बुधवार, 25 मार्च 2020

वक्त है मानवता दिखाने का, मदद के लिए आगे आने का (कोरोना संक्रमणकाल विशेष) It is time to show humanity, to come forward to help (special during the Corona infection period)

आज, पूरी दुनिया कोरोना जैसी गंभीर महामारी का सामना कर रही है, कई देश खुद को स्थिर रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस भयानक स्थिति को तो इटली, चिन जैसे देशों की खबरों को देखकर समझा जा सकता है जबकि वह देश उन्नत और विकसित देशों की श्रेणी में अग्रणी है, तो फिर ऐसी स्थिति मे विकासशील या अविकसित देशों का क्या हाल हो सकता है? यह विचार मन में आते ही शरीर कांप उठता है, वे देश तो अपना संपूर्ण अस्तित्व ही खो देंगे। ऐसे देशों की विकट स्थिति को देखते हुए, हमें सबक लेना चाहिए और सरकार द्वारा निर्देशित नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए क्योंकि सुरक्षा ही बचाव का तरीका है।

देश में ऐसी गंभीर स्थिति को संभालना न केवल प्रशासन का कार्य है, बल्कि इसमे हम सभी नागरिकों की भागीदारी आवश्यक है, तभी इस संकटकालीन स्थिति को दूर किया जा सकता है, अब हम इंसानों को केवल इंसानियत दिखानी है। आज हमारे देश में कर्फ्यू, लॉकडाउन की स्थिति है, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम सभी घर में ही रहें और कोरोना महामारी की बढ़ती श्रृंखला को तोड़ें। घर में ही सुरक्षित बने रखना भी एक समाज सेवा है।


मदद के लिए आगे आएं :- देश की अधिकांश आबादी यह देहाडी मजदूरी, कामगार या छोटे-मोटे रोज़मर्रा के कार्यों को करके जिवनयापन करते है ऐसे लोगो पर भूखे मरने की नौबत आ सकती हैं, उन्हें ऐसी स्थिति नहीं झेलनी पड़े, इसके लिए अब, कई राज्य प्रशासन ने सहयोग करने की घोषणा की है। कई संगठन इस कठिन समय के दौरान लोगों को मुफ्त भोजन, मास्क, चिकित्सा आपूर्ति वितरित कर रहे हैं। राजस्थान राज्य सरकार ने कोविड -19 राहत कोष बनाया है। जहां लोग मदद कर रहे हैं। नागपुर महामेट्रो ने भी एक दिन का वेतन दिया है और पेंशनरों ने भी ऐसा ही किया है। देश के सभी सरकारी विभागों को भी इस तरह की कार्रवाई पर अमल करना चाहिए। देश मे कर्मचारियों और श्रमिकों की इन दिनो बिकट परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए, निजी कंपनियां और उद्यमीयों ने उनके वेतन में कटौती नहीं करना चाहीये।

दुनिया भर के अमीर दानदाता ने धन जुटाया :- बिल गेट्स, अलीबाबा फ़ाउंडेशन, अमेजॅन, ऐप्पल, अंतर्राष्ट्रीय खेल संगठन, खेल प्रतिनिधि, पॉप स्टार, अमीर उद्योगपति, फैशन वर्ल्ड और अन्य लोग इस वैश्विक महामारी में मदद के लिए आगे आए हैं और अरबों रुपए का फंड बनाया है। वैसे भी, विदेशों में बाढ़, जंगल की आग या किसी अन्य प्रकार की प्राकृतिक आपदा की स्थिति में, सेलिब्रिटी खेल हस्तियां और मशहूर हस्तियां, मदद के लिए सामने आते हैं और यही मानवता है जो समाज को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवश्यक है।

लेकिन हमारे देश में दानदाता की स्थिती अलग क्यू? :- आज, भी हम महामारी की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं कि हमारा भविष्य कितना भयानक हो सकता है। देश में वेदांत इंडस्ट्री, हिंदुस्तान यूनिलीवर ने 100 करोड़ और आनंद महिंद्रा ने वेंटिलेटर बनाने जैसे देश के कल्याण के लिए लोग इस मुसीबत के समय आगे आए हैं, लेकिन देश के सेलिब्रिटी, करोड़पति खेल के प्रतिनिधि विशेषकर क्रिकेटर्स, बड़े अरबपति नेता अभिनेता, उद्यमीयों ने आगे आने और प्रशासन को वित्तीय सहायता करने की बहुत ही जरूरत हैं। आज, देश की जनसंख्या 1,37,63,60,251 को पार कर गई है और यहाँ अमीरी-गरीबी का अंतर भी बहुत बड़ा है। अर्थव्यवस्था के मद्देनज़र, देश में आधे से ज्यादा पैसा चंद अरबपति और करोड़पति लोगों के पास है। ऐसे मे अब लोगो से कमाया हुआ पैसा, लोगो के सहायता मे थोडासा देना है क्योंकि यही वक्त है हमे अपने देश की स्थिती को संभालने की। अगर यह वक्त संभल गया तो हम बहुत बडी संकट की घडी को टाल पायेंगे।

नासमझी और लापरवाही छोडे :- आज देश के बहुत सारे लोग अपनी लापरवाही के चलते देश को डुबोने पर लगे है, चंद लोगो की गलती की सजा अब देश को चुकानी पड़ रही है और पड सकती है, यह एक गंभीर अपराध है, लेकिन कई लोग सोच रहे हैं कि कोरोना हमारा क्या करेगा? हमे कुछ नहीं होगा, बिना किसी सावधानी के लोग अभी भी घूमते रहते हैं, झुंड बनाते हैं, समाज में लोगों को इकट्ठा करते हैं, सोसायटियों मे हजूम बनाते हैं, गलियों में मिलते हैं, पाबंदी के बावजूद घर से बाहर निकलकर पुलिस के साथ बहस करते हैं। ऐसी सभी गतिविधियों पर पूरा नियंत्रण होना बहुत आवश्यक है। हमने पुलिस और जीवनावश्यक सुविधाओं में शामिल कर्मचारियों को पूर्ण सहायता करना, यह हमारी ज़िम्मेदारी हैं। घर में आवश्यक वस्तुओं का भंडारण न करें, दुकानदार भी उचित मूल्य लेकर चीजों को बेचे, ना कि इस कठिन समय में जनता को लूटे। अपने देश के वर्तमान परिस्थिति की गंभीरता समझें, संयम बरते, घर पर रहें और अपने देश, समाज, परिवार के भविष्य की सुरक्षा के लिए सरकारी नियमों का पालन करें।

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

सोमवार, 23 मार्च 2020

23 मार्च, 1931 - शहादत की उस रात को पूरा देश रोया (शहादत दिवस विशेष - 23 मार्च) March 23, 1931 - The whole country wept on that night of martyrdom (Martyrdom Day Special - March 23)

            देश की आजादी में क्रांतिकारी बलिदान को याद करते हुए हमारे दिमाग में सबसे पहली तस्वीर उभरकर आती है, वो है वीर सपूत शहीद ए भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की, जिन्हें 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी। शहादत की उस रात को पूरा देश रो रहा था। भगत सिंह न केवल एक क्रांतिकारी देशभक्त थे, बल्कि एक शिक्षित विचारक, कलम के धनी, दार्शनिक, विचारक, लेखक, पत्रकार भी थे। 23 साल की छोटी उम्र में, उन्होंने फ्रांस, आयरलैंड और रूस की क्रांति का अध्ययन किया। हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, संस्कृत, पंजाबी, बंगाली और आयरिश भाषा के मर्मक चिंतक और विचारक भगत सिंह भारत में समाजवाद के व्याख्याता थे। भगत सिंह एक अच्छे वक्ता और पाठक थे। जेल में रहते हुए, देश के इन क्रांतिकारीयों ने अग्रेंजो के अमानवीय अत्याचारों को सहन किया, लेकिन अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहे। जेल में भगतसिंह के सेल नंबर 14 की हालत बहुत खराब थी, वहां घास उग आयी थी। कोठरी में केवल इतनी जगह थी कि वे मुश्किल से उसमें लेट सकते थे।



भगत सिंह को किताबें पढ़ने का शौक था, फांसी देने से पहले भगत सिंह ”बिस्मिल“ की जीवनी पढ़ रहे थे। फांसी की शाम मिलने आए वकील मेहता से भगत सिंह ने मुस्कुराते हुए पूछा कि क्या आप मेरे लिए किताब “रिवॉल्यूशनरी लेनिन” लेकर आए हैं? जब किताब उन्हें दी गई, तो उन्होंने उसे तुरंत पढ़ना शुरू किया जैसे कि उनके पास ज्यादा समय नहीं बचा हो। वकील मेहता ने उनसे पूछा कि क्या आप देश को कोई संदेश देना चाहेंगे? भगत सिंह ने किताब से अपना मुंह हटाए बिना कहा, केवल दो संदेश - साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और इंकलाब जिंदाबाद! वकील मेहता के जाने के कुछ समय बाद, जेल अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों से कहा कि उन्हें तय समय से 11 घंटे पहले फांसी दी जा रही हैं अर्थात अगले दिन सुबह छह बजे की बजाय उन्हें आज शाम सात बजे ही फांसी दी जाएगी। भगत सिंह वकील मेहता द्वारा दी गई पुस्तक के केवल कुछ पृष्ठ ही पढ़ पाए थे, तो उनके मुंह से निकला, क्या आप मुझे इस पुस्तक का एक अध्याय भी पूरा नहीं पढने देंगे?


भगत सिंह ने जेल में एक मुस्लिम सफाई कर्मचारी बेबे से फांसी के एक दिन पहले शाम को अपने घर से खाना लाने के लिए अनुरोध किया था, लेकिन बेबे भगत सिंह की इस इच्छा को पूरा नहीं कर सके, क्योंकि ग्यारह घंटे पहले भगत सिंह को फांसी देने का फैसला लिया गया था और बेबे जेल के गेट के अंदर नहीं जा सके। थोड़े समय बाद, तीनों क्रांतिकारियों को फांसी की तैयारी के लिए उनकी कोठरीयो से बाहर लाया गया। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अपने हाथ जोड़े और अपना पसंदीदा स्वतंत्रता गीत गाना शुरू किया - "सरफरोशी की तमन्ना हमारे दिलों में है ..."


            भगत सिंह अपने दो साथियों के बीच खड़े थे, भगत सिंह ने अपनी माँ से किया गया अपना वादा पूरा करना चाहते थे कि वे फाँसी के तख्ते पर चढ “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे लगायेंगे। तीनों क्रांतिकारियों ने “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे लगाए और भगत सिंह सुखदेव, राजगुरु ने बहादुरी से फांसी को गले लगा लिया।
 
            लाहौर की सेंट्रल जेल में निर्धारित समय से पहले फांसी लगाने के बाद, पूरे पुलिस बल को वहां से हटा दिया गया। लोगों के दिलों में अग्रेजी हुकूमत के खिलाफ काफी आक्रोश था। उस दिन कोई भी अंग्रेजी अधिकारी को दिखाई देता तो, मार-काट होती, लाशें बिछ जाती, कोई जिंदा नहीं बचता। लोग सड़कों पर निकल कर अपना विरोध व्यक्त कर रहे थे, लेकिन गुस्सा होने के बजाय, वे असहाय विलाप कर रहे थे। लेकिन अंग्रेजों ने विद्रोह के आशंका से, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को निर्धारित तारीख से एक दिन पहले 23 मार्च 1931 की शाम को जेल के अंदर चुपचाप फांसी पर लटका दिया और उनके पार्थिव शरीर को जेल से हटाकर फिरोजपुर के पास सतलज के तट पर ले गये। तब तक रात के 10 बज चुके थे। अंग्रेज इन शहिदो के पार्थिव शरीर के साथ भी क्रूर व्यवहार से पेश आये। अंग्रेजी  सैनिकों द्वारा उनके पार्थिव शरीर में आग लगाई गई ही थी कि लोगो को इसकी भनक लग गई और उस ओर लोग दौड पडे। जैसे ही ब्रिटिश सैनिकों ने लोगों को अपनी ओर आते देखा, वे शव छोड़कर अपने वाहनों की ओर भाग गए। पूरी रात गांव के लोग उन शवों के आसपास पहरा देते रहे। यह खबर मिलते ही पूरे देश में मातम फैल गया। देश के वीर सपूतो ने देश के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया था, संपुर्ण जीवन सिर्फ देश के लिये है और जवानी देश के आजादी के काम आये यही उनका ध्येय था। इन शहीदों की शहादत ने न केवल हमारे देश के स्वाधीनता संग्राम को गति दी, बल्कि नौजवानों के प्रेरणा स्रोत भी बने। वह देश के सभी शहीदों के सिरमौर बन गए। आज भी पूरा देश उनके बलिदान को बड़ी गंभीरता और सम्मान के साथ याद करता है।


    “मेरी कलम मेरी भावनाओं से इस कदर रूबरू है कि मैं जब भी इश्क लिखना चाहूं तो हमेशा इन्कलाब लिखा जाता है”       --    भगत सिंह
 

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

रविवार, 15 मार्च 2020

ग्राहक सुरक्षा का वादा, उपभोक्ता कानून का इरादा (विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस - 15 मार्च, 2020) The promise of consumer protection, the intent of consumer law (World Consumer Rights Day - March 15, 2020)

आज हम आधुनिक युग में जी रहे हैं, वस्तुएँ जल्दी और आसानी से प्राप्त करना संभव है। दिनभर हम उपभोक्ताओं के रूप में सामान और सेवाओं को सीधे या ऑनलाइन खरीद रहे हैं और इसके लिए पैसे गिन रहे हैं, लेकिन क्या मुल्य के बदले मे हमें उसका 100 प्रतिशत फायदा मिलता है? कही हम धोखा तो नही खा रहे? आज बाजार में हम अक्सर नकली सामानों, कम वजन, निम्न दर्जा, रासायनिक मिलावटी खाद्य पदार्थों, अनुचित व्यवहार, एमआरपी दाम से ज्यादा वसूली, शिक्षा, बैंकों, होटलों, यात्रा, चिकित्सा सेवा और कई अन्य क्षेत्रों में धोखाधड़ी की समस्याओं को देखते हैं, लेकिन एक जागरूक उपभोक्ता के रूप में हम इसपर गहन विचार करते हैं? या सिर्फ थोडा देर रोष प्रकट कर आगे बढ जाते है? इस समस्या के शिकार केवल निरक्षर ही नही बल्कि उच्च शिक्षित वर्ग भी बड़ी मात्रा में धोखा खा रहे हैं और अब यह ऑनलाइन नेटवर्किंग के माध्यम से ज्यादा बढ़ गया है। धोखा केवल आर्थिक स्वरूप का ही न होकर मानसिक और शारीरिक रूप मे भी है जो जीवन तबाह कर देता है, अर्थात मिलावटी रसायन से अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ जीवन के लिए गंभीर खतरनाक बीमारी का कारण बनते हैं, लेकिन विक्रेता अपने थोडे-से मुनाफ़े के लिए इस तथ्य की उपेक्षा करते हैं और उपभोक्ता को मृत्यु के काल मे भेजते है। आज के विज्ञापन ग्राहक को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग तरीके के पैतरे आजमाते है, चाहे वह उत्पाद ग्राहक के लायक हो या न हो, लेकिन ऐसा दर्शाते है की इस उत्पाद के बगैर जिवन व्यर्थ है उपभोक्ता को ऐसे विज्ञापन के दिखावे पर न जाकर, उत्पाद खरीदते समय समझदारी से सोचना चाहिए।

उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए कानून:-

उपभोक्ताओं को जागरूक होने की आवश्यकता है और यही कारण है कि सरकार ने उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए विविध कानून बनाए हैं। इसके अलावा, कई संगठन, परिषद, फोरम भी स्थानीय से अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए काम करते हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986, उपभोक्ता संरक्षण नियम, 1987, भारतीय मानक ब्यूरो नियम, 1991, उपभोक्ता कल्याण निधि नियम, 1992, ग्राहक संरक्षण विनियम, 2005, उपभोक्ता संरक्षण विनियम, 2018, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 हैं। वस्तु खरीदते समय उसकी कीमत, उत्पाद निर्माण व समाप्ति की तारीख, नियम व शर्तें, उत्पाद मिश्र सामग्री, वजन और अन्य कारकों को ध्यान से देखें। जरूरी नही कि जो वस्तु सस्ती है वो दर्जेदार न हो और महंगी है तो अच्छी ही हो, इस तथ्य का सबसे अच्छा उदाहरण है जेनेरीक दवाईयाँ इसलिए सिर्फ कीमत पर ही उत्पाद की गुणवत्ता को ना आंके।

ग्राहकों को अपने अधिकारों को पहचानने की जरूरत:-

अक्सर उपभोक्ता धोखाधड़ी के मामले में अपने अधिकारों से अनभिज्ञ होते हैं उपभोक्ता को पता नही होता कि कैसे और कहाँ से मदद लेनी है। जबकि सरकार द्वारा समय-समय पर ग्राहक जागरूकता अभियान चलाया जाता है। सरकार ने जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न विभाग बनाए हैं। देश के प्रत्येक जिले में जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम हैं। राज्य उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग यह राज्य सरकार द्वारा चलाया जाता है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन, जागो उपभोक्ता जागो, कॉन्फोनेट भारत सरकार के ऐसे विभाग हैं जो उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए काम करते हैं। ग्राहक अपनी शिकायत ऑनलाइन भी दर्ज कर सकते हैं, टोल फ्री नंबर, हेल्पलाइन नंबर, ई-मेल आईडी पर मदद मांग सकते हैं या वेबसाइट से समस्या संबंधित सभी तरह की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। शिकायत करने के बाद आप अपनी शिकायत की स्थिति ऑनलाइन देख सकते हैं और शिकायत दर्ज करना बहुत ही आसान है।

शिकायत के लिए संपर्क करें:-

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, केंद्र सरकार की वेबसाइट :- http://www.ncdrc.nic.in/   ईमेल आईडी :- ncdrc@nic.in संपर्क क्रमांक :- 01124608801. देश के सभी जिला स्तरीय उपभोक्ता मंचों की सूची :- http://www.ncdrc.nic.in/districtlist.html पर उपलब्ध है और जिससे आप अपने जिला फोरम से संपर्क कर सकते हैं। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत) वेबसाइट :- http://nationalconsumerhelpline.in/ टोल फ्री नंबर :- 1800114000 या 14404 पर संपर्क करे, इसके अलावा मोबाइल ऐप्प और एसएमएस सेवा के माध्यम से भी संपर्क किया जा सकता है।

जागो ग्राहक जागो वेबसाइट :- http://www-jagograhakjago.com टोल फ्री नंबर :- 1800114424 और ईमेल आईडी :- jagograhakjagohelpline@gmail.com। कॉन्फोनेट (देश में उपभोक्ता मंचों का कम्प्यूटरीकरण और नेटवर्किंग) :- www.cms.nic.in यह ऑनलाइन वेबसाइट ग्राहक से संबंधित सभी मामलों की अद्यतन जानकारी प्रदान करती है।


शिकायत कहाँ दर्ज करें?

   वस्तु या सेवाओं की किंमत और क्षति पूर्ति के लिए मुआवजा।

  • 20 लाख तक रूपये तक संबंधित जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम।
  • 20 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक राज्य उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग मे।
  • 100 लाख से अधिक राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग, दिल्ली।

       यदि शिकायत का कारण बनता है, तो शिकायत दो साल के भीतर दर्ज की जानी चाहिए।

जहां भी शिकायत का कारण उत्पन्न होता है वहा या जहां विरूद्ध पक्ष व्यवसाय करते है या जहां उसकी शाखाएं स्थित है वहा के संबंधित शिकायत मंच, आयोग के पास शिकायत की जा सकती है।

शिकायत कैसे दर्ज करें?

शिकायत दर्ज करने और जवाब मे सुचना प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत सरल और तेज है।

            आप अपनी लिखित शिकायत योग्य फोरम/आयोग को आवश्यक कागज़ात के साथ प्रत्यक्ष या डाक से भेज सकते हैं। शिकायतें राज्यीय भाषा/हिंदी/अंग्रेजी में से किसी भी भाषा में की जा सकती हैं। शिकायत करने के लिए वकील की मदद लेना भी आवश्यक नहीं है। अब तो, ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज की जा सकती है। उपभोक्ताओं को भारतीय मानक ब्यूरो, एगमार्क और आईएसओ प्रमाणित उत्पादों की खरीद करनी चाहिए। प्रमाणित उत्पाद एक तरह से सुरक्षा की गारंटी देते हैं, इसलिए यह लेने लायक है। आपको खरीद के समय सामानों के लिए पक्का बिल लेना चाहिए और लेन-देन के समय पुरा ध्यान रखना चाहिए। वस्तु खरीदी के समय ग्राहक को मोलभाव करने का पूर्ण अधिकार है। 

क्या आप जानते हैं?

  • आप किसी भी होटल में मुफ्त पेयजल या स्वच्छतागृह का उपयोग कर सकते हैं, भले ही आपने वहां से सेवाये न खरीदी हो।
  • खुले पैसे न होने के नाम पर दुकानदार आपको चॉकलेट नहीं दे सकता। दुकानदार के पास मुद्रा का कोई अन्य विकल्प देने का अधिकार नहीं है।
  • यदि कंपनी विज्ञापन में किए गए वादे का पालन करने में विफल हैं, तो आप न केवल एक कंपनी पर दावा कर सकते हैं, बल्कि आप उत्पाद का विज्ञापन करनेवाले व्यक्ति पर भी दावा कर सकते हैं।
  • यदि अस्पताल कुछ सेवाओं के लिए आपसे भुगतान स्वीकार करता है, तो वे उन सेवाओं को प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
  • पेट्रोल पंपों पर पीने का पानी, स्वच्छता सुविधाएँ, वाहन के पहिए मे हवा की सुविधा, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स, शिकायत हेतु शिकायत रजिस्टर, या शिकायत पेटी जैसी सुविधाये ग्राहकों के लिये पूरी तरह से मुफ्त उपलब्ध होती हैं। 
        इस तरह, कई सेवाएं हर क्षेत्र में उपभोक्ताओं के अधिकार में हैं, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण उपभोक्ता को पता नही चलता है। सरकार की कई अच्छी नीतियाँ नागरिकों के लिए होती हैं, लेकिन वे समाज के हर तबके तक नहीं पहुँचती हैं, जिससे ज़रूरतमंद उन सुविधाओं से वंचित रह जाता है ग्राहक की छोटी सी अनदेखी भी व्यक्ति के जीवन को खतरे में डाल सकती है, इसलिये उपभोक्ताओं ने अपने अधिकारों के बारे में जागृक होना चाहिए तभी देश में भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और कालाबाजारी पर लगाम लगेगी और देश मे विकास को गति मिलेगी।

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

ग्राहकांनो आपला हक्क ओळखा आणि जागरूक व्हा (जागतिक ग्राहक हक्क दिन - 15 मार्च 2020) Consumers, know your rights and be aware (World Consumer Rights Day - 15 March 2020)


आज आपण आधुनिक युगात वावरतोय, प्रत्येक गोष्ट त्वरीत व सोप्या पद्धतीने मिळविणे शक्य झाले आहे. दिवसभरात आपण ग्राहक म्हणून प्रत्यक्ष व ऑनलाईन  माध्यमाने वस्तु खरेदी किंवा सेवा घेत असतो व त्याकरीता पैशे मोजतो पण त्या पैशाचा पुरेपुर मोबदला आपल्याला मिळतो का? आपली कुठे फसवणुक तर होत नाही आहे ना? आज मार्केट मधे नकली वस्तु, कमी मोजमाप, भेसळयुक्त खाद्यपदार्थ, खराब वर्तवणूक, एमआरपी पेक्षा जास्त रकम वसुली, शिक्षण, बैंक, हॉटेल, प्रवास, वैद्यकिय सेवेत व इतर अनेक प्रकारच्या क्षेत्रात नेहमीच फसवणूकीच्या समस्या उद्धभवतांनी आपल्याला दिसतात पण जागरूक सुजान नागरीक म्हणून आपण त्या फसवणूकीवर गांर्भियाने विचार करतो का? की थोडेसे संतापून निघून जातो?. इथे फक्त निरक्षरच नाही तर उच्च शिक्षित वर्ग सुद्धा मोठ्या संख्येने फसतोय आणि आता तर ऑनलाईन नेटवर्किंग द्वारे यात वाढ झाली आहे. फसवणूक फक्त पैशाचीच नसून मानसिक व शारीरिक जीवाची सुद्धा होते म्हणजेच भेसळयुक्त रासायनिक अस्वच्छ खाद्यपदार्थ मानवाला जीवघेणे आजार देतात तरीही विक्रेता या गोष्टीकडे दुर्लक्ष करून फक्त स्वताच्या थोड्याशा फायद्यापोटी ग्राहकाला मुत्यूचा दारी पोहोचवितो. आजकालच्या जाहिराती सुद्धा ग्राहकाला आर्कषीत करण्याकरता खूप वेगवेगळे मार्ग पत्करतो म्हणजे उत्पाद मानवाच्या योग्य असो वा नसो पण दर्शवायचे असे की त्या वस्तु विना जीवन व्यर्थ आहे तेव्हा अशा जाहीराती च्या देखाव्यावर लक्ष न देता वस्तु खरेदी करतांना ग्राहकाने स्वविवेक बुद्धिने विचार करावा.


ग्राहकांना संरक्षण देण्याकरता कायदे

आपण ग्राहक म्हणून जागरूक असणे खूपच गरजेचे आहे आणि ह्यासाठीच शासनाने ग्राहकांचा हक्क संरक्षणा करीता कायदे तयार केले आहेत सोबतच अनेक संस्था, परिषद, मंच/फोरम सुद्धा स्थानिक ते आंतरराष्ट्रिय स्तरावर ग्राहकांचा हक्कांसाठी काम करतात. ग्राहक संरक्षण कायदा, 1986, ग्राहक संरक्षण नियम, 1987, राज्य शासनाचे महाराष्ट्र ग्राहक संरक्षण नियम 1987, भारतीय मानक नियम ब्यूरो, 1991, ग्राहक कल्याण निधी नियम, 1992, राज्य शासनाचे महाराष्ट्र ग्राहक संरक्षण नियम 2000, ग्राहक संरक्षण विनिमय, 2005, ग्राहक संरक्षण विनिमय, 2018, ग्राहक संरक्षण कायदा, 2019 हे आहेत. वस्तु घेतांना किंमत, वस्तु निर्मितीची व समाप्तीची तारीख, अटी व नियम, वस्तु निर्मितीतील सामग्री, वजन व इतर गोष्टी काळजीपुर्वक निरखुन बघावे. प्रत्येक वस्तु स्वस्त असेल म्हणून ती निकृष्ट दर्जाचे असेल असे नसते आणि महाग असेल म्हणजे चांगलेच असेल असेही नसते याचे सर्वात चांगले उदाहरण म्हणजे जेनेरीक औषधी आहे म्हणून फक्त पैशाचा किमती वरूनच वस्तुचा दर्जा ओळखू नये.

ग्राहकांनी आपले हक्क ओळखणे खूप गरजेचे

पुष्कळदा ग्राहकांची फसवणूक झाल्यास ग्राहक आपल्या हक्कांबद्दल अनभिज्ञ असतो त्याला कळतच नाही की कशी आणि कुठून मदत घ्यावी म्हणून शासनातर्फे वेळोवेळी ग्राहकांचा जागरूकतेकरीता मोहीम राबवली जाते. शासनाने जिल्हा, राज्यीय व राष्ट्रिय पातळीवर वेगवेगळे विभाग तयार केले आहेत. देशाचा प्रत्येक जिल्हात जिल्हा ग्राहक तक्रार निवारण मंच आहेत. राज्य शासनाचे राज्य ग्राहक तक्रार निवारण आयोग, महाराष्ट्र आहे. राष्ट्रीय ग्राहक विवाद निवारण आयोग, राष्ट्रीय ग्राहक हेल्पलाईन, जागो ग्राहक जागो, कॉन्फोनेट ह्या भारत सरकारचे विभाग आहेत जे ग्राहकांचा हक्काकरीता काम करतात. यांचा वेबसाईट वर जाऊन ग्राहक आपली तक्रार ऑनलाईन सुद्धा नोंदवू शकतो, टोल फ्री क्रमांक, हेल्पलाईन नंबर, ई-मेल आयडी वर मदत मांगू शकतो किंवा त्या संबंधीत संपुर्ण माहिती घेवू शकतो. तक्रार केल्यानंतर आपण आपल्या तक्रारीचे ऑनलाईन स्टेटस बघू शकतो आणि तक्रार नोंदविणे खूपच सोपे आहे व यात वकिलाची गरज ही नसते.

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तक्रारीसाठी संपर्क कुठे करावा?

राज्य ग्राहक तक्रार निवारण आयोग, महाराष्ट्र वेबसाईटः- https://grahak.maharashtra.gov.in 

हेल्पलाईन नंबर:-  022 40293000   ई-मेल आयडी:-  mah-sforum@nic.in यावर ग्राहक संपर्क करू शकतात.

राष्ट्रीय ग्राहक विवाद निवारण आयोग, केद्र शासन वेबसाईटः- http://www.ncdrc.nic.in/ ईमेल आयडी:- ncdrc@nic.in संपर्क क्रमांक:- 01124608801. देशातील सर्व जिल्हास्तरीय ग्राहक फोरमची लिस्ट:- http://www.ncdrc.nic.in/districtlist.html या लिंकवर मिळते आणि आपण आपल्या जिल्हाच्या फोरमशी संपर्क साधू शकतो.

राष्ट्रीय ग्राहक हेल्पलाईन (भारत सरकारच्या ग्राहक व्यवहार, अन्न व सार्वजनिक वितरण मंत्रालय अंतर्गत) वेबसाईट:- http://nationalconsumerhelpline.in/  टोल फ्री क्रमांक:- 1800114000 किंवा 14404 वर संपर्क करावा याचा व्यतिरिक्त शासनाचे मोबाईल अॅप सुद्धा आहे किंवा मैसेज द्वारे सुद्धा सेवा पुरविली जाते.

जागो ग्राहक जागो वेबसाईटः-  http://www.jagograhakjago.com/ टोल फ्री क्रमांक:- 1800114424 आणि ईमेल आयडी:- jagograhakjagohelpline@gmail.com आहे.  कॉन्फोनेट (देशातील ग्राहक मंचचे संगणकीकरण आणि नेटवर्किंग):- www.cms.nic.in ऑनलाईन साईटवर ग्राहक संबंधित सर्व केसेसची अपडेट माहिती मिळते.

तक्रार कुठे दाखल करावी?

वस्तूंची किंवा सेवांची किंमत आणि नुकसानापोटी मागितलेली भरपाई.

  • 20 लाख़ांपर्यंत असल्यास संबंधित जिल्हा ग्राहक तक्रार निवारण मंच
  • 20 लाख ते 100 लाख रुपयांपर्यंत राज्य ग्राहक तक्रार निवारण आयोग.
  • 100 लाख रुपयांहून अधिक राष्ट्रिय ग्राहक तक्रार निवारण आयोग, दिल्ली.

 तक्रारीचे कारण उद्भवल्यास दोन वर्षाच्या आत तक्रार दाखल करावी लागते.

 तक्रारीचे कारण जिथे उद्भभवल्यापासून असेल किंवा विरुध्द पक्षकार जेथे व्यवसाय करीत असेल किंवा  त्याच्या शाखा ज्या ठिकाणी असतील तेथील मंचाकडे, आयोगाकडे तक्रार करता येईल.


तक्रार कशी दाखल करावी?

तक्रार दाखल करण्याची आणि दाद मिळवण्याची कार्यपद्धती अत्यंत सोपी व वेगवान आहे.

उचित मंच/आयोग यांच्याकडे ग्राहकाला आपली लेखी तक्रार आवश्यक प्रतीसह प्रत्यक्ष किंवा टपालाने पाठविता येते. तक्रार मराठी/हिंदी/इंग्रजी यापैकी कोणत्याही भाषेत करता येते. तक्रार करण्यासाठी वकिलाचा मदतीची गरज असतेच असे नाही. आता तर ऑनलाईन तक्रार सुद्धा नोंदविता येते.

ग्राहकांनी भारतीय मानक ब्युरो, एगमार्क आणि आयएसओ प्रमाणित उत्पादनं विकत घ्यावीत. प्रमाणित केलेली उत्पादनं सुरक्षेची एक प्रकारे हमी देतात, म्हणून ती घेणं योग्य ठरतं. खरेदी करतांना वस्तुचे पक्के बिल घ्यावे व व्यवहार करतांना आपले लक्ष फक्त व्यवहारावर असले पाहीजे. वस्तु घेतांना मोलभाव करण्याचा ग्राहकाला पुर्ण हक्क आहे.

आपणास माहीत आहे का?

    • सेवा न घेतल्यास सुद्धा कोणत्याही हॉटेल मध्ये मोफत पिण्याचे पाणी किंवा स्वच्छतागृहचा वापर करू शकता.
    • सुटे पैसे नाहीत म्हणून दुकानदार तुम्हाला चॉकलेट देऊ शकत नाही. चलनाला दुसरी पर्यायी वस्तू देण्याचा अधिकार दुकानदारांना नाही.
    • जाहिराती मध्ये दिलेलं वचन न पाळल्यास तुम्ही कंपनी वर दावा तर ठोकू शकतातच, पण त्याच बरोबर त्या उत्पादनाची जाहिरात करणार्या व्यक्तीवर ही दावा करू शकता.
    • जर रुग्णालयानं काही सेवा देण्यासाठी पैसे स्वीकारले असतील तर त्या सेवा देण्यास ते बांधील आहेत. जर त्यांची पूर्तता त्यांनी केली नाही तर त्यांच्यावर कारवाई होऊ शकते.
    • पेट्रोल पंपावर पिण्याचे पाणी, स्वच्छतागृह, गाडीच्या चाकात हवा, वैद्यकिय प्रथमोपचार पेटी, तक्रार करण्यास तक्रार वही किंवा तक्रार पेटी अशा सेवा ग्राहकांकरीता पुर्णपणे मोफत असतात.

अशा प्रकारे प्रत्येक क्षेत्रात अनेक सेवा-सुविधा ग्राहकांचा हक्काचे असतात पण जागरुकता नसल्याने सामान्य जनतेला ती कळतच नाही. शासनाचे खूप चांगले-चांगले धोरण नागरीकांकरीता असतात पण ते सुद्धा समाजाच्या तळ्यागळ्या पर्यंत पोहोचतच नाही ज्यामुळे गरजू व्यक्ती वंचीत राहतो. ग्राहकांची छोटी दुर्लक्षपणा सुद्धा कोणाच्या जीवावर बेतू शकते तेव्हा ग्राहकांनी आपल्या हक्काला ओळखून जागरूक व्हायलाच हवे तेव्हाच देशात भ्रष्टाचार, फसवेपणा लुबाडधंध्यांवर आळा बसेल व देश विकासाला वेग मिळेल.

डॉ. प्रितम भि. गेडाम