अधिक समय पढ़ने के लिए व्यतीत करते है। ससेक्स विश्वविद्यालय
में 2009 के एक अध्ययन में पाया गया कि पढ़ना तनाव को 68% प्रतिशत तक कम कर सकता है, सिर्फ छह मिनट पढ़ने से हृदय गति काफी
धीमी और मांसपेशियों में तनाव कम होता है। पढ़ने से ध्यान केंद्रित करने में सुधार
होता है, शब्दावली का विस्तार होता है और याददाश्त बढ़ती है। विश्व के प्रसिद्ध उद्यमी,
नेता, मशहूर व्यक्तिगण कितने ही व्यस्त क्यों न हो लेकिन रोज थोडासा समय पुस्तक पढ़ने
में जरूर लगाते है, बहुत से लोगों के घर पर ही पुस्तकों के संग्रहण से निजी पुस्तकालय
तैयार हुए है। थियोडोर रूजवेल्ट, संयुक्त राज्य अमेरिका के 26 वें राष्ट्रपति के रूप
में कार्यरत होकर भी अपने व्यस्त समय में से हर दिन 2-3 पुस्तकें या कम से कम एक पुस्तक
तो भी जरूर पढ़ते थे। बुक ट्रस्ट द्वारा 2013 के एक सर्वेक्षण अनुसार, जो लोग हर दिन
किताब पढ़ते हैं, वे जीवन से अधिक संतुष्ट, खुश और चीजों को बेहतर महसूस करने की अधिक
संभावना रखते हैं। अमेरिकी समाजशास्त्रियों का तर्क है कि जिन बच्चों ने आठ साल की
उम्र तक अच्छे से पढ़ना सीख लिया है, उनके भविष्य में गलत मार्ग पर भटकने की संभावना
कम होती है।
घर परिवार में बच्चों के साथ पढ़ने
से किताबों के साथ खुशी का जुड़ाव बनता है, अगर पढ़ने में रुचि रखते हैं तो आप कई घंटे
लगातार बिना बोरियत के पढ़ सकते है, पढ़ने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। विश्व के किसी
भी पद पर आसीन होने या किसी भी क्षेत्र में विजयी होने के लिए पुस्तकें मार्ग प्रशस्त
करती है। मनुष्य के जीवन में पुस्तकों का स्थान गुरु, मार्गदर्शक, मित्र, सलाहकार,
शुभचिंतक का होता है, जिससे मनुष्य संस्कार, गुणी, ज्ञान, जागरूक, कर्तव्यदक्ष, ईमानदार,
परोपकार, समझदार, विवेकशील जैसे अनेक सद्गुणों में निपुण होने के काबिल बनता है।
आज के आधुनिक युग में इंटरनेट
के द्वारा विश्वभर की पुस्तकों तक हमारी पहुंच आसान हो गयी है, ई-बुक, ऑडियो बुक जब
चाहे तब हम यांत्रिक संसाधन (मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप इत्यादि) से पढ़ सकते है। परन्तु
हाथो में किताबो को थामकर पढ़ने का संतोषजनक आनंद, स्क्रीन पर पढ़ने में नहीं आता है,
एक समय के बाद स्क्रीन पर पढ़ने में बोरियत महसूस होती है साथ ही मनुष्य के शारीरिक
और मानसिक स्वास्थ्य में तनाव उत्पन्न होने लगता है। लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन वर्क
और ऑनलाइन पढ़ाई ने इसकी वास्तविकता दर्शायी है, ऑनलाइन ई-बुक या ऑडिओ बुक थोड़े समय
के लिए तो वरदान है लेकिन लम्बे समय के लिए अभिशाप बन सकता है।
इस दुनियां में सबसे अधिक कष्ट
अज्ञानी व्यक्ति को ही होता हैं क्योंकि वह पुस्तकों के ज्ञान से दूर रहता है। पुस्तकों
में छिपी ज्ञान रूपी दौलत कोई लूट नहीं सकता, जितना अधिक पढ़ेंगे, उतनी ही अधिक चीजें
जान पाएंगे, पाठक बनना और सीखना बहुत अच्छा लाभ देता है। किताबें पढ़ने से शारीरिक
और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को लाभ होता है, और ये लाभ जीवन भर चलते हैं। किताब उपकरण
की भांति कल्पना शक्ति को प्रज्वलित करती है। रिसर्च कहता है कि पुस्तकें पढ़ने की आदत
तनाव कम कर अवसाद के लक्षणों को घटाने में मदद करती है, समाधानकारक दीर्घायु बढ़ाने
में भी मदद करती है, बेहतर नींद में सहायक होकर मन शांत और मस्तिष्क प्रभावी बनाने
में पढ़ने की आदत मददगार साबित होती है।
तो आईये हम भी एक प्रण ले, जीवन को बेहतर और समाधानकारक बनाने के लिए समय का
सदुपयोग करके पुस्तकें पढ़ने की अच्छी आदत को अपने दिनचर्या का एक अभिन्न भाग बनाएंगे।
अच्छी आदतें कभी छूटनी नहीं चाहिए, अच्छी आदतें जीवन को तनावमुक्त करके खुशनुमा वातावरण
निर्माण करने का मुख्य आधार होती है और यही सफल-सुखी जीवन का रहस्य है।
डॉ. प्रितम भी. गेडाम

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