सोमवार, 29 अगस्त 2022
आधुनिक पीढ़ी की खेलों से दूरी, बढ़ा रही समस्या और बीमारी -- देश विदेश के प्रमुख समाचार पत्रों द्वारा प्रकाशित लेख Distance from sports is increasing problems and diseases in children (National Sports Day 29th Aug. 2022)
जीवन में खेलों का महत्व अतुलनीय (राष्ट्रीय खेल दिवस विशेष - 29 अगस्त ) National Shorts Day 29th August
भारतीय इतिहास के सबसे महान खिलाड़ी के रूप में प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंदजी का जन्मदिन, हर साल 29 अगस्त, पुरे देश में "राष्ट्रीय खेल दिवस" के रूप में मनाया जाता है। वह वर्ष 1928, 1932 और 1936 में तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक अर्जित करने के अलावा, अपने असाधारण गेंद नियंत्रण हुनर और गोल-स्कोरिंग कारनामों के लिए जाने जाते रहे, भारत ने 1928 से 1964 तक आठ में से सात ओलंपिक में फील्ड हॉकी स्पर्धा जीती। उनके इसी असाधारण प्रतिभा के कारण उन्हें हॉकी के जादूगर के नाम से जाना जाता है। उन्होंने अपने पुरे करियर में कुल मिलाकर 1000 से अधिक गोल किए। भारत सरकार ने 1956 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण से उन्हें सम्मानित किया। भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान, मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार का नाम उनके ही नाम पर रखा गया है। राष्ट्रीय खेल दिवस पर देशभर में, खेलों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने और खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बड़े उत्साह के साथ विभिन्न खेल स्पर्धाओं और सेमिनारों का आयोजन किया जाता हैं। आनंद राठी इन्वेस्टमेंट बैंकिंग की रिपोर्ट अनुसार खेल उद्योग के रूप में 2020 में 27 बिलियन डॉलर से 2027 तक 100 बिलियन डॉलर के मूल्य तक पहुंचने के लिए यह व्यवसाय पांच गुना बढ़ने की संभावना है।
sports important part of life :- आज आधुनिकता के चक्कर में अधिकतर लोग
व्यस्थ नजर आते है। आलस्य, प्रदुषण, मिलावटखोरी के कारण शारीरिक और मानसिक
बीमारियां अत्यधिक तेजी से बढ़ रही है। आधुनिक संसाधन और सोशल मीडिया ने युवा वर्ग
को आउटडोर खेलों से काफी दूर कर दिया है। समाज में खेलों की भूमिका न केवल व्यक्ति
के लिए बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण हो गई है। खेल शारीरिक और
मानसिक रूप से व्यक्ति को मजबूत बनाता हैं, इससे अनुशासन और भागीदारी की भावना
बढ़ती है, स्फूर्तिवान बनते है। खेल से अच्छे स्वास्थ्यवर्धक खान-पान की आदत पड़ती
है, बीमारी को रोकने या कम करने में शारीरिक गतिविधि और व्यायाम का महत्वपूर्ण
सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। खेल, तनाव को प्रबंधित करने में मदद करता हैं, अवसाद
और चिंता को कम करके एकाग्रता बढ़ाता है, दिमाग को तेज रखने के लिए खेलों में
सक्रिय बने रहना चाहिए। हर दिन 30 मिनट का व्यायाम भी तन-मन को सुकून दिलाता है।
खेल, व्यक्ति के मूड और नींद की गुणवत्ता से लेकर संचार और नेतृत्व कौशल को भी
प्रभावित करता है। खेल में भाग लेने से दोस्तों के साथ जुड़ सकते हैं, समय का
सदुपयोग करके बुरी आदतों से बचे रहते है। खेलों में भाग लेने से सोच और विश्लेषण
कौशल में सुधार होता है और अच्छे निर्णय लेने में मदद मिलती है। मस्तिष्क को सतर्क
रखकर कार्यों में सुधार करने और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार होता है।
खेल द्वारा आत्म-विश्वास बढ़कर सामाजिक कौशल में सुधार होता है, संतुलित वजन बनाए
रखकर स्वस्थ जीवन शैली जीने की संभावना बढ़ती है। खेलों से एकजुटता और सहयोगी भावना
का विकास होता है, स्वस्थ व्यक्ति या खिलाडी से स्वस्थ समाज का निर्माण होता है और
स्वस्थ समाज से स्वस्थ देश बनता है। यथासंभव हर रोज प्रत्येक व्यक्ति ने आउटडोर खेल खेलने चाहिए।
Need to improve sports :- आबादी
के मामले में हमारा देश विश्व में दूसरे क्रमांक पर है, लेकिन हमेशा विश्वस्तरीय
खेल महोत्सव प्रतियोगिताओं के पदक तालिकाओं में हम पीछे रह जाते है और छोटे-छोटे
देश पदक तालिकाओं में शीर्ष पर नजर आते है। ऐसा नहीं है कि हम खेलों में पिछड़ते जा
रहे है, पहले के मुकाबले हमारा खेल प्रदर्शन बेहतर हो रहा है। देश में खेल
प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, देश के हर शहर, हर गली मोहल्ले से हुनरबाज़ निकलते
है, कमी है तो बस इन हुनरबाज़ो को निखारने की और उनकी योग्यताओं को पहचानने की। आज
भी सम्पूर्ण विश्व में अपने खेल प्रतिभा से देश का नाम रोशन करनेवाले अधिकतर
खिलाड़ी अति सामान्य परिवार और ग्रामीण क्षेत्र से आते है। खिलाडी अपने जीवन में
अनेक आर्थिक समस्याओं से लड़ते हुए आगे बढे है। जीवन में समय की कीमत खिलाड़ी बेहतर
समझते है क्योंकि प्रतियोगिता में विजेता माइक्रो सेकंड के अंतर से बदलते है। खेलों
को बढ़ावा और खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की ओर से अनेक योजनाएं
और कार्यक्रम चलाये जाते है। शिक्षा और नौकरियों में खिलाड़ियों के लिए तय कोटा
होता है, खेल प्रतिभाओं का विशेष सम्मान होता है, विशेष उपलब्धि पर खिलाड़ियों को
पुरस्कार और धनराशि प्रदान की जाती है। फिर भी देश की आबादी के मुकाबले खेलों को
प्रोत्साहन कम ही है, अनेक प्रतिभावान खिलाडी आर्थिक तंगी के कारण खेलों से दूर हो
जाते है।
It is necessary to encourage sports :- खेल
हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, खेल गतिविधियों में पारंगत कुशल शारीरिक
शिक्षक की शैक्षिक केंद्र में कमी मुख्य चुनौती है। यह सुनिश्चित करना होगा कि खेल
और शारीरिक शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों के साथ-साथ प्रत्येक स्कूल में
शारीरिक शिक्षकों की भर्ती लगातार होनी चाहिए। शिक्षण संस्थानों में कुशल खेल
शिक्षक होना समय की मांग है। ये केवल शिक्षण संस्थानों में ही सीमित नहीं हैं
बल्कि प्रशिक्षण केंद्र में भी शारीरिक शिक्षकों और प्रशिक्षकों की कमी है।
शारीरिक शिक्षा या खेल शिक्षा के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। उचित
मार्गदर्शन के अभाव में खिलाडी कैसे तैयार होंगे? एक कुशल शारीरिक शिक्षक की कमी खेल
शिक्षा के भविष्य के लिए बहुत बड़ी समस्या है। शिक्षक बच्चों को उनके पसंदीदा खेलों
की पहचान करने, उनके हुनर को समझ कर और फिर उनमें महारत हासिल करने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाते हैं। खेल के माध्यम से, एक स्कूल छात्रों में नेतृत्व, विवाद
प्रबंधन, टीम निर्माण, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और अनुशासन जैसे गुण पैदा करता है।
खेल, व्यक्ति को सामान्य से सम्पूर्ण व्यक्तिमत्व बनने का मार्ग प्रशस्त कर देता है।
Need to identify sporting talents :- अनेक
अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ी व पैरालंपिक खिलाड़ी आज आर्थिक स्थिति से जूझ
रहे है, परिवार का भरण पोषण करने के लिए छोटा-मोटा जो मिले, वह कार्य कर रहे है,
तो कोई गुमनामी की जिंदगी काट रहे है। सरकार की ओर से उन्हें नौकरी, सरकारी सहायता
या उन्हें स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिए आर्थिक मदद करनी चाहिए। हमारे
देश में क्रिकेट के अलावा भी अब अन्य अनेक खेल लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे है।
देश में सभी तरह के खेलों को उचित मंच उपलब्ध करवाना चाहिए, उन्हें राष्ट्रीय
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहन मिलना चाहिए। देश में नई खेल प्रतिभाओं को ढूंढकर
उनको समाज के सामने लाकर उचित प्लेटफार्म देने के लिए राष्ट्रीय खेल प्रतिभा टीवी.
चैनल शुरू होना चाहिए, जो सम्पूर्णत देश के कोने-कोने से नए खिलाड़ियों को खोजने के
लिए समर्पित हों। देश के प्रत्येक जिले में सरकार की ओर से संचालित अंतरराष्ट्रीय
स्तर के खेल प्रशिक्षण केंद्र होने चाहिए। ऐसे सभी केंद्रों पर विश्वस्तरीय पदक
विजेता खिलाड़ियों ने प्रशिक्षक की भूमिका निभानी चाहिए। ऐसे केंद्र द्वारा विश्वस्तरीय प्रशिक्षण जिले के सभी
गांव-कस्बों के नए खिलाडी को मिलेगा। आजकल पढ़ाई के साथ-साथ खेल बहुत जरुरी है।
पालकों ने अपने बच्चो की प्रतिभा को पहचानकर खेलो में सक्रिय होने के लिए बढ़ावा
देना चाहिए। बच्चे खेलों में नाम कमाने के साथ अच्छा करिअर बना सकते है। खूब
खेलें, स्वस्थ रहें, सशक्त देश बनायें।
डॉ. प्रितम भि. गेडाम
खेळाशिवाय आपले जीवन अपुरे (राष्ट्रीय क्रीडा दिन विशेष - २९ ऑगस्ट) Our life is incomplete without sports (National Sports Day Special - 29th August)
भारतीय इतिहासातील महान खेळाडू म्हणून ओळखले जाणारे, मेजर ध्यानचंदजी यांचा वाढदिवस, दरवर्षी २९ ऑगस्ट हा दिवस देशभरात "राष्ट्रीय क्रीडा दिन" म्हणून साजरा केला जातो. १९२८, १९३२ आणि १९३६ मध्ये तीन ऑलिम्पिक सुवर्णपदके मिळवण्याव्यतिरिक्त, ते त्याच्या असाधारण चेंडू नियंत्रण कौशल्ये आणि गोल-स्कोअरिंग पराक्रमासाठी ओळखले जायचे. १९२८ ते १९६४ या कालावधीत भारताने आठपैकी सात ऑलिम्पिकमध्ये फील्ड हॉकी स्पर्धा जिंकली. त्यांच्या असामान्य प्रतिभेमुळे त्यांना हॉकीचा जादूगर म्हणून ओळखतात. त्यांनी आपल्या संपूर्ण कारकिर्दीत १००० हून अधिक गोल केले. भारत सरकारने १९५६ मध्ये त्यांना पद्मभूषण, देशाचा तिसरा सर्वोच्च नागरी सन्मान देऊन सन्मानित केले. भारतातील सर्वोच्च क्रीडा सन्मान, मेजर ध्यानचंद खेलरत्न पुरस्कार त्यांच्या नावावर आहे. राष्ट्रीय क्रीडा दिनानिमित्त, खेळांचे महत्त्व आणि खेळांना प्रोत्साहन देण्यासाठी देशभरात विविध क्रीडा स्पर्धा, कार्यक्रम आणि चर्चासत्रे मोठ्या उत्साहाने आयोजित केली जातात. आनंद राठी इन्व्हेस्टमेंट बँकिंगच्या अहवालानुसार, क्रीडा उद्योग २०२० मध्ये २७ अब्ज डॉलर वरून २०२७ पर्यंत १०० अब्ज डॉलर्सपर्यंत पोहोचण्याची शक्यता असल्याने व्यवसाय पाचपट वाढण्याची अपेक्षा आहे.
आज बहुतेक लोक आधुनिकतेच्या चक्रात
व्यस्त आहेत. आळस, प्रदूषण, भेसळमुळे शारीरिक आणि मानसिक आजार खूप वेगाने वाढत आहेत.
आधुनिक संसाधने आणि सोशल मीडियाने तरुणांना मैदानी खेळांपासून दूर नेले आहे. समाजात
खेळाची भूमिका केवळ व्यक्तीसाठीच नाही तर सार्वजनिक आरोग्यासाठीही महत्त्वाची बनली
आहे. खेळामुळे व्यक्ती शारीरिक आणि मानसिकदृष्ट्या मजबूत बनते, शिस्त आणि सहभागाची
भावना वाढते, उत्साही बनते. खेळापासून चांगल्या स्वास्थकर आहाराची सवयी लागतात, शारीरिक
हालचाली आणि व्यायामामुळे रोग टाळण्यास किंवा ते कमी करण्यात महत्वाचा सकारात्मक परिणाम
होतो. खेळामुळे ताण-तणावाचे व्यवस्थापन करण्यात मदत होते, नैराश्य आणि चिंता कमी होऊन
एकाग्रता सुधारते, मेंदू तल्लख ठेवण्यासाठी खेळामध्ये सक्रिय राहणे आवश्यक आहे. दररोज
३० मिनिटांचा व्यायाम देखील शरीराला आणि मनाला आराम देतो. खेळाचा परिणाम व्यक्तीच्या
मनःस्थितीवर आणि झोपेच्या गुणवत्तेवर तसेच संवाद आणि नेतृत्व कौशल्यांवर देखील होतो.
खेळांमध्ये भाग घेऊन, आपण चांगल्या मित्रांचा संपर्कात राहू शकतो, खेळात आपल्या वेळेचा
चांगला वापर करून बाहेरच्या वाईट सवयी टाळू शकतो. खेळातील सहभागामुळे विचारशक्ती आणि
विश्लेषण कौशल्य सुधारते आणि चांगले निर्णय घेण्यास मदत होते. मेंदूला सजग ठेवल्याने
त्याची कार्ये करण्याची आणि लक्ष केंद्रित करण्याची क्षमता सुधारते. खेळ आत्मविश्वास
वाढवून, संतुलित वजन राखून निरोगी जीवनशैली जगण्याची शक्यता वाढवून सामाजिक कौशल्ये
सुधारतात. खेळामुळे एकता आणि सहकार्याची भावना विकसित होते, निरोगी व्यक्ती किंवा खेळाडू
हे निरोगी समाज घडवतात आणि निरोगी समाज निरोगी देश बनवतो. प्रत्येक व्यक्तीने दररोज
शक्य तितके मैदानी खेळ खेळले पाहिजेत.
आपला देश लोकसंख्येच्या
बाबतीत जगात दुस-या क्रमांकावर आहे, परंतु जागतिक दर्जाच्या क्रीडा महोत्सवांच्या स्पर्धांच्या
पदक तक्त्यामध्ये आपण नेहमीच मागे राहतो आणि लहान- लहान देश पदक तक्त्यामध्ये वरती
दिसतात. असे नाही की खेळात आपण मागे पडत आहोत, आपली खेळाची कामगिरी पूर्वीपेक्षा चांगली
होत आहे. देशात क्रीडा प्रतिभेची कमतरता नाही, देशातील प्रत्येक शहरातून, गल्लीतून,
परिसरातून प्रतिभा उदयास येत आहेत, देशात या कलागुणांना वाव देण्यासाठी आणि त्यांच्या
क्षमता ओळखण्याच्या कौशल्याचा अभाव आहे. आज जगभरात क्रीडा प्रतिभेने देशाचे नाव रोशन
करणारे बहुतांश खेळाडू हे अगदी सामान्य कुटुंबातील आणि ग्रामीण भागातील आहेत. खेळाडूंना
आयुष्यातील वेळेचे मूल्य अधिक चांगले समजते कारण स्पर्धेतील विजेते मायक्रोसेकंदांचा
अंतराने बदलतात. अनेक आर्थिक समस्यांशी लढा देत या खेळाडूने आयुष्यात प्रगती केली आहे.
खेळांना प्रोत्साहन देण्यासाठी आणि क्रीडा कलागुणांना प्रोत्साहन देण्यासाठी सरकारकडून
अनेक योजना आणि कार्यक्रम राबवले जातात. शिक्षण आणि नोकऱ्यांमध्ये खेळाडूंसाठी विशेष
कोटा असतो, क्रीडा प्रतिभांचा विशेष सन्मान आहे, विशेष कामगिरीवर खेळाडूंना पुरस्कार
आणि पैसे दिले जातात. तरीही देशाच्या लोकसंख्येच्या तुलनेत खेळांना प्रोत्साहन देण्याचे
प्रमाण फार
कमी आहे. अनेक गुणवंत खेळाडू आर्थिक अडचणींमुळे खेळापासून दूर जातात.
खेळ हा आपल्या
जीवनाचा एक महत्त्वाचा भाग आहे, शैक्षणिक केंद्रातील मुख्य आव्हान म्हणजे क्रीडा क्रियाकलापांमध्ये
पारंगत असलेल्या कुशल शारीरिक शिक्षकाची कमतरता. क्रीडा आणि शारीरिक शिक्षण देणाऱ्या
शाळांसोबतच प्रत्येक शाळेत शारीरिक शिक्षकांची सतत नियुक्ती करण्यात यावी, याची काळजी
घ्यावी लागेल. शैक्षणिक संस्थांमध्ये कुशल क्रीडा शिक्षक असणे ही काळाची गरज आहे. हे
केवळ शैक्षणिक संस्थांपुरते मर्यादित नसून प्रशिक्षण केंद्रात शारीरिक शिक्षक आणि प्रशिक्षकांचीही
कमतरता आहे. शारीरिक शिक्षण किंवा क्रीडा शिक्षणासाठी मार्गदर्शन आवश्यक आहे. योग्य
मार्गदर्शनाअभावी खेळाडूंची तयारी कशी होणार? कुशल शारीरिक शिक्षकाचा अभाव ही क्रीडा
शिक्षणाच्या भवितव्यासाठी मोठी समस्या आहे. मुलांना त्यांचे आवडते खेळ ओळखण्यात, त्यांची
कौशल्ये समजून घेण्यात आणि नंतर त्यांना त्यात पारंगत करण्यात शिक्षकांची मोलाची भूमिका
असते. खेळाच्या माध्यमातून शाळेतील विद्यार्थ्यांमध्ये नेतृत्व, विवाद व्यवस्थापन,
टीम बांधणी, स्वस्थ स्पर्धा आणि शिस्त यांसारखे गुण विकसित होतात. खेळामुळे व्यक्तीला
सामान्यातून संपूर्ण व्यक्तिमत्वाकडे जाण्याचा
मार्ग मोकळा होतो.
अनेक आंतरराष्ट्रीय
पदक विजेते खेळाडू आणि पॅरालिम्पिक खेळाडू आज आर्थिक परिस्थितीशी झुंजत आहेत, कुटुंबाचे
उदरनिर्वाह करण्यासाठी जे काही मिळेल ते काम करत आहेत, तर काही जण निनावी जीवन जगत
आहेत. त्यांना नोकरी, शासकीय मदत किंवा क्रीडा प्रशिक्षण केंद्र सुरू करण्यासाठी शासनाकडून
आर्थिक मदत देण्यात यावी. आपल्या देशात क्रिकेटशिवाय आता इतर अनेक खेळ लोकांचे लक्ष
वेधून घेत आहेत. देशातील सर्व प्रकारच्या खेळांना योग्य व्यासपीठ उपलब्ध करून द्यावे,
त्यांना राष्ट्रीय व आंतरराष्ट्रीय स्तरावर प्रोत्साहन द्यावे. देशातील नवीन क्रीडा
प्रतिभा शोधण्यासाठी आणि त्यांना लोकांसमोर आणून योग्य व्यासपीठ देण्यासाठी राष्ट्रीय
खेल प्रतिभा टीव्हीचॅनल्स सुरू केले पाहिजेत, जे देशाच्या कानाकोपऱ्यातून नवीन खेळाडू
शोधण्यासाठी पूर्णपणे समर्पित असावे. देशातील प्रत्येक जिल्ह्यात शासनामार्फत चालविण्यात
येणारी आंतरराष्ट्रीय दर्जाची क्रीडा प्रशिक्षण केंद्रे असावीत. अशा सर्व केंद्रांवर
जागतिक दर्जाचे पदक विजेत्या खेळाडूंनी प्रशिक्षकाची भूमिका बजावली पाहिजे. अशा केंद्रामार्फत
जागतिक दर्जाचे प्रशिक्षण जिल्ह्यातील सर्व गावे व शहरातील नवीन खेळाडूंना मिळणार.
सध्याच्या काळात अभ्यासासोबत खेळ देखील खूप गरजेचे आहे. पालकांनी मुलांमधील कलागुण
ओळखून त्यांना खेळात सक्रिय होण्यासाठी प्रोत्साहन द्यावे. मुले खेळात नाव कमवून चांगले
करिअर करू शकतात. खूप खेळा, निरोगी राहा, मजबूत राष्ट्र घडवा.
डॉ. प्रितम भि. गेडाम
शुक्रवार, 19 अगस्त 2022
विश्व मानवतावादी दिवस पर प्रकाशित विषय विशेष लेख देश के प्रमुख समाचारपत्रों द्वारा Special articles published on World Humanitarian Day by major newspapers of the country (World Humanitarian Day 19 Aug. 2022)
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जगातील महान समाजसुधारकांची नावे आपल्या मनात येताच, त्यांच्याबद्दल आदर आणि श्रद्धेने आपण भरून जातो, कारण त्यांनी लोकांच्या कल्याणासाठी संघर्ष...
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जगात लाखो लोक दररोज उपासमारीच्या वेदनांसह जगतात. म्हातारपण असो, शारीरिक दुर्बलता, गंभीर आजार, अपंगत्व, अनाथत्व असो किंवा इतर कोणतीही असहाय्य...































































