सोमवार, 26 जून 2023
किशोरों में बढ़ती नशे की लत और पालकों की जिम्मेदारी (नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस विशेष - 26 जून 2023) Increasing Drug Addiction in Adolescents and Responsibility of Parents(International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking - 26 June 2023)
नशीले पदार्थों की बढ़ती तस्करी और नशे के गिरफ्त में जकड़ती युवा पीढ़ी समस्त मानवजाति के लिए चिंता का सबब बनी है। आये दिन अखबारों, न्यूज़ चैनलों पर नशीले पदार्थों के तस्करी की खबरें देखने-पढ़ने मिलती है। तेजी से यह नशीले पदार्थों के जहर का व्यापार बढ़ रहा है जिसमें युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है। नशा “नाश” करने का ही दूसरा नाम है, जो मनुष्य के मष्तिस्क को वश में कर उसे हर तरह से बर्बाद करता है। शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक, सामाजिक अर्थात हर तरह से नशा मनुष्य को खोखला करते जाता है। नशे से बीमारियां, शारीरिक असंतुलन, भ्रम, द्वेष, तनाव, क्रोध, अनिद्रा, दृष्टिदोष, स्मृतिदोष जैसी स्थिति में वृद्धि होकर परिवार में कलह बढ़ता है। अपराधों को बढ़ाने में नशा मुख्य भूमिका में होता है, आधे से ज्यादा अपराध नशे में या नशे के लिए किए जाते है। अपराध में तेजी से वृद्धि होकर आजकल नशे का कारोबार भी चरम पर है।
नशेड़ियों का समाज में स्थान (Place of Drug Addicts in Society) :- नशेड़ियों को समाज में तुच्छ नजरिए से देखा जाता है, अपने लोग और नाते-रिश्तेदार भी उनसे दूरिया बनाते है। नशे में पैसों की बर्बादी होकर समाज में मान प्रतिष्ठा भी तेजी से घटती है। नशे में मनुष्य की सोच-विचार की शक्ति क्षीण हो जाती है। नशेड़ियों के संपर्क में रहने वाले लोग भी परेशान रहते है, जीवन की खुशियां गुम होने लगती है। लोगों द्वारा तिरस्कार किया जाता है। कई बार तो परिवार के लोग, सगे सम्बन्धी, आस- पडोसी नशेड़ियों से इतने तंग आ जाते है कि उनके मौत की कामना तक करने लगते है। नशेड़ियों को समाज में कोई भी अच्छा नहीं मानते क्योंकि वे समाज के लिए समस्या बने है। नशेड़ियों को कोई भी काम पर नहीं रखना चाहता है। नतीजतन, वे पैसों के तंगी के कारण अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ रहते हैं। नशा करने के लिए नशेड़ी अपराध करने को भी तैयार हो जाते हैं। जिससे समाज में गरीबी, नशा और अपराध का चक्र ऐसे ही चलता है।
दुनिया को नशे के जहर से बचाने (To Save the World from the Poison of Drugs) :- नशीली दवाओं के दुरुपयोग से मुक्त दुनिया को पाने में आवश्यक कार्रवाई और सहयोग को मजबूत करने के लिए हर साल 26 जून को "नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस" विश्वभर में जागरूकता हेतु मनाया जाता है। नशीली दवाओं का सेवन करने वाले बहुत से व्यसनी लोग कलंक और भेदभाव का सामना करते हैं और जिसके कारण उन्हें योग्य उपचार, आवश्यक सहायता प्राप्त नहीं होती है। इस साल 2023 की थीम "लोग पहले : कलंक और भेदभाव को रोकें, रोकथाम को मजबूत करें" यह हैं। इस वर्ष के अभियान का उद्देश्य ड्रग्स का उपयोग करने वाले नशेड़ी लोगों के साथ सम्मान और सहानुभूति के साथ व्यवहार करने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है; ताकि उन नशेड़ी लोगों को पुनः एक बार हम सब की मदद से नशामुक्त होकर सम्मान से जीने का मौका मिल सकें।
किशोरों में नशे की लत लगातार बढ़ रही (Drug Addiction is Increasing in Children) :- बाल अधिकार संरक्षण के राष्ट्रीय आयोग द्वारा किए गए अध्ययन अनुसार, देश में तम्बाकू और शराब किशोरों के बीच दुर्व्यवहार की सबसे आम लत हैं, इसके बाद इनहेलेंट और कैनबिस हैं। औसत आयु 12 वर्ष से तंबाकू के उपयोग की शुरुआत यहां दर्शायी गई, एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले 46% किशोरों ने इससे भी कम उम्र में ही धूम्रपान और तंबाकू, साथ ही शराब और मारिजुआना शुरू कर दिया था। शहरों के कई मलिन बस्तियों या कई ग्रामीण इलाकों में 6-7 वर्ष के बच्चें भी नशीला ज्वलनशील रासायनिक पदार्थ सूंघते या तंबाकू खाते नजर आते है। 2022 में किशोरों द्वारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग के 26,629 मामले दर्ज किए गए, जो कि 2016 से 300% की वृद्धि दर्शाते हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा किए गए राष्ट्रीय व्यापक सर्वेक्षण के अनुसार, देश में 6 करोड़ से अधिक ड्रग उपयोगकर्ता हैं जिनमें बड़ी संख्या में उपयोगकर्ता 10-17 वर्ष की आयु के हैं।
स्कूली छात्र भी कर रहे नशा (School Students are also Consuming Drugs) :- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर द्वारा स्कूली छात्रों के बीच मादक द्रव्यों के सेवन पर किए गए एक अध्ययन के दौरान पता चला है कि, सर्वेक्षण में शामिल 14 छात्रों में से 1 ने पिछले महीने में किसी न किसी मादक पदार्थ का इस्तेमाल किया था। यह सर्वेक्षण मई 2019-जून 2020 के दौरान कक्षा 8-12 के लगभग 6,000 स्कूली छात्रों पर हुआ। सर्वेक्षण में पाया गया कि 10% से अधिक छात्र पूर्ववर्ती के दौरान मादक द्रव्यों के सेवन (इनहेलेंट, कैनबिस, ओपिओइड से लेकर शराब और तंबाकू तक) में लिप्त थे। एक वर्ष में उपयोग अनुसार विश्लेषण से पता चला कि 4% ने तंबाकू का उपयोग किया, इसके बाद शराब 3.8%, ओपिओइड 2.8% (अफीम, हेरोइन और फार्मास्युटिकल ओपिओइड), कैनबिस (भांग, चरस और गांजा) 2% और इनहेलेंट का 1.9% ने नशा किया है। इंडियन जर्नल ऑफ साइकिएट्री ने एक मेटा-विश्लेषण में कहा कि, स्कूल जाने वाले छात्रों में मादक द्रव्यों के सेवन का प्रचलन 18% तक है।
देश में मादक पदार्थों के सेवन में लगातार वृद्धि (Drug
Abuse is increasing in the Country) :- पिछले आठ वर्षों में भारत में नशीली दवाओं के सेवन में
70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, देश में लगभग 10 करोड़ व्यसनियों की संख्या है।
संयुक्त राष्ट्र अनुसार, भारत देश में 13 प्रतिशत ड्रग नशेड़ी 20 वर्ष से कम आयु के
हैं। देश के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने पिछले रिपोर्ट में अनुमानित
नशीली दवाओं के उपयोग पर आंकड़े जारी किए हैं, जिसमें दिखाया गया है कि 3.1 करोड़
कैनबिस उपयोगकर्ता, 2.4 करोड़ ओपिओइड उपयोगकर्ता और 77 लाख इनहेलर का उपयोग कर रहे थे। सरकार का लक्ष्य
2047 तक भारत को "ड्रग-फ्री" बनाना है।
पालकों का व्यस्तता का बहाना और उनका बच्चों पर अंधा विश्वास (The Excuse of Busyness of the Parents and their Blind Faith in the Children) :- आज के आधुनिक युग में बच्चे काफी सक्रिय और महत्वाकांक्षी नजर आते हैं। बच्चे जल्दी ही स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं। ऐसा लगता है कि आधुनिकता और इंटरनेट ने बच्चों को काफी जल्दी बड़ा कर दिया हैं। अधिकतर पालक भी यही कहते है कि उनके बच्चे बहुत होशियार और होनहार है। सभी पालकों को अपने बच्चों पर गर्व होता है, यह अच्छी बात है, लेकिन आज के समय में बच्चों की अच्छी-बुरी सभी हरकतों पर पालकों का ध्यान रहना बहुत ज्यादा जरुरी हो गया हैं। बच्चों के सम्पूर्ण दिवस की दिनचर्या, बच्चों के मित्रगण, सहपाठी, बच्चे किनसे मिलते हैं, कहां आते-जाते हैं, कहां समय बिताते हैं यह सब जानकारी पालकों को पता होनी ही चाहिए। बच्चों का अपने पालकों से झूठ बोलना और अवैध गतिविधियों में लिप्त होना आजकल बहुत बढ़ गया हैं। नशे की ओर बढ़ती युवा पीढ़ी समाज के लिए अभिशाप बनकर उभरी हैं। बच्चों को इसी उम्र में संभालने की ज्यादा आवश्यकता होती हैं। पालकों का व्यस्तता का बहाना और उनका बच्चों पर अंधा विश्वास यह बच्चे के उज्जवल भविष्य को बर्बादी की ओर मोड़ता हैं।
बच्चों को नशे से बचाने की जिम्मेदारी पालकों पर
(Parents' Responsibility to Protect Children from Drugs) :- पालकों ने
बच्चों से एक मित्र की भांति रहना चाहिए ताकि बोलचाल या व्यवहार में बच्चों को कोई
झिझक न रहें, बच्चों के साथ समय बिताएं, बच्चों की जिज्ञासा और स्वभाव अनुसार उनका
व्यवहार समझें, झूठे दिखावे से बचें, अच्छे-बुरे की उनसे बातें साझा करें। बच्चों के
सामने अनुचित व्यवहार कभी भी न करें। बच्चों के सामने पालकों द्वारा नशा करना बेहद
शर्मनाक बात है। किसी भी उम्र में किसी को भी नशा नहीं करना चाहिए, नशा सिर्फ नुकसान
ही करता है। आज के बच्चें कल देश के उज्जवल भविष्य हैं, आज की युवा पीढ़ी नशे में चूर
हो रही हैं, उन्हें नशे से बचाने की जिम्मेदारी पालकों पर हैं। अपनी जिम्मेदारी को
बखूबी निभाना ही पालकों का परम कर्तव्य हैं। देश को नशामुक्त बनाने में पालकों के साथ,
शिक्षक, समाज और सरकार की जिम्मेदारी भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। आइए व्यसन मुक्त होकर
सुखी जीवन जिएं और मजबूत देश का निर्माण करें। यदि आप या परिवार का कोई सदस्य मादक
द्रव्यों के सेवन का शिकार है, तो आप सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार
द्वारा स्थापित नशा मुक्त भारत अभियान के राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 14446
के माध्यम से मदद ले सकते हैं।
डॉ. प्रितम भि. गेडाम
किशोरवयीन मुलांमध्ये नशेचा वाढत्या प्रमाणात पालकांची भूमिका (जागतिक अंमली पदार्थ विरोधी दिन विशेष - २६ जून २०२३) The Role of Parents in Drug Addiction in adolescents (International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking - 26 June 2023)
अंमली पदार्थांची वाढती तस्करी आणि ड्रग्जच्या आहारी जात असलेली तरुण पिढी हे संपूर्ण मानवजातीसाठी चिंतेचा विषय बनला आहे. अंमली पदार्थांच्या तस्करीच्या बातम्या रोज वृत्तपत्रे आणि वृत्तवाहिन्यांवर पाहायला व वाचायला मिळतात. अंमली पदार्थांचा हा व्यापार झपाट्याने वाढत असून त्यात तरुण पिढी बरबाद होत आहे. नशा हे "नाश" चे दुसरे नाव आहे, जे माणसाच्या मेंदूला नियंत्रित करून त्याला संपूर्णतः उद्ध्वस्त करते. शारीरिक, मानसिक, कौटुंबिक, आर्थिक, सामाजिक अशा प्रत्येक प्रकारे नशा माणसाला पोकळ बनवते. व्यसनामुळे रोग, ताण, शारीरिक असंतुलन, गोंधळ, द्वेष, क्रोध यांसारख्या परिस्थितींमध्ये वाढ झाल्याने कुटुंबात कलह वाढतो. गुन्ह्यांमध्ये वाढ होण्यात नशा मोठी भूमिका बजावते, अर्ध्याहून अधिक गुन्हे हे नशेत किंवा नशेसाठी केले जातात. आजकाल गुन्हेगारी झपाट्याने वाढली असून अंमली पदार्थांचा अवैध व्यवसायही शिगेला पोहोचला आहे.
समाजात अंमली पदार्थांच्या व्यसनाधीनांचे स्थान (Place of Drug Addicts
in Society) :- अंमली पदार्थांच्या व्यसनाधीनांना समाजात तुच्छतेने
पाहिले जाते, कुटुंबातील लोक आणि नातेवाईकही त्यांच्यापासून दूर पळतात. नशेत पैशाचा
अपव्यय होत असल्याने समाजातील प्रतिष्ठाही झपाट्याने कमी होते. नशेत माणसाची विचारशक्ती
कमकुवत होते. अंमली पदार्थांच्या आहारी गेलेले लोक अस्वस्थ राहतात, जीवनातील आनंद नाहीसा
होऊ लागतो. लोकांकडून तिरस्कार होतो. काही वेळा तर कुटुंबातील सदस्य आणि शेजारी व्यसनाधीन
लोकांना इतके कंटाळतात की ते त्यांच्या मृत्यूची इच्छा देखील करू लागतात. अंमली पदार्थांच्या
व्यसनींना समाजात कोणीही चांगले मानत नाही. व्यसनाधीनांना कोणी कामावर ठेवू इच्छित
नाही, कारण ते व्यवस्थित कामे करीत नाहीं परिणामी, आर्थिक अडचणींमुळे ते स्वतःच्या
मूलभूत गरजा पूर्ण करू शकत नाहीत. नशेच्या आहारी जाण्यासाठी व्यसनाधीन गुन्हे करण्यासही
तयार असतात. त्यामुळे समाजात दारिद्र्य, नशा आणि गुन्हेगारीचे चक्र असेच सुरू असते.
अंमली पदार्थांचा विषापासून जगाला वाचवण्यासाठी (To Save the World from the Poison of Drugs) :- “अंमली पदार्थांचे सेवन आणि अवैध तस्करी विरुद्ध आंतरराष्ट्रीय दिवस” दरवर्षी २६ जून रोजी जगभरात जनजागृती करण्यासाठी पाळला जातो आणि अंमली पदार्थांपासून मुक्त जग साध्य करण्यासाठी आवश्यक असलेल्या कृती आणि सहकार्याला बळकटी दिली जाते. अंमली पदार्थांचा वापर करणाऱ्या अनेक व्यसनींना कलंक आणि भेदभावाचा सामना करावा लागतो आणि परिणामी त्यांना योग्य उपचार, आधार मिळत नाही. या वर्षी २०२३ ची थीम आहे Theme - "लोक प्रथम: कलंक आणि भेदभाव थांबवा, प्रतिबंध मजबूत करा". या वर्षीच्या मोहिमेचा उद्देश अमली पदार्थांचे व्यसन असलेल्या लोकांशी आदर आणि सहानुभूतीने वागण्याच्या महत्त्वाविषयी जागरूकता निर्माण करणे आहे; जेणे करून त्या व्यसनींना आपल्या सर्वांच्या सहकार्याने नशामुक्त होऊन पुन्हा सन्मानाने जगण्याची संधी मिळेल.
मुलांमध्ये अंमली पदार्थांचे व्यसन वाढतंय (Drug Addiction is Increasing in Children) :- नॅशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्सने केलेल्या अभ्यासानुसार, देशातील किशोरवयीन मुलांमध्ये तंबाखू आणि दारू ही सर्वात सामान्य व्यसनं आहेत, मग इनहेलेंट्स आणि भांग आहेत. तंबाखूचा वापर सुरू केलेले सरासरी वय १२ वर्षे दर्शविले, आणखी एका अभ्यासात असे आढळून आले आहे की ४६% झोपडपट्टीत राहणाऱ्या किशोरवयीन मुलांनी अगदी लहान वयात धूम्रपान आणि तंबाखू, तसेच दारू आणि गांजा यांचा वापर सुरू केला होता. शहरांतील अनेक झोपडपट्ट्यांमध्ये किंवा अनेक ग्रामीण भागात अगदी ६-७ वर्षे वयोगटातील मुलेही ज्वलनशील रसायने व अंमली पदार्थांचा उग्र वास घेतांना किंवा तंबाखू खाताना दिसतात. २०२२ मध्ये २६,६२९ किशोरवयीन मुलांनी अंमली पदार्थ सेवन केल्याची नोंद झाली आहे, जी २०१६ च्या तुलनेत ३००% वाढ दर्शवते. सामाजिक न्याय आणि सक्षमीकरण मंत्रालयाने केलेल्या राष्ट्रीय व्यापक सर्वेक्षणानुसार, देशात ६ कोटींहून अधिक ड्रग्ज वापरणारे आहेत. ज्यामध्ये मोठ्या संख्येने वापरकर्ते १०-१७ वयोगटातील आहेत.
शालेय विद्यार्थीही अंमली पदार्थांचे सेवन करीत आहेत (School Students are also Consuming Drugs) :- ऑल इंडिया इन्स्टिट्यूट ऑफ मेडिकल सायन्सेसच्या नॅशनल ड्रग डिपेंडन्स ट्रीटमेंट सेंटरने शालेय विद्यार्थ्यांमधील अंमली पदार्थांच्या गैरवापरावर केलेल्या अभ्यासादरम्यान असे आढळून आले की, सर्वेक्षण केलेल्या १४ पैकी १ विद्यार्थ्यांनी गेल्या महिन्यात कोणत्यातरी अंमली पदार्थ वापरले होते. हे सर्वेक्षण मे २०१९-जून २०२० दरम्यान इयत्ता ८-१२ च्या सुमारे ६००० शालेय विद्यार्थ्यांवर करण्यात आले. सर्वेक्षणात असे आढळून आले की १०% पेक्षा जास्त विद्यार्थ्यांनी मादक द्रव्यांचे सेवन (इनहेलेंट्स, कॅनॅबिस, ओपिओइड्सपासून ते अल्कोहोल आणि तंबाखूपर्यंत) केले होते. वर्षनिहाय विश्लेषणात असे दिसून आले की ४% तंबाखू वापरतात, त्यानंतर अल्कोहोल ३.८%, ओपिओइड्स २.८% (अफु, हेरॉइन आणि फार्मास्युटिकल ओपिओइड्स), कैनबिस (भांग, चरस आणि गांजा) २% आणि १.९% टक्के विद्यार्थ्यांनी इनहेलेंट्स चा नशा केला. इंडियन जर्नल ऑफ सायकियाट्रीने मेटा-विश्लेषणात म्हटले आहे की, शालेय विद्यार्थ्यांमध्ये मादक पदार्थांच्या सेवनाचे प्रमाण १८% इतके जास्त आहे.
देशात अंमली पदार्थांच्या सेवनात सातत्याने वाढ (Drug Abuse is increasing in the Country) :- गेल्या आठ वर्षांत भारतात अंमली पदार्थांचा वापर ७० टक्क्यांनी वाढला असून, देशात सुमारे १०० दशलक्ष व्यसनी आहेत. संयुक्त राष्ट्रांच्या म्हणण्यानुसार, भारतातील १३ टक्के ड्रग्ज व्यसनी हे २० वर्षांपेक्षा कमी वयाचे आहेत. देशाच्या सामाजिक न्याय आणि सक्षमीकरण मंत्रालयाने शेवटच्या अहवालात अंमली पदार्थांच्या अंदाजे वापराची आकडेवारी जाहीर केली आहे, त्यात असे दिसून आले की ३१ दशलक्ष गांजाचे वापरकर्ते होते, २४ दशलक्ष ओपिओइड वापरकर्ते आणि ७.७ दशलक्ष इनहेलर वापरत होते. २०४७ पर्यंत भारताला ‘अंमली पदार्थ मुक्त’ करण्याचे सरकारचे उद्दिष्ट आहे.
पालकांचे व्यस्ततेचे निमित्त आणि मुलांवर त्यांचा आंधळा विश्वास (The Excuse of Busyness of the Parents and their Blind Faith in the Children) :- आजच्या आधुनिक युगात मुलं खूप सक्रिय आणि महत्त्वाकांक्षी दिसतात. मुलांना लवकरात लवकर स्वतंत्र आणि स्वावलंबी व्हायचे असते. आधुनिकता आणि इंटरनेटमुळे मुले खूप लवकर मोठी झालेली दिसतात. बहुतेक पालक असेही म्हणतात की त्यांची मुले खूप हुशार आणि होनहार आहेत. सर्व पालकांना त्यांच्या मुलांचा अभिमान आहे, ही चांगली गोष्ट आहे, परंतु आजच्या काळात पालकांनी मुलांच्या चांगल्या-वाईट सर्व कामांकडे लक्ष देणे अत्यंत गरजेचे झाले आहे. मुलांमध्ये नशेच्या वाढत्या प्रमाणाला सर्वात मोठे दोषी पालक आहेत, जर वेळीच मुलांना योग्य मार्गदर्शन आणि सोयीस्कर संगोपण मिळाले असते तर इतकी वाईट परिस्थिती उद्भवली नसती. मुलांची दैनंदिन दिनचर्या, त्यांचे मित्र, वर्गमित्र, मुले कोणाला भेटतात, कुठे येतात-जातात, त्यांचा वेळ कुठे आणि किती घालवतात हे पालकांनी जाणून घेतले पाहिजे. मुलांचे पालकांशी खोटे बोलणे आणि बेकायदेशीर कृत्यांमध्ये गुंतण्याचे प्रमाण आजकाल खूप वाढले आहे. अंमली पदार्थांकडे वाटचाल करणारी तरुण पिढी समाजासाठी शाप ठरली आहे. या वयात मुलांना अधिक हाताळणीची आवश्यकता असते. पालकांचा व्यस्ततेचा बहाणा आणि मुलांवरचा त्यांचा आंधळा विश्वास मुलांच्या येणाऱ्या उज्वल भविष्याला उद्ध्वस्ततेकडे वळवतो.
मुलांना ड्रग्जपासून वाचवण्याची जबाबदारी पालकांची (Parents'
Responsibility to Protect Children from Drugs) :- मुलांना
बोलण्यात किंवा वागण्यात कसलाही संकोच वाटू नये म्हणून पालकांनी मुलांना मित्रासारखे
वागवावे. मुलांसोबत वेळ घालवावा, मुलांचे वर्तन त्यांच्या जिज्ञासा आणि स्वभावानुसार
समजून घेणे, खोटा देखावा टाळावा, मुलांसोबत पालकांनी जीवनातील चांगल्या-वाईट गोष्टी,
अनुभव शेअर करावें. मुलांसमोर कधीही अयोग्य वागू नका. पालकांनी मुलांसमोर नशा करणे
ही लज्जास्पद बाब आहे. नशा कोणीही कधीही कोणत्याही वयात कधीच करू नये, नशेमुळे फक्त
नुकसानच होते. आजची मुले ही उद्याच्या देशाचे उज्ज्वल भविष्य आहेत, आजची तरुण पिढी
ड्रग्जच्या आहारी जात आहे, त्यांना अंमली पदार्थांपासून वाचवण्याची जबाबदारी पालकांची
आहे. आपली जबाबदारी चोखपणे पार पाडणे हे पालकांचे परम कर्तव्य आहे. देश अंमली पदार्थमुक्त
करण्यासाठी पालकांबरोबरच शिक्षक, समाज आणि सरकारची जबाबदारीही खूप महत्त्वाची आहे.
नशा मुक्त होऊन आनंदी आयुष्य जगूया आणि सशक्त देश घडवूया. जर तुम्ही किंवा कुटुंबातील
कोणताही सदस्य अमली पदार्थांच्या गैरवापराचा बळी असेल, तर तुम्ही भारत सरकारच्या सामाजिक
न्याय आणि सक्षमीकरण मंत्रालयाने स्थापन केलेल्या नशा मुक्त भारत अभियानाच्या राष्ट्रीय
टोल-फ्री हेल्पलाइन क्रमांक १४४४६ द्वारे मदत घेऊ शकता.
डॉ. प्रितम भि. गेडाम
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जगातील महान समाजसुधारकांची नावे आपल्या मनात येताच, त्यांच्याबद्दल आदर आणि श्रद्धेने आपण भरून जातो, कारण त्यांनी लोकांच्या कल्याणासाठी संघर्ष...
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जगात लाखो लोक दररोज उपासमारीच्या वेदनांसह जगतात. म्हातारपण असो, शारीरिक दुर्बलता, गंभीर आजार, अपंगत्व, अनाथत्व असो किंवा इतर कोणतीही असहाय्य...



















































