तंबाकू, बीड़ी, सिगार, हुक्का, क्रेटेक्स, जर्दा, पान मसाला, खर्रा, चिलम, खैनी, गुटखा, ई-सिगरेट और न जाने कितने ही प्रकार से इस जानलेवा पदार्थ का सेवन हमारे समाज में बडे पैमाने पर किया जाता हैं। बड़ी विडम्बना यह है कि तम्बाकू हमें बहुत ही आसानी से उपलब्ध हो जाता है और बच्चे से लेकर जवान, बुजुर्ग तक इस घातक नशीले पदार्थ के आदी नजर आते हैं। ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में बच्चे बड़ी मात्रा में तंबाकू के आदी हैं। स्कूल और कॉलेज के छात्र भी इसका सेवन करते हैं। महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के ग्रामीण इलाके में एक प्रसंग में जाने के दौरान मैंने वहां लोगों की भीड़ में एक पांच साल के बच्चे को तंबाकू का सेवन करते देखा था, यह वाकया देखकर मैं दंग रह गया कि इतना छोटा बच्चा कैसे घातक जहर का आदी हो गया और जैसे ही मैंने बच्चे को पुकारा, वह भाग गया, जब वहां के लोगों से मैंने इस विषय पर बात की, तो उन्होंने कहा कि यहां तो यह आम बात है, नशा न करनेवाले लोगो को सिर्फ तंबाकू की गंध से चक्कर, मितली आने लगती हैं, फिर न जाने कैसे छोटे-छोटे बच्चे भी इस जानलेवा नशे के चंगुल में फंस जाते हैं, यह एक बहुत ही गंभीर विषय है।
नशे जैसी कई समस्याएं हमारे
समाज में तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन लोगों में जागरूकता ही नहीं है। हमारे समाज में
दो लोगों का वर्ग है जो इस तरह की गंभीर समस्याओं को अच्छी तरह समझते हैं। प्रथम वर्ग
वे हैं जो सामाजिक समस्याओं की गहराई के बारे में जानकर, विश्लेषण करके, निष्कर्ष निकालकर
सामाजिक उत्तरदायित्व को बखूबी निभाते हैं और दूसरा वर्ग, जो उस समस्या से पीड़ित हैं
या उस समस्या से गुजर चुके हैं, वे ऐसी समस्याओं को समझते हैं इनके अलावा सभी लोग अपने-अपने
स्वार्थ के अनुसार जीते हैं और कहते है कि इस समस्या से हमारा क्या संबंध? अर्थात जब
तक उस समस्या से हमारा खुद का नुकसान होता नही, हम जागेंगे नही। यह बहुत ही दुखद है
कि हमारे समाज में ऐसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने का जज्बा बहुत कम लोगों में देखने
को मिलता है। जबकि प्रत्येक नागरिक का समाज के प्रति नैतिक दायित्व होता है कि समाज
में फैली समस्याओं को दूर करने के लिए हमेशा तत्पर रहें।
तंबाकू उत्पादों में हजारों
जहरीले पदार्थ होते हैं। इसमें मुख्य रूप से निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड, टार होता
है। निकोटीन ज्यादातर पूरे शरीर में, हड्डियों, मांसपेशियों में फैलता है। कार्बन मोनोऑक्साइड
रक्त में ले जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम करता है। जिससे सांस लेने में दिक्कत
होती है। टार एक चिपचिपा पदार्थ है, जिसमें बेंज़ोपाइरीन होता है, जो घातक कैंसर के
लिए सहायक के रूप में कार्य करता है। अन्य घातक पदार्थों में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन
ऑक्साइड, अमोनिया, वाष्पशील नाइट्रोसमाइन, हाइड्रोजन साइनाइड, वाष्पशील सल्फर युक्त
यौगिक, वाष्पशील हाइड्रोकार्बन, अल्कोहल, एल्डिहाइड और कीटोन शामिल हैं और इनमें से
कुछ यौगिक शरीर के विभिन्न हिस्सों में कैंसर पैदा करने के लिए जाने जाते हैं। चबाने
वाले तंबाकू उत्पादों का सेवन करने के बाद सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से भी कोरोना,
तपेदिक, स्वाइन फ्लू, इंसेफेलाइटिस जैसे कई संक्रामक रोग फैलने की संभावना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार
मुख्य तथ्य
तंबाकू अपने आधे उपयोगकर्ताओं
की जान ले लेता है। तंबाकू से हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है। उन मौतों
में से 70 लाख से अधिक प्रत्यक्ष तंबाकू के उपयोग का परिणाम हैं, जबकि लगभग 10-12 लाख
मौत धूम्रपान न करनेवाले परंतु दुसरे के धूम्रपान द्वारा निर्मित धुएं के संपर्क में
आने का परिणाम हैं, इसे निष्क्रिय धूम्रपान अथवा या सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में
आना कहते है। लगभग आधे बच्चे नियमित रूप से सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू के धुएं से
प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, और 65000 हर साल इस धुएं के कारण होने वाली बीमारियों
से मर जाते हैं। विश्व के 130 करोड तंबाकू उपयोगकर्ताओं में से 80 प्रतिशत से अधिक
निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। तंबाकू दुनिया के अब तक के सबसे बड़े सार्वजनिक
स्वास्थ्य खतरों में से एक है।
देश में तंबाकू संबंधित तथ्य
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे
इंडिया-2, 2016-17 के अनुसार, भारत में लगभग 27 करोड लोग (15 वर्ष से अधिक) तंबाकू
के उपयोगकर्ता हैं। तंबाकू भारत में मृत्यु और बीमारी के प्रमुख कारणों में से एक है
और हर साल लगभग 13 लाख के मौतों का कारण है अर्थात देश में हर रोज 3500 के आसपास मौंत।
देश में कैंसर के लगभग आधे मामले तंबाकू के सेवन के कारण होते हैं। विश्व स्वास्थ्य
संगठन के अनुसार, भारत में, 15 वर्ष से अधिक उम्र के 28.6 प्रतिशत और 13 से 15 बच्चों
में से लगभग 15 प्रतिशत बच्चों ने 2018 में किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन किया।
हर दिन, 18 वर्ष से कम उम्र के लगभग 2,500 बच्चे अपनी पहली सिगरेट पीते हैं, और उनमें
से 400 से अधिक नए, नियमित दैनिक धूम्रपान करने वाले बन जाते हैं एंव उनमें से आधे
अंततः अपनी लत से जीवन खो देते हैं। द टोबैको एटलस के अनुसार, 10 से 14 वर्ष की आयु
के 6,25,000 से अधिक भारतीय बच्चे हर दिन सिगरेट पीते हैं। मंत्रालय द्वारा किये गए
एक अध्ययन अनुसार वर्ष 2011 में तंबाकू के सेवन से होनेवाली सभी बिमारीयों व मौतों
के वजह से 1,04,500 करोड रूपये की कुल आर्थिक लागत आयी जो कि भारत जैसे विकासशील देश
के लिए बहुत बडा बोझ हैं। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के अनुसार, भारत दुनिया में
तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और निर्यातक है। भारतीय तंबाकू की विविधता के चलते
भारत दुनियाभर के 100 से ज्यादा देशों में तंबाकू निर्यात करता है और अरबों रूपये राजस्व
के रूप मे प्राप्त करता हैं। तारी और एसोचैम की रिपोर्ट अनुसार देश में तंबाकू का कुल
व्यापार 11,79,498 करोड़ रुपये है।
तंबाकू संबंधित कानूनी प्रतिबंध
भारत सरकार ने तंबाकू के उपयोग
को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न तरह के कानून अधिनियमित किये हैं। भारत सरकार ने
मई 2003 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कानून पारित किया गया, जिसे सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद नियंत्रण अधिनियम का नाम दिया गया। सभी सार्वजनिक
स्थानों पर धूम्रपान निषेध हैं। तंबाकू के सभी उत्पादों के विज्ञापनों के संवर्धन और
प्रायोजन पर प्रतिबंध है अठारह वर्ष की उम्र से कम उम्र के व्यक्ति पर तंबाकू की बिक्री
करने पर प्रतिबंध है। सभी तंबाकू उत्पादों पर स्वास्थ्य चेतावनी का लेबल लगाया जाना
अनिवार्य है। तंबाकू के पैकेट में अधिकतम अनुमेय सीमा के साथ निकोटीन और टार सामग्री
व निर्दिष्ट चेतावनी को तंबाकू पैकेट के 85 प्रतिशत भाग पर दर्शाया जाना चाहिए। कानून
का उल्लंघन करने पर 5 साल तक कारावास और 10,000 हजार रूपये तक का जुर्माना लगाने का
प्रावधान है।
तंबाकू आज ही छोडे
विश्व मे मुँह से संबंधित कर्करोग
के रोगियों की संख्या सर्वाधिक भारत मे है जिनमे 90 प्रतिशत मुँह के कैंसर तंबाकू के
सेवन के कारण होते है। देश में विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पाद बहुत कम कीमतों पर
सहज उपलब्ध हैं। भारतीय आबादी में, विशेष रूप से ग्रामीण भारतीयों में, कुछ गलत धारणाएं
हैं कि धूम्रपान रहित तंबाकू बीड़ी और सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक है, और तंबाकू
का उपयोग चिंता, शरीर में दर्द और सूजन से राहत देता है। डिजिटल, सोशल मीडिया और प्रिंट
मीडिया के माध्यम से इन मिथकों को समाज से मिटाना होगा। सरकार, प्रशासन, संस्थानों
द्वारा राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय, राज्य स्तर, स्थानीय स्तर पर कई जागरूकता कार्यक्रम,
तंबाकू नशामुक्ति के लिए स्वास्थ्य अभियान चलाए जाते हैं।
तंबाकू की लत से छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले सकारात्मक सोच और
मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत होती है, कोई भी व्यक्ति नशे से मुक्त होकर सुखी, स्वस्थ
जीवन का आनंद ले सकता है। बस आपको यह सत्य जानकर चलना है कि नशा दर्दनाक मौत है और
हमें एक सुंदर स्वस्थ जीवन चुनना है। हमें अपने संकल्प और संयम पर कायम रहना होगा चाहे
कितनी भी जद्दोजहद करनी पड़े, हमें नशे पर काबू पाना है। तंबाकू की लत छुडवाने के लिए
अपने जिला अंतर्गत तंबाकू नशामुक्ति केन्द्र/स्वास्थ्य केन्द्र पर संपर्क करें अथवा
तंबाकू मुक्ति सेवा केन्द्र 1800-11-2356 (टोल फ्री) पर कॉल करें या दूरभाष क्रमांक
011-22901701 पर मिस कॉल करें इसके अलावा भारत सरकार की नेशनल हेल्थ पोर्टल वेबसाइट
के क्वीट टोबॅको पर जाकर खुद को पंजीकृत कर तंबाकू धूम्रपान नशामुक्ति की सुविधा का
लाभ उठायें और स्वस्थ रहें।
डॉ.
प्रितम भि. गेडाम


