सोमवार, 31 मई 2021

तंबाकू जैसे जानलेवा जहर के प्रति अधिक जागरूकता की आवश्यकता (विश्व तंबाकू निषेध दिवस - 31 मई 2021) More awareness needed about the deadly poison tobacco (World No Tobacco Day - May 31, 2021)

 

तंबाकू, बीड़ी, सिगार, हुक्का, क्रेटेक्स, जर्दा, पान मसाला, खर्रा, चिलम, खैनी, गुटखा, ई-सिगरेट और न जाने कितने ही प्रकार से इस जानलेवा पदार्थ का सेवन हमारे समाज में बडे पैमाने पर किया जाता हैं। बड़ी विडम्बना यह है कि तम्बाकू हमें बहुत ही आसानी से उपलब्ध हो जाता है और बच्चे से लेकर जवान, बुजुर्ग तक इस घातक नशीले पदार्थ के आदी नजर आते हैं। ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में बच्चे बड़ी मात्रा में तंबाकू के आदी हैं। स्कूल और कॉलेज के छात्र भी इसका सेवन करते हैं। महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के ग्रामीण इलाके में एक प्रसंग में जाने के दौरान मैंने वहां लोगों की भीड़ में एक पांच साल के बच्चे को तंबाकू का सेवन करते देखा था, यह वाकया देखकर मैं दंग रह गया कि इतना छोटा बच्चा कैसे घातक जहर का आदी हो गया और जैसे ही मैंने बच्चे को पुकारा, वह भाग गया, जब वहां के लोगों से मैंने इस विषय पर बात की, तो उन्होंने कहा कि यहां तो यह आम बात है, नशा न करनेवाले लोगो को सिर्फ तंबाकू की गंध से चक्कर, मितली आने लगती हैं, फिर न जाने कैसे छोटे-छोटे बच्चे भी इस जानलेवा नशे के चंगुल में फंस जाते हैं, यह एक बहुत ही गंभीर विषय है।

नशे जैसी कई समस्याएं हमारे समाज में तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन लोगों में जागरूकता ही नहीं है। हमारे समाज में दो लोगों का वर्ग है जो इस तरह की गंभीर समस्याओं को अच्छी तरह समझते हैं। प्रथम वर्ग वे हैं जो सामाजिक समस्याओं की गहराई के बारे में जानकर, विश्लेषण करके, निष्कर्ष निकालकर सामाजिक उत्तरदायित्व को बखूबी निभाते हैं और दूसरा वर्ग, जो उस समस्या से पीड़ित हैं या उस समस्या से गुजर चुके हैं, वे ऐसी समस्याओं को समझते हैं इनके अलावा सभी लोग अपने-अपने स्वार्थ के अनुसार जीते हैं और कहते है कि इस समस्या से हमारा क्या संबंध? अर्थात जब तक उस समस्या से हमारा खुद का नुकसान होता नही, हम जागेंगे नही। यह बहुत ही दुखद है कि हमारे समाज में ऐसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने का जज्बा बहुत कम लोगों में देखने को मिलता है। जबकि प्रत्येक नागरिक का समाज के प्रति नैतिक दायित्व होता है कि समाज में फैली समस्याओं को दूर करने के लिए हमेशा तत्पर रहें।

तंबाकू उत्पादों में हजारों जहरीले पदार्थ होते हैं। इसमें मुख्य रूप से निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड, टार होता है। निकोटीन ज्यादातर पूरे शरीर में, हड्डियों, मांसपेशियों में फैलता है। कार्बन मोनोऑक्साइड रक्त में ले जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम करता है। जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। टार एक चिपचिपा पदार्थ है, जिसमें बेंज़ोपाइरीन होता है, जो घातक कैंसर के लिए सहायक के रूप में कार्य करता है। अन्य घातक पदार्थों में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया, वाष्पशील नाइट्रोसमाइन, हाइड्रोजन साइनाइड, वाष्पशील सल्फर युक्त यौगिक, वाष्पशील हाइड्रोकार्बन, अल्कोहल, एल्डिहाइड और कीटोन शामिल हैं और इनमें से कुछ यौगिक शरीर के विभिन्न हिस्सों में कैंसर पैदा करने के लिए जाने जाते हैं। चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का सेवन करने के बाद सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से भी कोरोना, तपेदिक, स्वाइन फ्लू, इंसेफेलाइटिस जैसे कई संक्रामक रोग फैलने की संभावना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार मुख्य तथ्य

तंबाकू अपने आधे उपयोगकर्ताओं की जान ले लेता है। तंबाकू से हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है। उन मौतों में से 70 लाख से अधिक प्रत्यक्ष तंबाकू के उपयोग का परिणाम हैं, जबकि लगभग 10-12 लाख मौत धूम्रपान न करनेवाले परंतु दुसरे के धूम्रपान द्वारा निर्मित धुएं के संपर्क में आने का परिणाम हैं, इसे निष्क्रिय धूम्रपान अथवा या सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आना कहते है। लगभग आधे बच्चे नियमित रूप से सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू के धुएं से प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, और 65000 हर साल इस धुएं के कारण होने वाली बीमारियों से मर जाते हैं। विश्व के 130 करोड तंबाकू उपयोगकर्ताओं में से 80 प्रतिशत से अधिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। तंबाकू दुनिया के अब तक के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक है।

देश में तंबाकू संबंधित तथ्य

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया-2, 2016-17 के अनुसार, भारत में लगभग 27 करोड लोग (15 वर्ष से अधिक) तंबाकू के उपयोगकर्ता हैं। तंबाकू भारत में मृत्यु और बीमारी के प्रमुख कारणों में से एक है और हर साल लगभग 13 लाख के मौतों का कारण है अर्थात देश में हर रोज 3500 के आसपास मौंत। देश में कैंसर के लगभग आधे मामले तंबाकू के सेवन के कारण होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में, 15 वर्ष से अधिक उम्र के 28.6 प्रतिशत और 13 से 15 बच्चों में से लगभग 15 प्रतिशत बच्चों ने 2018 में किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन किया। हर दिन, 18 वर्ष से कम उम्र के लगभग 2,500 बच्चे अपनी पहली सिगरेट पीते हैं, और उनमें से 400 से अधिक नए, नियमित दैनिक धूम्रपान करने वाले बन जाते हैं एंव उनमें से आधे अंततः अपनी लत से जीवन खो देते हैं। द टोबैको एटलस के अनुसार, 10 से 14 वर्ष की आयु के 6,25,000 से अधिक भारतीय बच्चे हर दिन सिगरेट पीते हैं। मंत्रालय द्वारा किये गए एक अध्ययन अनुसार वर्ष 2011 में तंबाकू के सेवन से होनेवाली सभी बिमारीयों व मौतों के वजह से 1,04,500 करोड रूपये की कुल आर्थिक लागत आयी जो कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए बहुत बडा बोझ हैं। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के अनुसार, भारत दुनिया में तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और निर्यातक है। भारतीय तंबाकू की विविधता के चलते भारत दुनियाभर के 100 से ज्यादा देशों में तंबाकू निर्यात करता है और अरबों रूपये राजस्व के रूप मे प्राप्त करता हैं। तारी और एसोचैम की रिपोर्ट अनुसार देश में तंबाकू का कुल व्यापार 11,79,498 करोड़ रुपये है।

तंबाकू संबंधित कानूनी प्रतिबंध

भारत सरकार ने तंबाकू के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न तरह के कानून अधिनियमित किये हैं। भारत सरकार ने मई 2003 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कानून पारित किया गया, जिसे सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद नियंत्रण अधिनियम का नाम दिया गया। सभी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध हैं। तंबाकू के सभी उत्पादों के विज्ञापनों के संवर्धन और प्रायोजन पर प्रतिबंध है अठारह वर्ष की उम्र से कम उम्र के व्यक्ति पर तंबाकू की बिक्री करने पर प्रतिबंध है। सभी तंबाकू उत्पादों पर स्वास्थ्य चेतावनी का लेबल लगाया जाना अनिवार्य है। तंबाकू के पैकेट में अधिकतम अनुमेय सीमा के साथ निकोटीन और टार सामग्री व निर्दिष्ट चेतावनी को तंबाकू पैकेट के 85 प्रतिशत भाग पर दर्शाया जाना चाहिए। कानून का उल्लंघन करने पर 5 साल तक कारावास और 10,000 हजार रूपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।

तंबाकू आज ही छोडे

विश्व मे मुँह से संबंधित कर्करोग के रोगियों की संख्या सर्वाधिक भारत मे है जिनमे 90 प्रतिशत मुँह के कैंसर तंबाकू के सेवन के कारण होते है। देश में विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पाद बहुत कम कीमतों पर सहज उपलब्ध हैं। भारतीय आबादी में, विशेष रूप से ग्रामीण भारतीयों में, कुछ गलत धारणाएं हैं कि धूम्रपान रहित तंबाकू बीड़ी और सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक है, और तंबाकू का उपयोग चिंता, शरीर में दर्द और सूजन से राहत देता है। डिजिटल, सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया के माध्यम से इन मिथकों को समाज से मिटाना होगा। सरकार, प्रशासन, संस्थानों द्वारा राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय, राज्य स्तर, स्थानीय स्तर पर कई जागरूकता कार्यक्रम, तंबाकू नशामुक्ति के लिए स्वास्थ्य अभियान चलाए जाते हैं।

तंबाकू की लत से छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले सकारात्मक सोच और मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत होती है, कोई भी व्यक्ति नशे से मुक्त होकर सुखी, स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकता है। बस आपको यह सत्य जानकर चलना है कि नशा दर्दनाक मौत है और हमें एक सुंदर स्वस्थ जीवन चुनना है। हमें अपने संकल्प और संयम पर कायम रहना होगा चाहे कितनी भी जद्दोजहद करनी पड़े, हमें नशे पर काबू पाना है। तंबाकू की लत छुडवाने के लिए अपने जिला अंतर्गत तंबाकू नशामुक्ति केन्द्र/स्वास्थ्य केन्द्र पर संपर्क करें अथवा तंबाकू मुक्ति सेवा केन्द्र 1800-11-2356 (टोल फ्री) पर कॉल करें या दूरभाष क्रमांक 011-22901701 पर मिस कॉल करें इसके अलावा भारत सरकार की नेशनल हेल्थ पोर्टल वेबसाइट के क्वीट टोबॅको पर जाकर खुद को पंजीकृत कर तंबाकू धूम्रपान नशामुक्ति की सुविधा का लाभ उठायें और स्वस्थ रहें।

डॉ. प्रितम भि. गेडाम


तंबाखू सारख्या जीवघेणे विष बद्दल अधिक जागरूकता आवश्यक (जागतिक तंबाखू निषेध दिन - ३१ मे २०२१) More awareness needed about deadly poisons like tobacco (World No Tobacco Day - 31 May 2021)

 

तंबाखू, बिडी, सिगार, हुक्का, क्रिटेक्स, पान मसाला, खर्रा, चिलम, खैनी, गुटखा, ई-सिगारेट आणि अशा कित्येक प्राणघातक पदार्थांचा मोठ्या प्रमाणात सेवन होतो. खूप मोठी विडंबना ही आहे की तंबाखू सारखे विष आपल्याला अगदी स्वस्त, सहजपणे उपलब्ध होतो आणि लहान मुलांपासून ते युवा, वृद्धांपर्यंत सगळेच या घातक व्यसनाचा आहारी असल्याचे दिसून येतात. ग्रामीण आणि दुर्गम भागातील लोक तंबाखूच्या अति प्रमाणात व्यसनाधीन झाले आहेत. शाळा-महाविद्यालयीन विद्यार्थीही तंबाखूचे व्यसन करतात. महाराष्ट्रातील चंद्रपूर जिल्ह्याच्या ग्रामीण भागात एका कार्यक्रमात जाताना मी पाच वर्षाच्या मुलाला तंबाखूचे सेवन करताना पाहिले, या घटनेने मी स्तब्ध झालो की ऐवळ लहान मुल कसे काय व्यसनाधीन झाले? मी त्या मुलाला हाक देताच तो पळून गेला, जेव्हा मी तेथील लोकांशी ह्या समस्येवर बोललो तेव्हा ते म्हणाले की येथे ही गोष्ट खूप सामान्य आहे, लहान मुले, आई-वडील, म्हातारी मंडळी अधिकांश लोक तंबाखूचे सेवन करतात. निर्व्यसनी लोकांना तंबाखूच्या वासाने सुद्धा चक्कर येते, मळमळ वाटू लागते, मग माहित नाही ही लहान कोवळ्या शरीराची मुलेदेखील ह्या नशेच्या तावडीत कसे अडकतात, ही अतिशय गंभीर बाब आहे.

    व्यसनासारखे अनेक समस्या आपल्या समाजात प्रचंड वेगाने वाढत आहेत, परंतु लोकांमध्ये जागरूकताच नाही.आपल्या समाजात दोन प्रकारचा लोकांचा वर्ग आहे ज्या अशा गंभीर समस्या चांगल्याप्रकारे समजतात. पहिला वर्ग त्या लोकांचा जे, समस्यांना ओळखूण, विश्लेषण आणि निष्कर्ष समजून दक्ष नागरीक म्हणून सामाजिक बांधीलकी पाडतात लोकांना जागरूक करतात, समाजाची काळजी करतात, सामाजिक जबाबदारी चांगल्यापणे निभावतात. आणि दुसरा वर्ग, जे या समस्येने ग्रस्त आहेत किंवा समस्येतून गेले आहेत त्यांना अशा समस्यांची जाण असते ते समजून घेतात. या व्यतिरिक्त सर्व लोक अशा समस्यांकडे दुर्लक्ष करतात, स्वतःच्या स्वार्थानुसार जगतात आणि म्हणतात की अशा समस्येशी माझा काय संबंध?. आपले स्वताचे जोपर्यंत नुकसान होत नाही तो पर्यंत आपण जागरूक होत नाही. आपल्या समाजात हे खूप मोठे दुर्दैव आहे की अशा सामाजिक समस्यांना दूर करण्याची धाडसी वृत्ती फारच थोड्या लोकांमध्ये दिसून येते. जेव्हाकी समाजातील अशा सर्व समस्यांना सोडवणे प्रत्येक नागरिकाची नैतिक जबाबदारी असते.

व्यसन करणाऱ्या लोकांद्वारे सिगरेट बिडीचा विषारी धूर जवळपासच्या वातावरणात पसरतो व त्या वातावणातील लोकांना देखील आजारी बनवतो. तंबाखूजन्य पदार्थांमध्ये हजारो प्रकारचे जिवघेणे विषारी पदार्थ असतात. त्यात प्रामुख्याने निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड, टार असते. निकोटीन शरीरात, हाडे, स्नायूंमध्ये पसरते. कार्बन मोनोऑक्साइड रक्तामध्ये वाहून नेणाऱ्या ऑक्सिजनचे प्रमाण कमी करते ज्यामुळे श्वास घेण्यात अडचण येते. टार हा बेंझोपायरिनयुक्त एक चिकट पदार्थ आहे जो घातक कर्करोगासाठी सहायक म्हणून काम करतो. इतर विषारी पदार्थांमध्ये कार्बनडाय ऑक्साईड, नायट्रोज्नॉक्साईड, अमोनिया, वाष्पशील नायट्रोसामाइन, हायड्रोजन सायनाइड, वाष्पशील सल्फर, वाष्पशील हायड्रोकार्बन, अल्कोहोल, अल्डीहाइड्स आणि केटोन्स यांचा समावेश आहे आणि यातील काही संयुगे शरीराच्या वेगवेगळ्या भागांमध्ये कर्करोगासाठी कारणीभूत ठरतात. तंबाखूजन्य पदार्थांचे सेवन केल्यावर सार्वजनिक ठिकाणी थुंकण्या मुळे देखील कोरोना, क्षयरोग, स्वाइन फ्लू, एन्सेफलायटीस सारख्या अनेक संसर्गजन्य रोगांचा प्रादुर्भाव होण्याची शक्यता असते.

जागतिक आरोग्य संघटनेच्या मते महत्त्वाची तथ्ये

तंबाखूमुळे त्याचे अर्धे वापरकर्ते जीव गमावतात. दरवर्षी तंबाखूमुळे 80 लाखांहून अधिक लोक मरतात. यापैकी 70 लाखांहून अधिक मृत्यू हे थेट तंबाखूच्या वापरामुळे होते, सुमारे 10-12 लाख लोक स्वतः धूम्रपान न करणारे पण दुसर्या व्यसनकर्त्याचा धूम्रपानाचा धुराची लागण होत असून मृत्यूमुखी पडतात, याला निष्क्रीय किंवा सैकंड हैंड धूम्रपान म्हणतात. जवळजवळ अर्धी मुले सार्वजनिक ठिकाणी तंबाखूच्या धुराद्वारे प्रदूषित हवेमध्ये श्वास घेतात आणि दरवर्षी या धुरामुळे होणाऱ्या आजारांमुळे 65,000 लोकांचा मृत्यू होतो. जगातील 130 कोटी तंबाखू वापरणाऱ्या पैकी 80 टक्क्यांपेक्षा अधिक लोक निम्न आणि मध्यम उत्पन्न असलेल्या देशात राहतात. तंबाखू हा जगातील आतापर्यंतच्या सर्वात मोठा सार्वजनिक आरोग्यास धोक्यापैकी एक आहे.

देशात तंबाखू बद्दल तथ्य

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया-2, 2016-17 नुसार भारतात तंबाखूचे सेवन करणारे सुमारे 27 कोटी लोक (15 वर्षांहून अधिक) आहेत. तंबाखू हा मृत्यू आणि आजार होण्याचे मुख्य कारण आहे आणि यामुळे दरवर्षी देशात सुमारे 13 लाख मृत्यू म्हणजेच दररोज सुमारे 3500 मृत्यू होतात. देशातील कर्करोगाच्या जवळपास अर्धा घटना तंबाखूच्या वापरामुळे होतात. महाराष्ट्रात सध्या 6.0% पुरुष, 1.4% महिला आणि 3.8% सर्व प्रौढ तंबाखूचे सेवन करतात. जागतिक आरोग्य संगठनेच्या म्हणण्यानुसार, 15 वर्षापेक्षा जास्त वयाच्या 28.6 टक्के आणि 13 ते 15 वर्षे वयोगटातील सुमारे 15 टक्के मुलांनी 2018 मध्ये भारतात कोणत्या न कोणत्या स्वरूपात तंबाखूचे सेवन केले. दररोज 18 वर्षाखालील सुमारे 2500 मुले पहिली सिगारेट ओढतात आणि त्यातील 400 हून अधिक नवीन मुले रोजचे धूम्रपान करणारे होतात आणि त्यापैकी अर्धे शेवटी स्वताचा जीव गमावतात. द टोबॅको एटलसच्या मते, 10 ते 14 वयोगटातील 6,25,000 हून अधिक भारतीय मुले दररोज सिगारेट ओढतात. मंत्रालयाने केलेल्या अभ्यासानुसार, 2011 साली तंबाखूच्या सेवनाने होणारे सर्व रोग उपचार आणि मृत्यू यामुळे एकूण 1,04,500 कोटी रुपये खर्च आला, जो भारतासारख्या विकसनशील देशासाठी मोठा ओझा आहे. इंडिया ब्रँड इक्विटी फाउंडेशनच्या म्हणण्यानुसार भारत जगातील दुसर्या क्रमांकाचा सर्वात मोठा तंबाखूचा ग्राहक आणि निर्यातदार देश आहे. भारतीय तंबाखूच्या विविधतेमुळे भारत जगातील 100 हून अधिक देशांमध्ये तंबाखूची निर्यात करतो आणि अब्जों रुपये महसूल प्राप्त करतो. तारी आणि असोचॅमच्या अहवालानुसार देशात एकूण तंबाखूचा आर्थिक व्यापार 11,79,498 कोटी रुपये आहे.

तंबाखू संबंधित कायदेशीर प्रतिबंध

तंबाखूच्या वापरावर नियंत्रण ठेवण्यासाठी भारत सरकारने विविध कायदे केले आहेत. राष्ट्रिय तंबाखू नियंत्रण कायदा भारत सरकारने मे 2003 मध्ये सिगरेट आणि इतर तंबाखूजन्य पदार्थ नियंत्रण कायदा या नावाने मंजूर केला. सर्व सार्वजनिक ठिकाणी धूम्रपान करण्यास मनाई आहे. सर्व तंबाखूजन्य पदार्थांच्या जाहिरातींचे प्रचार आणि प्रायोजकत्तेवर बंदी आहे. अठरा वर्षाखालील व्यक्तीस तंबाखू विक्री प्रतिबंधित आहे. सर्व तंबाखूजन्य पदार्थांवर आरोग्य चेतावणीचे लेबल लावणे बंधनकारक आहे. तंबाखूच्या पॅकेटमध्ये परवानगी असलेल्या मर्यादेसह निकोटिन, टार सामग्री आणि निर्दिष्ट चेतावणी तंबाखूच्या पॅकेटवर 85 टक्के भागात दर्शविली जावी. कायद्याचे उल्लंघन केल्याबद्दल 5 वर्षापर्यंत कारावास आणि 10 हजार रुपयांपर्यंत दंड करण्याची तरतूद आहे.

तंबाखू आतापासूनच सोडा

जगात सर्वाधिक तोंडाचा कर्करोगाचे रुग्ण भारतात आहेत, त्यापैकी 90 टक्के तोंडाचा कर्करोग तंबाखूच्या वापरामुळे होतो. देशात तंबाखूची विविध प्रकारची उत्पादने अतिशय कमी किंमतीत उपलब्ध आहेत. भारतीय लोकांमध्ये, विशेषत ग्रामीण भारतीयांमध्ये असे काही गैरसमज आहेत की तंबाखू हे धूम्रपान बिडी व सिगारेटपेक्षा कमी हानिकारक आहे आणि तंबाखूच्या वापरामुळे चिंता, शारीरिक दुखणें, सूजन, थकवा, पोटविकार आणि अश्या छोट्यामोठ्या आजारावर आराम होतो. डिजिटल, सोशल मीडिया आणि प्रिंटमीडियाच्या माध्यमांद्वारे समाजातून हे गैरसमज दूर करणे फार गरजेचे आहे. राष्ट्रीय, आंतरराष्ट्रीय, राज्यस्तरीय, स्थानिक पातळीवर शासन, प्रशासन, संस्था यांच्यामार्फत अनेक जागरूकता कार्यक्रम, तंबाखूच्या व्यसनमुक्तीसाठी आरोग्य अभियान राबविले जातात.

तंबाखूच्या व्यसनातून मुक्त होण्यासाठी प्रथम सकारात्मक विचार व दृढ इच्छाशक्ती आवश्यक आहे. कोणालाही व्यसनातून मुक्त होऊन आनंदी आणि निरोगी आयुष्याचा आनंद घेता येईल. आपल्याला फक्त हे सत्य गृहित धरायचे आहे की व्यसन एक वेदनादायक मृत्यू आहे आणि आपल्याला एक सुंदर निरोगी जीवन निवडायचे आहे. आपल्याला कितीही कठोर संघर्ष करावा लागला तरी आपल्याला या नशेवर नियंत्रण मिळवायचे आहे. आपण आपल्या निश्चयावर ठाम व संयम जोपासायला हवे, तंबाखूच्या व्यसनापासून मुक्त होण्यासाठी आपल्या जिल्ह्यातील तंबाखू व्यसनमुक्ती केंद्र/आरोग्य केंद्राशी संपर्क साधा किंवा तंबाकुमुक्ती सेवा केंद्रावर 1800-11-2356 (टोल फ्री) वर संपर्क साधा किंवा दूरध्वनी क्रमांक 011-22901701 वर मिस कॉल करा त्याशिवाय भारत सरकारच्या नेशनल हेल्थ पोर्टल वेबसाइटच्या क्वीट टोबॅकोवर जाऊन स्वतःची नोंद करून घ्या व तंबाखू, धूम्रपान व्यसनमुक्तीच्या सुविधेचा लाभ घ्या. स्वस्थ राहा, अमूल्य जीवन जगा.

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

सोमवार, 17 मई 2021

आधुनिक जीवन शैली बढा रही उच्च रक्तचाप की समस्या (विश्व उच्च रक्तचाप दिवस - 17 मई 2021) Modern lifestyle is increasing the problem of high blood pressure (World Hypertension Day - 17 May 2021)

 

उच्च रक्तचाप अर्थात हायपरटेंशन वह स्थिती हैं जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है, दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये हृदय को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती हैं। उच्च रक्तचाप मे ब्लड प्रेशर बहुत अधिक होता है। जब आपका हृदय रक्त को बाहर निकालने के लिए धड़कता है तब रक्त का दबाव सिस्टोलिक दबाव कहलाता है और जब हृदय दो धड़कनों के बीच आराम करता है तब रक्त का दबाव डायस्टोलिक दबाव होता है। उच्च रक्तचाप यह गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है और हृदय रोग, स्ट्रोक और कभी-कभी मृत्यु के जोखिम को बढ़ा सकता है, यह साइलेंट किलर की तरह काम करता है। रक्तचाप को नियंत्रण में रखना स्वास्थ्य के संरक्षण और संबंधित घातक स्थितियों के जोखिम को कम करने के लिए जरूरी है। हर साल विश्व उच्च रक्तचाप दिवस 17 मई को दुनियाभर में जनजागृकता के लिए मनाया जाता है इस वर्ष 2021 की थिम “अपने रक्तचाप को सही ढंग से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जीवन जिये” यह है। उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, दिल के दौरे और गुर्दे की बीमारी जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का एक प्रमुख कारण है, बहुत से लोग जो उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, उन्हें यह पता भी नहीं होता है क्योंकि कोई खास लक्षण नजर नही आते है, अक्सर लोगो को केवल दिल का दौरा या स्ट्रोक पीड़ित होने के बाद पता चलता हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार मुख्य तथ्य

उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन - एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे और अन्य बीमारियों के जोखिम को खतरनाक रूप से बढ़ा देती है। दुनिया भर में अनुमानित 1.13 बिलियन लोगों को उच्च रक्तचाप है, जिनमें से अधिकांश (दो-तिहाई) जनसंख्या निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहती हैं। 2015 में, 4 में से 1 पुरुष और 5 में से 1 महिला को उच्च रक्तचाप था। उच्च रक्तचाप वाले 5 में से 1 में यह समस्या नियंत्रण में होती है। उच्च रक्तचाप दुनिया भर में असमय मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। गैर-संचारी रोगों के लिए वैश्विक लक्ष्यों में से एक 2025 तक उच्च रक्तचाप के प्रसार को 25 प्रतिशत तक कम करना हैं।

90 प्रतिशत से अधिक मामलों में, उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के कारणों का पता नहीं चलता है, लेकिन कई ऐसे कारक हैं जो इस बीमारी के खतरे को बढ़ा सकते हैं जैसे कि आपके भोजन में नमक की अधिक मात्रा, वसा युक्त आहार, व्यायाम की कमी, अधिक वजन होना, तंबाकू, धूम्रपान, ज्यादा मात्रा में शराब पीना, बहुत अधिक चाय, कॉफी या अन्य कैफीन आधारित पेय पिना, उच्च रक्तचाप का पारिवारिक इतिहास, तनाव इत्यादि। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, उच्च रक्तचाप होने की संभावना बढ़ जाती है।

भारत देश में स्थिति

भारत में उच्च रक्तचाप के बारे में जागरूकता कम है साथ ही उचित उपचार और नियंत्रण भी कम है। भारत में उच्च रक्तचाप वाले अधिकांश मरीज अपनी वास्तविक स्थिति से अनजान हैं। उच्च रक्तचाप के बारे में जागरूकता का प्रसार केवल एक चौथाई ग्रामीण और दो-तिहाई शहरी भारतीयों में है, और केवल एक चौथाई ग्रामीण और शहरी भारत में पहचाने जाने वाले लोगों में से एक तिहाई इसके लिए उपचार प्राप्त करते हैं। नियंत्रित उच्च रक्तचाप का प्रसार क्रमशः उच्च रक्तचाप वाले ग्रामीण और शहरी रोगियों में लगभग 10 प्रतिशत और 20 प्रतिशत तक ही है। जिन्हें उच्च रक्तचाप के रूप में पहचाना जाता है वे अक्सर अनुचित देखभाल प्राप्त करते हैं या चिकित्सा उपाय योजनाओं का पालन करने में विफल रहते हैं, और अनियंत्रित रहते हैं। अनियंत्रित उच्च रक्तचाप के अलावा, भारत में उच्च रक्तचाप के गलत निदान की भी चुनौती है।

हाइपरटेंशन भारत में नंबर एक स्वास्थ्य संबंधी जोखिम कारक है, जिसका बीमारी और मृत्यु दर में सबसे बड़ा योगदान है। यह इस्केमिक हृदय रोग और स्ट्रोक के कारण भारत में सालाना अनुमानित 1.6 मिलियन से अधिक मौतों में योगदान देता है। 2016 के जीबीडी अध्ययन के आंकड़ों के अनुसार, उच्च रक्तचाप के कारण अकेले वर्ष 2016 में भारत में 1.63 मिलियन मौतें हुईं व इस्केमिक हृदय रोग (54.2 प्रतिशत), स्ट्रोक (56.2 प्रतिशत) और क्रोनिक किडनी रोग (54.5 प्रतिशत) के कारण होने वाली मौतों में से आधे से अधिक उच्च सिस्टोलिक बीपी के कारण हुई। स्ट्रोक से होने वाली मौतों का पचास प्रतिशत और कोरोनरी हृदय रोग से संबंधित 24 प्रतिशत मौतें उच्च रक्तचाप से संबंधित हैं। वृद्ध लोगों के बढ़ते अनुपात के साथ भारत का जनसांख्यिकीय संक्रमण और बढ़ते शहरीकरण से जुड़ी एक गतिहीन जीवनशैली, मोटापा, और अन्य जीवन शैली के कारक जैसे नमक का उच्च स्तर, शराब और तंबाकू का सेवन, उच्च रक्तचाप की समस्या को बढा रहा हैं। भारत में रोगियों में अचानक दिल का दौरा पड़ने के लिए अनियंत्रित उच्च रक्तचाप सबसे सामान्य कारण है, जो भारत के उच्च रक्तचाप नियंत्रण उपक्रम द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है। चार वयस्कों में से एक को भारत में उच्च रक्तचाप है। उच्च रक्तचाप वाले लोगों में, केवल आधे का निदान किया गया है और उनमें से केवल 10 में से 1 का रक्तचाप नियंत्रण में है।

उच्च रक्तचाप के नियंत्रण के लिए उपाय

चिकित्सक अक्सर उच्च रक्तचाप से पीड़ित मरीजों को इलाज के साथ-साथ अपने जीवनशैली में बदलाव लाने का परामर्श अवश्य देतें है ताकि औषधियों पर निर्भरता कम हो एवं मरीज का रक्तचाप नियंत्रण में आये। इसके लिए मरीज को अपने दिनचर्या, खानपान, व्यवहार मे विशेष बदलाव लाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हल्का फुल्का व्यायाम करना शुरू करें, बढ़ते हुए वजन को नियंत्रण मे लाने की ओर सकारात्मक सोच के साथ ही टहलना, पैदल चलना, साइकिल चलाना, एरोबिक करना, तैराकी जैसे शारीरिक व्यायाम करें। तनाव दूर करने के लिए ध्यान, गहरी सांस लेना, मालिश, गर्म स्नान, योग यह तकनीक है जो तनाव को दूर करने में मदद करते हैं। लोगों को तनाव से निपटने के लिए शराब, नशा, तंबाकू और जंक फूड का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये उच्च रक्तचाप की जटिलताओं को बढाने में योगदान कर सकते हैं। धूम्रपान से रक्तचाप बढ़ सकता है, तंबाकू, धूम्रपान से दूर रहने या छोड़ने से उच्च रक्तचाप, गंभीर हृदय की स्थिति और अन्य स्वास्थ्य मुद्दों का खतरा कम हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) उच्च रक्तचाप और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए एक दिन में 5 ग्राम से कम नमक विश्वसनीय स्रोत के तहत सेवन करने की सलाह देता है। अधिक फल, हरी पत्तेदार सब्जियां और कम वसा वाला भोजन करना योग्य है, रेड मीट के बजाय, मछली, टोफू, सी-फूड जैसे स्वस्थ प्रोटीन का विकल्प चुनें। खाने में सलाद और साबुत अनाज की मात्रा बढ़ाएँ। शक्कर का उपयोग कम करें, चाय, कॉफी, शीत पेय, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ लेने से बचें।

यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में सिस्टोलिक रक्तचाप में 2 मिमी की व्यापक कमी से कोरोनरी धमनी की बीमारी के कारण 1,51,000 मौतों को रोका जा सकेगा और स्ट्रोक के कारण होने वाली 1,53,000 मौतों को रोका जा सकेगा। आज के इस आधुनिक युग में हर उम्र के बुजुर्गों के साथ ही बड़ी मात्रा में युवा वर्ग भी उच्च रक्तचाप की समस्या से ग्रसित नजर आ रहे है। चिकित्सक की सलाह अनुसार कुछ समय के अंतराल पर बीपी चेक करते रहें, इलाज कराएं, दिशानिर्देशों का पालन करें, जीवनशैली में बदलाव लाएं और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित कर तनावमुक्त होकर भरपूर जीवन जीये।

डॉ. प्रितम भि. गेडाम