शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

मिर्जा गालिब - शायरी, गजल की दुनिया के महान रचनाकार (मिर्जा गालिब जन्मदिन विशेष - 27 दिसंबर 2019) Mirza Ghalib - the greatest creator of poetry and ghazals (Mirza Ghalib Birthday Special - 27 December 2019)

शायरी याद आते ही जहन मे जो पहले नाम आता है वो है मिर्जा गालिब, मिर्जा गालिब के बगैर शायरी का सफर अधूरा है मिर्जा असदुल्लाह बेग खान उर्फ गालिब उर्दू-फारसी के सर्वकालिक महान शायर खुद गजलों और शायरी के माध्यम से अपने मन और देश के मिज़ाज को लोगों तक पहुँचाया करते थे। उन्होंने जिस शेरोशायरी की रचना की, वह लोगों की ज़ुबान और जहन पर बनी हुई है। गालिब को शायरी के पर्याय के रूप में भी जाना जाता है। गालिब की रचना भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में पसंद की जाती है। उन्हें भारतीय भाषा में फारसी कविता के प्रवाह को लोकप्रिय बनाने का श्रेय भी दिया जाता है। गालिब द्वारा लिखे गए पत्र, जो उस समय प्रकाशित नहीं हुए थे, उन्हें भी उर्दू लेखन के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ माना जाता है।


मिर्जा गालिब का जन्म 27 दिसंबर 1797 को उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ था। उनके पूर्वज तुर्की में रहते थे, उनके पिता का नाम मिर्जा अब्दुल्ला बेग खान था और उनकी माँ का नाम इज़्ज़त-उत-निसा बेगम था। मिर्जा गालिब के पिता की 1803 में अलवर में एक युद्ध के दौरान मृत्यु हो गई। मिर्जा गालिब ने 11 साल की उम्र से शायरी लिखना शुरू कर दिया था और 13 वें वर्ष में उनकी शादी उमराव बेगम से हुई थी। उनके सात बच्चे थे लेकिन उनमे से कोई नहीं बचा। दत्तक पुत्र आरिफ को भी उन्होने अपने बच्चे की तरह पाला, लेकिन वह भी अन्य बच्चों की तरह नहीं बच पाया एंवम ताउम्र उन्हे इस बात का दुख था और उन्होने अपनी कविता कैद-ए-हयात-ओ-बंद-ए-गम द्वारा इसे दर्शाया था। मिर्जा गालिब, मुगल काल के अंतिम शासक बहादुर शाह जफर के दरबारी कवि थे। 1850 में, गालिब को बहादुर शाह जफर द्वितीय के दरबार में दबीर-उल-मुल्क की उपाधि से सम्मानित किया गया था और इसके अलावा उन्हें नज्म-उद-दौला के खिताब से नवाजा गया। मिर्जा गालिब का मुगल दरबार में बहुत सम्मान था। 1854 में, स्वयँ बहादुर शाह जफर ने उन्हें कविताओं के लिए एक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया था। गालिब उन पर शायरी लिखते थे जो उन पर व्यंग्य करते थे।

मुग़लों के पतन के दौरान, उन्होंने मुग़लों के साथ बहुत समय बिताया। मुगल साम्राज्य के पतन के बाद, ब्रिटिश सरकार ने गालिब की अनदेखी की और उन्हें भुगतान की जानेवाली पेंशन को रोक दिया। वह अपने नाम की हर रचना मिर्जा, असद या गालिब के नाम से लिखते थे, इसलिए वे इसी नाम से प्रसिद्ध हुए।

मिर्जा गालिब का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक था। वह वस्त्र विन्यास पर विशेष ध्यान रखते थे। खाने-खिलाने के शौकीन, स्वादिष्ट भोजन के प्रेमी थे। मिर्जा गालिब जीवन के संघर्षों से दूर नहीं भागते थे उन्होंने संघर्ष को जीवन का एक हिस्सा और एक अनिवार्य भाग माना। वह इंसान की भावनाओं और विचारों के उच्च संबंध को वर्णन करने में बहुत माहिर थे, और उनकी यह वर्णनशैली एक ऐसे नये तरीके से थी की इसे पढकर पाठक मोहित हो जाते थे। उनके स्वभाव में हास्य और वक्रता भी थी जो उनके शायरी से झलकती थी। ये सभी लक्षण उनकी कविता में भी परिलक्षित होते हैं। वह मदिराप्रेमी भी थे, इसलिए मदिरा के संबंध में, उन्होने अपनी भावनाये व्यक्त की है और वे शेर इतने मजाकिया और विनोदी है कि उनका जोड उर्दू कविता में अन्यत्र नहीं मिलता। वह बेहद शिष्ट और मिलनसार थे। उनके दोस्तों का बडा वर्ग था जिसमे सभी धर्मों और प्रांतों के लोग मौजूद थे और वे सर्व धर्मप्रिय व्यक्ति थे। इस उदार व्यक्तित्व के धनी और इस उदार दृष्टि के बावजूद आत्मभिमानी थे।

मिर्जा गालिब  की रचनाये

मिर्जा गालिब ने न केवल शेरो-शायरी कविता में, बल्कि गद्य लेखन में भी एक नई राह प्रशस्त की है। अपनी रचनाओं में सरल शब्दों का प्रयोग किया है। उर्दू गद्य लेखन की नींव के कारण, उन्हें आधुनिक उर्दू गद्य का जन्मदाता भी कहा जाता है। उनकी अन्य रचनाएँ लतायफे गैबी, दुरपशे कावेयानी, नाम-ए-गालिब, मेहनीम, आदि गद्य में हैं। फारसी के कुलियात मे फारसी कविताओं का संग्रह है। दस्तंब मे उन्होने 1857 ईं. के बलवे का आंखो देखा हाल फारसी गद्य में लिखा गया है इसके अलावा उनका उर्दू-ए-हिंदी, उर्दू-ए-मुअल्ला भी मौजूद है। उनकी रचनाएँ देश की तत्कालीन, राजनीतिक, आर्थिक स्थिति का वर्णन करती हैं। उनकी सुंदर शायरी का संग्रह दीवान-ए-गालिब के रूप में 10 भागों में प्रकाशित हुआ है, जिसका कई देशी और विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया है।

गालिब की शायरी ने उर्दू अदब को नए पंख और नया आसमान दिया है। मिर्जा गालिब का नाम उर्दू शायरी मे शिखर पर हमेशा बरकरार रहेंगा। उर्दू और फारसी के सर्वश्रेष्ठ शायर के रूप में उनकी प्रतिष्ठा दूर-दूर तक फैल गई और अरब और अन्य देशों में बहुत लोकप्रिय हो गए। गालिब की शायरी का एक बड़ा हिस्सा फारसी में है, लेकिन उर्दू में कम है, पर जितना भी लिखा गया है, वह लोगों को आने वाले कई सदियों तक सोचने पर मजबूर करने के लिए काफी है। गालिब की शायरी की सबसे खूबसूरत बात यह है कि वह किसी एक रंग या एक संवेदना से नहीं बंधी हैं, उनका शेर हर मौके पर मौजूद है। गालिब संभवतः उर्दू के एकमात्र ऐसे शायर हैं जिनका कोई न कोई शेर जीवन के अवसर पर जरूर आधारित है। गालिब की शायरी में, एक तड़प, एक तंज, एक चाहत, एक उम्मीद, एक आशिकाना अंदाज़ देखने को मिलता है जो आसानी से पाठकों के दिल को छू जाती है।

मिर्जा गालिब के जीवन पर अनेक फिल्मों, धारावाहिकों और नाटकों का मंचन किया गया है। हालाँकि, गालिब गजलों की दुनिया में बहुत प्रसिद्ध हुए और उनके राह पर देशो-दुनियाँ के गायक भी चल पडे। जगजीत सिंह, मेंहदी हसन, आबिदा परवीन, फ़रीदा खानम, टीना सानी, बेगम अख्तर, गुलाम अली, राहत फतेह अली खान कुछ ऐसे ही गायक है। भारत और पाकिस्तान सरकार की ओर से मिर्जा गालिब पर सिक्के, डाक टिकट जारी किए गए। मिर्जा गालिब ने जो दुनिया को दिया है वह अतुलनीय है। अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बेहतरीन कार्यों के लिए मिर्जा गालिब के नाम पर कई पुरस्कार और सम्मान दिए जाते हैं। गालिब संग्रहालय दिल्ली में बनाया गया है। गालिब अकादमी, गालिब संस्थान, गालिब हवेली देश में प्रसिद्ध है। पूरी दुनिया में उनकी याद में मुशायरों का आयोजन किया जाता है। मिर्जा गालिब हमेशा अपनी रचनाओं से पाठकों के दिलों में राज करेंगे चाहे कितनी भी सदिया गुजर जाये और वे आज भी नए रचनाकारों को प्रेरणा देते है और हमेशा प्रेरित करते रहेंगे। गालिब साहब के जन्मदिन के मौके पर कुछ ऐसे ही चंद शेर उनकी प्रसिद्ध रचनाओं से पेश करते हैं।

 

हाथों के लकीरो मे मत जा ए गालिब

किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नही होते।

 

फिर उसी बेवफा पे मरते है

फिर वही जिंदगी हमारी है

बेखुदी बेसबब नही गालिब

कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है।

 

आह को चाहीए इक उम्र असर होते तक

कौन जीता है तेरी जुल्फ के सर होते तक।

 

बागीचा-ए-अतफाल है दुनिया मिरे आगे

होता है शब-ओ-रोज तमाशा मिरे आगे।

 

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना

आदमी को भी मयस्सर नही इंसाँ होना।

 

दिल-ए- नादाँ तुझे हुआ क्या है

आखिर इस दर्द की दवा क्या है।

 

हम को मालूम है जन्नत की हकीक़त लेकिन

दिल के खुश रखने को गालिब ये खयाल अच्छा है।

 

इशरत-ए-कतरा है दरिया मे फना हो जाना

दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना।

 

हाँ मय-खाने का दरवाज़ा गालिब और कहाँ वाइज

पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले।

डाॅ. प्रितम भि. गेडाम

शनिवार, 14 दिसंबर 2019

ऊर्जा की बचत हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी (राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस विशेष - 14 दिसंबर 2019) Saving energy is our moral responsibility (National Energy Conservation Day Special - 14 December 2019)

आज हमारे यहा बड़ी मात्रा में प्राकृतिक खनिज पदार्थो का दोहन हो रहा हैं। प्राकृतिक खनिज पदार्थ बहुत कम है जबकी तुलना में भारत में अधिक मात्रा मे ऊर्जा की खपत होती है। इस वजह से, देश के बाहर से बड़ी मात्रा में ऊर्जा का आयात करना पड़ता है। दुनिया में ऊर्जा के उपयोग से पता चलता है कि अगले 40-50 वर्षों के बाद, यह सभी ईंधन सामग्री समाप्त हो जाएगी क्योंकि भविष्य के ऊर्जा संसाधन भी वर्तमान में खर्च हो रहे हैं इसलिए भविष्य में, हमको सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे विकल्पों पर निर्भर रहना होगा। ऊर्जा का संरक्षण समय की जरूरत है। देश में खपत ऊर्जा का अनुपात बताता है कि भारत 2035 तक दुनिया में सबसे बड़ा ईंधन खपत होगा। साल 2035 में, प्रति दिन 92 मिलियन बैरल ईंधन की खपत होगी, प्राकृतिक गैस की खपत 4.9 बिलियन क्यूबिक मीटर से बढ़कर 12.8 बिलियन क्यूबिक मीटर हो जाएगी और कोयले की खपत 83.3 मिलियन टन हो जाएगी।


हर साल आज का दिवस 14 दिसंबर को हमारे देश में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि समाज में ऊर्जा के महत्व, बचत और सुरक्षा के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ सके। ऊर्जा यह भौतिक परिवर्तन करने और कार्य करने की क्षमता है। ऊर्जा स्रोत घरेलू या औद्योगिक उद्देश्यों के लिए ऊर्जा (प्रकाश, गर्मी, बिजली) प्राप्त करने के लिए उपयोग की जाने वाली वस्तु या पदार्थ हैं। दुनिया के ऊर्जा स्रोत सीमित मात्रा में हैं जैसे खनिज तेल, ईंधन, कोयला, मिट्टी का तेल, गैस और अन्य।

सरकार का लक्ष्य सभी नागरिकों के लिए सस्ती, विश्वसनीय, सुविधाजनक और आधुनिक ऊर्जा प्राप्त कर देना है। आज भी हमारे देश की कुछ आबादी बिजली से वंचित है और प्रत्येक नागरिक को इन संसाधनों पर समान अधिकार प्राप्त है। देश की इतनी बड़ी आबादी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में खर्च किया जा रहा है और इस ऊर्जा विकल्प पर भी काम किया जा रहा है जैसे सूर्य की ऊर्जा, पवन ऊर्जा, समुद्र में जल विद्युत, अपशिष्ट ऊर्जा और अन्य। हमारी थोड़ी सी जागरूकता समाज और पर्यावरण की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चूँकि हम इस समाज का हिस्सा हैं इस नाते यह समाज के प्रति हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि सभी लोग समाज के विकास में योगदान दें। हमारे क्षेत्र में, हम हमेशा ऊर्जा का दुरुपयोग होते देखते हैं, बिना किसी कारण के बिजली बर्बाद होते हुए, नल का पानी सड़क के किनारे बहते हुए, घर के आसपास और रास्ते में कचरा जलाते या फैलाते हुए, पेड़ों को काटते हुए देखा जा सकता है और हम अपने स्तर पर ऐसी समस्याओं को कम कर सकते हैं।

ऊर्जा संरक्षण के उपाय

  1. हमेशा आयएसआय व बिईई प्रमाणित उपकरणो का ही उपयोग करें। इलेक्ट्रोनिक उपकरण खरीदते समय यह ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है कि वह उच्च गुणवत्ता के साथ-साथ कम बिजली की खपत का उपभोग करेगा और केवल अधिकतम स्टार रेटिंगवाले उपकरण खरीदना चाहिए।
  2. हमेशा प्रकाश व्यवस्था के लिए एलईडी बल्ब और एलईडी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करें। जरूरत पुर्ण होने पर इलेक्ट्रानिक उपकरणो का प्रयोग बंद करे क्योकि अधिकतर समय देखा जाता है कि एक बार उपकरण शुरू करने के बाद दिन-दिनभर वो वैसे ही शुरू रहते है यह सिर्फ घर ही नही अपितु सरकारी कार्यालय, स्कुल-महाविद्यालय, संस्थाये, दुकान प्रत्येक जगह जागृकता होनी चाहीए।
  3. अधिक विद्युत खपत वाले उपकरणों का उपयोग शाम 6-9 बजे के दरमियान टालना चाहिए क्योंकि इस समय बिजली की मांग उच्चतम होती है।
  4. घर की दिवारे हमेशा हल्के रंग मे रंगनी चाहिए क्योंकि यह कम रोशनी वाले बल्ब मे भी अधिक उजली लगती है।
  5. निजी वाहनों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है जिससे ईंधन की खपत में काफी वृद्धि हुई है अर्थात प्रदूषण, स्वास्थ्य समस्याएं, सड़क जाम, तापमान और मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है इसलिए एक गंतव्य पर जाना हो तो वाहन शेयरींग करना चाहिए व सरकारी परिवहन वाहनो का उपयोग करना चाहीए। अगर आस-पास जाना हो तो पैदल चले या तो साइकिल चलाना चाहिए। साइकिल तो प्रत्येक स्वस्थ मनुष्य ने संभव हो तो कुछ दुरी के लिए ही सही, पर रोज चलानी ही चाहीए।
  6. हमेशा ईंधनसंबंधी दक्षता बनाए रखे और प्रदूषण को नियंत्रित करते हुए ड्राइविंग के नियमों का पालन करें।
  7. यह सोच हमारे विचारो मे बिल्कुल नही होनी चाहीए की हम ज्यादा पैसा कमाते है ज्यादा खर्च कर सकते है तो हम क्यू ईंधन या बिजली बचत करे? यह बचत हमारे देश, पर्यावरण, आनेवाली अगली पिढी व समाज के विकास के लिए है इसमे प्रत्येक नागरिक का योगदान आवश्यक है।
  8. प्रत्येक क्षेत्र में, बिजली विभाग को एक ऊर्जा संरक्षण अधिकारी नियुक्त करना चाहिए जो प्रत्येक क्षेत्र में नागरिकों के साथ बैठक करेगा और बिजली संरक्षण और बचत पर कार्यक्रम आयोजित करेगा।
  9. बिजली के दुरुपयोग को लेकर एक शिकायतकेंद्र बनाना चाहिए ताकि जब भी हम क्षेत्र में कहीं भी ऊर्जा का दुरुपयोग देखें तो शिकायतकेंद्र को घटना की रिपोर्ट करेंगे और सोशल मीडिया का उपयोग मुख्य रूप से इस जागरूकता के लिए किया जाना चाहिए।
  10. बहुत बार सड़को पर दिन मे बिजली की स्ट्रीट लाइट्स शुरू दिखाई देती हैं और बिजली चोरी की घटनाये भी बहुत घटती है बिजली के ऐसे दुरूपयोग पर पूरी तरह से नियंत्रित होना चाहिए।
  11. हमेशा पानी के टैंक को भरने के लिए टाइमर लगाना चाहिए ताकी टंकी भरने के बाद अलार्म बज जाएगा एंवम पानी बर्बाद नही होगा।
  12. घर बनाते समय यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि घर के अंदर प्राकृतिक प्रकाश व्यवस्था अच्छी तरह से बनी रहेगी। सभी को संभवतः अपने छतों पर वर्षा जल संचयन और सौर पैनलों की व्यवस्था करनी चाहिए और पर्यावरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  13. रात को समारोह मे बडी मात्रा मे बिजली की खपत लगती है इसलिए यदि संभव हो तो दिन मे ही समारोह का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि बिजली बचा सकें।
  14. खेतो मे पराली जलाने की समस्या गंभीर प्रदुषण का कारण बनती है इस समस्या के हल हेतु उद्योजको, व्यवसायीको ने उत्पाद निर्मीती के लिए लगनेवाले ईंधन के रूप मे इन पराली का उपयोग करना चाहीए जिससे प्राकृतिक ईंधन की बचत होगी, प्रदुषण से राहत मिलेगी, किसानो की आयवृद्धि मे सहायता होगी।

कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन ने सौर ऊर्जा को विकल्प के रूप में उपयोग को बढ़ावा दिया है। देश में सौर ऊर्जा के लिए एक बड़ी संभावना है। देश में पुरे वर्ष के दौरान अधिकांश धूप उपलब्ध रहती है और पवन ऊर्जा के लिए एक बड़ा समुद्री क्षेत्र उपलब्ध है। कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा दुनियाभर में पहला सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डा है और अब सौर ऊर्जा से चलने वाले बहुत से उपकरण, वाहन भी बाजार में उपलब्ध हो गए हैं। सौर ऊर्जा द्वारा विमान का सफल संचालन हुआ है, देश के बडे-बडे धार्मिक स्थलो मे भी अब सौर ऊर्जा द्वारा खाना पकाया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधन तेजी से खत्म हो रहे है अर्थात उज्वल भविष्य के लिए ऊर्जा की बचत ही एकमात्र तरीका है। सभी को यह समझना चाहिए कि ऊर्जा संरक्षण मे सरकार, अधिकारियों और हम सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है। ऊर्जा की बचत एक तरह से ऊर्जा का उत्पादन ही है अगर आज हम इस ऊर्जा को बचाते हैं, तो अगली पीढ़ी को एक स्वच्छ पर्यावरण दे पायेंगे।

डाॅ. प्रितम भि. गेडाम

सोमवार, 9 दिसंबर 2019

भ्रष्टाचार : समाजाला पोकळ करणारे गंभीर आजार (अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निषेध दिवस विशेष - ९ डिसेंबर २०१९) Corruption: A Serious Disease That Is Hollowing Out Society (International Anti-Corruption Day Special - 9 December 2019)


            कोणाच्या हक्काचे, कष्टाचे, कर्तृत्वाचे यश आपल्या पदरात खेचणे, आपल्या पदाचा सत्तेचा अधिकारांचा दुरुपयोग अर्थातच हा गंभीर गुन्हा आणि अशा गुन्हेचे परीणाम कित्येकदा सामान्य जनतेला स्वताचा जीव सुद्धा गमावून भोगावे लागते. लाचलुचपत सारख्या गंभीर समस्ये मुळे शासनाला दरवर्षी अब्ज डाॅलरचा तोटा होतो. भ्रष्टाचार समाजातील मुख्य समस्या आहे जी इतर समस्येची जन्मदाती आहे. माणसातील स्वार्थी पणा इतका जास्त वाढला आहे की तो स्वता व्यतीरीक्त कोणाचा विचारच करीत नाही आणी हे सुद्धा समजत नाही की आपल्या छोट्याशा फायद्यासाठी समाजाला किती मोठा धोखा पत्करावा लागतो. भ्रष्टाचारामुळे समाजातील श्रीमंत-दारिद्र यांचा तील अंतर हे वाढतच चालले आहे. गरीब आणखी गरीब व श्रीमंत आणखी श्रीमंत होत चालले आहेत. जगात क्वचीतच कोणी व्यक्ती असा असेल ज्यानी आपल्या आयुष्यात भ्रष्टाचाराला बळी पडला नसेल. 

भ्रष्टाचार म्हणजे लाचलुचपतपणा अर्थात की जेव्हा कधी कोणी व्यक्ती कायद्याचा विरूद्ध जावून आपल्या स्वार्थापोटी वाईट मार्गाचे आचरण करतो तेव्हा त्याला भ्रष्टाचार म्हणतात. भ्रष्टाचार समाजातील खुपच गंभीर समस्या आहे. ही समस्या पुर्ण समाजाला पोकळ करीत आहे. प्रत्येक क्षेत्र कमी-जास्त प्रमाणात भ्रष्टाचारामधे गुंतून आहे असे आढळून येते. समाजात प्रत्येकजण कोणत्यानीं कोणत्या रूपात या समस्ये मुळे ग्रस्त आहे. आजकाल आपण वर्तमानपत्रे, न्यूजचैनल, सोशल मिडीया व इतर मार्गाने भ्रष्टाचार बद्दल नवनवीन घोटाळे एकतो, वाचतो. भ्रष्टाचार हे गुणवत्ता पुर्ण शिक्षण, संस्कार, कायदा, प्रामाणिकपणा, निती नियम, कर्तव्य, निस्वार्थ सेवाभाव, अशा गोष्टींना संपवत आहे.

जगातील सर्वात मोठ्या लोक तांत्रीक देशातील युवा पीढी भ्रष्टाचाराला बळी पडत आहे. देशात पुर्वी पासुनच बैंकींग घोटाळे, सुशिक्षीत बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, जातीवाद, आतंकवाद, नक्षलवाद, शेतकरी आत्महत्या, प्रदूषण, भेसळखोरी, जमाखोरी, नोकरी व्यवसायाचा नावाखाली आर्थिक व्यवहार, खाण्यापीण्याचा वस्तुत जीवघेणे केमिकलचा वापर अशा सारख्या गंभीर समस्या आहेत आणी भ्रष्टाचार अशाच समस्यांना वाढविण्यात मदत करते. जेव्हा पर्यंत अशा समस्यांना संपवणार नाही तो पर्यंत समाजातील सर्वांगीण विकास शक्यच नाही. संपुर्ण जगात ही समस्या पसरली आहे. या भ्रष्टाचाराच्या समस्यात पुर्ण समाज भागीदार आहे कारण लाच घेणे व लाच देणे यात दोघे ही बरोबरीचे आरोपी आहेत. सोबतच अन्यायाला शांतपणे सहन करणारा व्यक्तीही तेवढाच दोषी असतो. प्रत्येक कामात पारदर्शता आणणे खूप गरजेचे आहे. मागील काही वर्षात 15 पत्रकारांना मारण्यात आले जे भ्रष्ट्राचारा विरूद्ध काम करीत होते. इतर देशांपेक्षा भारतात पत्रकारांवर जास्त हल्ले करण्यात येतात असे कळून आले. महाराष्ट्र राज्यात मागील काही वर्षात पुष्कळ आरटीआई कार्यकत्यांची हत्या करण्यात आली आहे. काही सामाजीक कार्यकत्यांना अन्याय विरूद्ध बंड पुकारल्यामुळे स्वताचा जीव सुद्धा गमवावा लागला. आंतरराष्ट्रिय एनजीओ ”काॅमनवेल्थ हृयूमन राईट्स इनिशिएटिव“ च्या रिपोर्ट प्रमाणे मागच्या काही वर्षात महाराष्ट्रातील 60 पेक्षा जास्त आरटीआई कार्यकत्यांवर जीवघेणे हल्ले झाले आहेत. इतर राज्यापेक्षा ही आकडेवारी जास्त आहे, ह्या आकडेवारी वरून असे समझून येते की महाराष्ट्रात भ्रष्टाचार विरूद्ध काम करणारी व्यक्तीवर जास्त घटना घडून आले आहेत.

शिक्षणाचे होत चालले बाजारीकरण

            आजकाल समाजात सगळीकडे शिक्षण संस्थानांचा जणू काही पुरच आला आहे असे जाणवते तरीही जागतीक स्तरावर भारताची शैक्षणिक गुणवत्तेची स्थिती संतोष कारक नाही. महागलेली शिक्षण प्रणाली मुळे पालकांवर दबाव दिसुन येतो व सातत्याने शिक्षण संस्थानात असलेली प्रतिस्पर्धा ही वाढतच चालली आहे. आजच्या वातावरणात व्यावसायीक व उच्च शिक्षण घेणे सामान्य माणसाला परवडण्यासारखे राहिले नाही. लहान मुलांचा नर्सरी ते उच्च शिक्षणा पर्यंत पालकांकडून मोठे शुल्क आकारण्यात येते सोबतच महागड्या खाजगी कोचिंग क्लासेस सुद्धा जिकडे-तिकडे मोठ्या प्रमाणात वाढल्या आहेत. शाळा महाविद्यालयांमधे नोकरभर्तीचा नावाखाली लाखो रुपयांची देवाण-घेवाण होते हे तर आपण नेहमी ऐकतच असतो मग ज्या शिक्षण विभागात लाखो कोटींचा भ्रष्टाचार करून शिक्षक नोकरीवर येतात ते कर्मचारी समाजापुढे काय आदर्श ठेवतील आणी विद्याथ्र्यांचे कशे भविष्य घडवतील हे तर देवच जाणे.

भारतात भ्रष्टाचार विरूद्ध कायदे

  • भारतीय दंड संहिता 1860
  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988
  • बेनामी देवघेव निषेध अधिनियम
  • अर्थशोधन निवारण अधिनियम 2002
  • आयकर अधिनियम 1961ची अभीयोग धारा
  • भ्रष्टाचार निवारण संशोधक कायदा 2018

भ्रष्टाचाराच्या नियंत्रणाकरीता काही उपाय योजना

  • जर आपल्याला देश भ्रष्टाचार मुक्त करायचे आहे तर पहीले देशात प्रामाणीक लोकांचा समाज घडवावा लागेल. चांगल्या विचार शक्तीची माणसे, आई-वडील, गुणवत्ता पुर्ण शिक्षकांचा द्वारे दिलेल्या शिक्षा संस्कारामुळेच हे शक्य होईल म्हणून मुलांना लहानपणा पासूनच सत्य, न्याय, प्रामाणीकपणाची शिक्षा मिळायलाच हवी.
  • आपल्या डोळ्या देखत पुष्कळदा भ्रष्टाचारासंबंधी कामे घडत असतात पण आपण त्या गोष्टीला गंभीरपणे घेत नाही जेव्हा की आपण सुद्धा त्याला बळी पडतो ह्या संबंधी सर्व नागरीकांमधे जागृकता येणे खूप गरजेचे आहे.
  • कायद्याच्या अवघड गोष्टींना सोप्या भाषेत दर्शवायला हवे जेणेकरून सामान्य माणसाला स्वताच्या कर्तव्य व अधिकारांची जाणीव होईल. भ्रष्टाचारावर पुर्णपणे आळा घालण्यासाठी सुरूवाती मधे आपल्याला थोडा-फार त्रास होवू शकतो पण देशाचा किंवा समाजाचा विचार केला तर लक्षात येईल की देशापुढे आपले स्वार्थ काहीही नाही कारण समाज सर्वोपरी आहे, समाजाचा विकास आपला विकास आहे आणि आपल्याला इतरांचे अधिकार हिरावून घेण्याचे काही अधिकार नाही.
  • शासकीय अधिकारी वर्ग ज्या पदावर कार्यरत असतो त्या पदाची प्रतिष्ठा राखण्याची जबाबदारी त्या अधिकारीची असते तेव्हा कार्य करतांना कोणत्याही प्रकारच्या आमिषाला बळी पडू नये व न्याय संगत कार्यच निरंतर करायला हवे कारण शासकीय कर्मचारीची एक छोटीशी चुक सुद्धा अनेकांचे अमुल्य जीवन उध्वस्त करते.
  • शासकीय कामात पारदर्शता आणायला हवी ज्यामुळे जनतेला शासनाचा कामाची पुर्ण माहिती मिळेल व यात प्रसार माध्यमांनी नेहमी निष्पक्ष, निर्भय व खंबीरपणे काम करायला हवे.
  • लाच घेण्या-देण्या वर कडक कायदा व्यवस्था असलीच पाहीजे तेव्हाच भ्रष्ट लोकांमधे कायद्याची भिती येईल.
  • न्यायालयाचे निर्णय हे लवकरात लवकर लागायला हवे.
  • माणुसकी, प्रामाणिकपणा, समाजाचा प्रती आपले कर्तव्य व काही देणे लागते ही जाणीव प्रत्येकात असायला हवी.

ज्या दिवशी माणसात मी व माझा परिवाराचे हित या ठिकाणी माझा समाज व माझा देश अशी भावना निर्माण होईल तेव्हा हा देश आपोआपच भ्रष्टाचार मुक्त होउन विकासाकडे वाटचाल करेल आणी अशा देशाला जगात सर्वात विकसीत देश बनवण्यापासून कोणीही थांबवू शकणार नाही.

“उठा, जागे व्हा, स्वाभिमान बाळगा! समाजातून भ्रष्टाचार नाहीसा करण्यास शपथ घ्या”. 

डाॅ. प्रितम भि. गेडाम