मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

पुस्तकालय सूचना विज्ञान क्षेत्र मे उत्पन्न नविन चुनौतियां एवं विकास के सुअवसर (विश्व पुस्तक व प्रकाशनधिकार दिन विशेष- 23 अप्रैल 2019) New challenges and opportunities for development in the field of library information science (World Book and Copyright Day Special – 23 April 2019)

पुस्तकालय का मुख्य उद्देश्य जानकारी प्राप्त करना है और इसे सीमित समय में उपयोगकर्ता के लिए उपलब्ध कराना है लेकिन समय के साथ सूचना प्राप्त करने और प्रदान करने के संसाधन भी काफी बदल गए हैं। पुस्तकालयों को इन प्रौद्योगिकियों की आवश्यकताओं और महत्व को समझने की आवश्यकता है ताकि उन्हें उपलब्धियों में परिवर्तित किया जा सके। प्रौद्योगिकी में मुख्य रूप से कैलकुलेटर प्रौद्योगिकी, संचार प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी शामिल हैं। नई प्रौद्योगिकी की मांग के समय पारंपरिक पुस्तकालयों में पुस्तकालयों और संगठनात्मक परिवर्तन के लिए कैलकुलेटर का उपयोग एक चुनौती बन गया है। पुस्तकालयों की जिम्मेदारी अब बढ़ गई है। आप अपने कला कौशल के माध्यम से गुणों को आत्मसात करके विकास के नए अवसरों में विश्व मंच पर नए आयाम स्थापित करने के लिए उत्पन्न होने वाली नई चुनौतियों को सुअवसर मे परिवर्तीत कर सकते हैं।

पुस्तकालय सूचना विज्ञान शिक्षा की चुनौतियाँ

  • अधिकांश पुस्तकालय सूचना विज्ञान महाविद्यालयों में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षण प्रणाली का अभाव है।
  • देश के विकास में पुस्तकालयध्यक्षो के भुमिकाओ की नितीनियमो की सराहना की कमी।
  • पुस्तकालय सूचना विज्ञान कार्यक्रम में मानकीकरण का अभाव।
  • पुस्तकालय सूचना विज्ञान महाविद्यालयों में उपलब्ध कम गुणवत्ता वाले तकनीकी उपकरण।
  • पुस्तकालय सूचना विज्ञान शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता शिक्षकों की कमी है। इन शिक्षकों को अद्यतित रखने की आवश्यकता है।

लाइब्रेरी प्रोफेशनल्स की चुनौतियां

  • पुस्तकालय व्यवसायीयों को सूचना के समग्र प्रबंधन में विशेषज्ञ बनने की आवश्यकता है।
  • पुस्तकालय प्रमुख को बदलते यांत्रिक वातावरण में भंडारण के विकास पर विशेष ध्यान देना होगा।
  • आज के आधुनिक समय में जब ऑनलाइन संसाधन तेजी से फैल रहे हैं, पुस्तकालय प्रमुख को विपणन प्रस्तावों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
  • लाइब्रेरी व्यवसायीयों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे तकनीकी-आधारित सूचना उपकरणों और तकनीकी युग में सेवाओं के लिए अपनी क्षमता को समझें।
  • सूचना व्यवसायीयों को विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता है ताकि वे अपने नए कार्य की स्थितियों के अर्थ को सही ढंग से समझ सकें।
  • सूचना व्यवसायीयों को अब संग्रह प्रबंधक के बजाय एक ज्ञान प्रबंधक होने की आवश्यकता है क्योंकि उनके पास सूचना प्रणाली के लिए भंडारण योजनाओं के चयन, विश्लेषण और सहायता करने का कौशल होना चाहिए।
  • आज के यांत्रीक युग में, उपयोगकर्ता की बदलती मांगों को पूरा करने के लिए, लाइब्रेरियन को व्यावसायिक विधियों, प्रौद्योगिकी और उपकरणों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

उपयोगकर्ता अपनी जानकारी की जरूरतों को पूरा करने के लिए एकदम सही और सटीक ज्ञान प्राप्त करने हेतु खोज तकनीक, प्रक्रिया, डेटाबेस गुणवत्ता, डेटाबेस विकास और डेटाबेस प्रणाली की ओर बढ़ता है, जिसके लिए उपयोगकर्ता को सूचना साक्षरता के बारे में पता होना चाहिए। पुस्तकालय सूचना विज्ञान के क्षेत्र में, उपयोगकर्ता के लिए हमेशा नवीनतम चीजों के साथ अद्यतित रहना आवश्यक है। इसके लिए यह आवश्यक है कि पुस्तकालयध्यक्ष को प्रशिक्षण कार्यक्रमों, सेमिनारों, कार्यशालाओं, कार्यशालाओं, सेमिनारों, पुस्तक प्रदर्शनियों आदि में उपयोक्ताओं की विशेष भागीदारी की व्यवस्था करनी चाहिए।

शैक्षणिक पुस्तकालय व्यावसायीको की भविष्य मे बदलती भूमिका

अद्यावत वेब प्रौद्योगिकी और ई-लर्निंग वातावरण में, लाइब्रेरियन को परिवर्तनीय भूमिका निभानी होगी ताकि वह अपने कौशल द्वारा उभरती चुनौतियों का आसानी से सामना कर सके, इसलिए पुस्तकालय में प्रौद्योगिकी कौशल, सरलीकरण, संचार, अत्याधुनिक प्रशिक्षण, प्रबंधकीय कौशल आदि का महत्व बढ़ गया है।

       नई प्रौद्योगिकियों के विकास के साथ, इसका उपयोग लगातार बढ़ रहा है। दुनिया भर में प्रौद्योगिकियों के माध्यम से मानव की पहुंच हर क्षेत्र में बढ़ी है। इसी प्रकार, पुस्तकालय तकनीक में नई तकनीकें भी तेजी से विकसित हो रही हैं यदि इन उन्नत तकनीकों का उपयोग पुस्तकालय व्यवसाय में नहीं किया जाता है, तो यह इस क्षेत्र के लिए एक चुनौती बनकर उभरेगा और हम वैश्विक स्तर पर पीछे रह जाएंगे। वैसे भी, प्रौद्योगिकी सुविधा के लिए है और उपयोगकर्ता की मांग और पूर्ति को समझने के लिए इन तकनीकों के माध्यम से लाइब्रेरियन हेतु सुअवसर है ताकि लाइब्रेरियन सभी प्रकार के विश्व स्तर के पहलुओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।पुस्तकालयध्यक्षो ने इन नई तकनीकों को चुनौतीयाॅं न समझकर आधुनिक युग के डिजिटल वातावरण में प्रगति के नए अवसरों के रूप में समझना चाहिए।

पुस्तकालय सूचना विज्ञान व्यवसायीको के क्षेत्र मे सुअवसर के लिए निम्न सुझाव एंवम सिफारिश

  • डिजिटल वातावरण में काम करने के लिए तकनीकी कौशल, यांत्रिक प्रौद्योगिकी कौशल, प्रबंधकीय कौशल और संचार कौशल हासिल करना।
  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संघों को महत्वपूर्ण प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की व्यवस्था के लिए सिफारिशें देनी चाहिए।
  • इस तकनीकी डिजिटल युग के अनुरूप अधिकतम रोजगार के अवसर प्राप्त करने के लिए पुस्तकालय सूचना विज्ञान पाठ्यक्रम का पुनर्गठन किया जाना चाहिए।
  • नए अधिनियम और एक उच्च स्तरीय प्रत्यायन समिति का गठन किया जाना चाहिए ताकि पुस्तकालय सूचना विज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त की जा सके।
  • प्रत्येक पुस्तकालय को सूचना विज्ञान महाविद्यालयों और विभागों में तकनीकी सुविधाओं को अनिवार्य करना चाहिए।
  • पुस्तकालयध्यक्षो को पुस्तकालय मे डिजिटल वातावरण के अनुसार तकनीकी कौशल और प्रौद्योगिकी को बनाए रखने के लिए हमेशा निजी कॉलेजों के संस्थापकों और प्राचार्यों द्वारा विशेष तत्परता दिखानी चाहिए।
  • निजी कॉलेजों के संस्थापकों को पुस्तकालय में आवश्यक कर्मचारियों की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उपयोगकर्ता को सही समय पर उचित सेवाएं प्रदान की जा सकें, न कि पुस्तकालय केही कर्मचारीयो को पुस्तकालय के बाहर अन्य गतिविधियों में लगाया जाए।
  • कॉलेजों और शिक्षासंस्थानों के संस्थापकों को पुस्तकालय में यांत्रिक प्रौद्योगिकी और विकास के लिए आवश्यक निधी की व्यवस्था करनी चाहिए, साथ ही गुणवत्ता के विकास के लिए यूजीसी, नॅक, एनबीए जैसे आयोगों द्वारा बनाए गए नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए।

डाॅ. प्रितम भि. गेडाम

 

सोमवार, 22 अप्रैल 2019

ही सुंदर पृथ्वी वाचेल तरच मानवाचे अस्तित्व टिकेल (जागतिक वसुंधरा दिवस विशेष - २२ एप्रिल २०१९) Only if this beautiful Earth survives will human existence survive (World Earth Day Special - 22 April 2019)


मागच्या दहा हजार वर्षात जेवढे तापमान नाही वाढले तेवढे तापमान आताच्या काही दशका मधेच वाढून गेले आहे. जर असेच चालत राहील तर तो दिवस दूर नाही जेव्हा तुमच्याकडे वाहन राहतील पण इंधन नाही, मोठी-मोठी काॅक्रीटची घरे असणार पण झाडे नाही, पैसा असणार पण अन्न-धान्य पाणी आक्सीजन नाही, आयुष्य असणार पण स्वस्थ आरोग्य नसणार, कोरड्या नदी तलाव कालवे विहीर व वने असणार पण त्यात जीवन नसणार आणी ह्याची लक्षणे देखिल आतापासूनच दिसून राहिली आहेत म्हणजे सगळीकडे पूर, दुष्काळ, ढगफोडी, त्सुनामी, डोंगर घसरने, विषारी वायु, रेडीऐशनचा धोका, गंभीर आजार, प्रदूषण, अशांती, समाजात समस्याच समस्या दृष्टिगत होणार मग पुढच्या पिढी साठी आपल्या कडून काय उरणार आहे, नंतर पृथ्वीवर मानवाचे अस्तीत्व संपले समझा.

आज शहरातून पक्षींची संख्या नाहीशी होत आहे आपल्याला साधारणपणे आपल्या आवारात आता ती सुंदर- सुंदर पक्षी आढळत नाही. पाण्याची पातळी तर ऐवढी खालावली आहे की कित्येक ठिकाणी हजार फुट बोरवेल किंवा विहीर खोदली तरीही पाणी लागतच नाही कारण पावसाचे पाणी जमीनीमधे जिरतच नाही. आपल्या राज्यात आताच कित्येक तालुके दुष्काळ ग्रस्त घोषीत केले आहेत. पाणी हे जिवन आहे एक दिवसही आपल्याला पाणी नाही मिळाले तर जनजीवन अस्त-व्यस्त होते पण जी मुके जनावरे, पक्षी जंगलात वास्तव्य करतात त्यांची भूक व तहान भागते का, याचा कधी आपण विचार करतो का?. उन्हाळ्यात नदी, तलाव, नहर व इतर पाण्याचे स्त्रोत आटत जातात आणी सगळीकडे पाणीटंचाईची समस्या उद्भवते. मोठ-मोटी वने उजाडत चालली आहे. औषधी युक्त वनस्पती व रानटी प्राण्यांची संख्या झपाट्याने घसरत आहे. जंगलांचे क्षेत्रफळ कमी होत चालले आहे.  शेत जमीन सुद्धा कमी होत आहे आणी त्या जमीनीवर कांक्रीटचे जंगल मोठ्या प्रमाणावर वाढत आहे आणी वाढत्या लोकसंख्येचा गरजा ही खूप वाढल्या आहे पण त्या मानाने निसर्ग व त्याची संपत्ती कमीच होत आहे आणी ह्या नैसर्गीक साधनसंपत्ती ला वेगाने संपविणारे सुद्धा आपणच आहोत.

मागील काही वर्षा मधे वातावरणात 100 अरब टनहून जास्त कार्बन सोडण्यात आले ज्यामुळे प्राणवायुची कमी झाली आहे. रासायनीक शेती खूपच घातक आहे भाजीपाला-फळे ही स्वास्थवर्धक राहीली नाही. ग्लोबल वार्मींगमुळे मातीची सुपीकता कमी होत आहे सोबतच शेतीच्या उत्पादकतेवर ही गंभीर परीणाम होत आहे. मानव जीवन उपयोगी सर्व साधन-सामग्री निसर्गाचा रूपाने आपल्याला मिळते पण आपण त्याचे महत्व समझूनच घेत नाही आहोत. निसर्ग मानवाची तहान-भूक भागवते, मानवाचे लोभ नाही. निसर्ग सुरक्षित असेल तरच पृथ्वीवर मानवाचे अस्तीत्व टिकून राहणार. एकीकडे किनारपट्टीवर राहणारे लोकांना पूराचा धोका आहे तर दुसरीकडे दूष्काळाचे रूप दिसून येते. लोकांमधे जीवनाच्या आवश्यक गरजेकरीता संघर्ष दिसतो, स्वच्छ पाणी सुद्धा मिळत नाही आहे त्यामुळे लोक आपली स्थायी जागा सोडून मोठ्या प्रमाणावर शहराकडे वाटचाल करीत आहेत.

आजचा युगात आर्थिक असमानता वेगाने वाढत आहे. जगात शिर्ष 300 श्रीमंत लोकांकडे ऐवढा पैसा आहे की जो 30 गरीब देशांहून जास्त आहे. आज आपण कुठेही अन्न खाद्यपदार्थ घेतांना सांगु शकत नाही की ते शुद्ध व भेसळमुक्त असेलच कारण आजकाल प्रत्येक ठिकाणी भ्रष्टाचार आणी भेसळच आढळून येते. आज जे आपल्याला प्राणवायू मिळत आहे ते ही विषारी वायुचा स्वरूपात मिळत आहे म्हणजे शुद्ध ऑक्सिजन खूपच कमी प्रमाणात आहे. प्रदूषण (हवा, जल, ध्वनी, माती), अन्न-धान्यात रासायनिक भेसळ, कोळसा तेल सारख्या खनिजांचा मोठ्या प्रमाणावर उत्खनन, वृक्षतोड, वन्य जिवांची कमी होत चालली आकडेवारी, वाढती लोकसंख्या व त्या लोकसंख्येची वाढती गरज, कचऱ्यात वाढ विशेषकरून विषारी ई-कचरा, आधुनिक जीवनशैली, ईंधनांचा अती वापर, काॅन्क्रीटचे वाढते जंगल, ग्लोबल वार्मींग, वितळत चालले हिम खंड अश्या सर्व प्रकारची समस्या पृथ्वीवर मोठ्या प्रमाणात धोका निर्माण करीत आहे.

जागतिक आरोग्य संगठनेनी जगातली सर्वात प्रदूषित 20 शहरांची क्रमवारी दर्शवली आहे ज्यात भारत देशातील 14 शहरांचा सुद्धा समावेश आहे. श्वास घेतांना मोठ्या प्रमाणावर विषारी वायु शरीरामधे प्रवेश करते. ही खूपच गंभीर बाब आहे की दरवर्षी आपल्या देशात सुमारे 24 लाख लोकसंख्या प्रदूषणामुळे मुत्यूमुखी पडते जे जागतिक स्तरावर मृतकांचा 30 टक्के इतका आहे. प्रदूषणामुळे मानवाची सरासरी वय खूप कमी होत चालली आहे. जगात कित्येक देशात ठंडीत माईनस 70 डिग्री सेल्सीयस तापमान पेक्षा जास्त तर दुसरीकडे उन्हाळ्यात 50 डिग्री पेक्षा जास्त तापमान असते हे सर्व बदल ग्लोबल वार्मींगमुळे घडत आहेत. आजकाल सगळीकडे विकास, जाती-धर्म व इतर गोष्टि संबंधी नेते बोलतात पण प्रदूषण, वनीकरण, कचऱ्यासंबंधी कोणी बोलतांना दिसत नाही फक्त एक विशेष दिवस साजरा करून सगळे नंतर विसरून जातात जेव्हा की हे जीवनावश्यक गोष्ट आहे. शहरांमधे वाढत्या प्रदूषण व दगदगीच्या जिवनाला त्रासून मानव आता तर फार्म हाउस सारख्या निसर्गरम्य पर्यावरणीय ठिकाण आरामाचे काही क्षण घालवायला शोधत आहे.

साइंस मैगजीनच्या म्हणण्या प्रमाणे मागच्यावर्षी पर्यंत पृथ्वीवर 6.3 बिलीयन टन प्लास्टीकचा कचरा होता जी खूपच गंभीर बाब आहे. आता समुद्रामधे 150 मिलीयन टन हून जास्त प्लास्टीक कचरा आहे ज्यात प्लास्टीक बोटल जास्त आहेत. एका प्लास्टीक बोटलला बायोडिग्रेड व्हायला चक्क 450 वर्षांचा कालावधी लागतो. जगात दर सेकंदाला 20 हजार पेक्षा जास्त प्लास्टीक बोटल विकल्या जातात. दरवर्षी 60 लाख हेक्टयर पेक्षा जास्त दराने वने कापली जात आहेत ज्यामुळे दरवर्षी 10-12 अरब टन प्राणवायूची कमतरता होत आहे आणि सोबतच वन्य प्राणी सुद्धा धोक्यात आहेत. रेड डाटा बुक प्रमाणे 400 पक्षी, 138 उभयचर, 305 स्तनधारी जंतु, 193 प्रकारची मासांच्ये अस्तीत्व संपण्याचा मार्गावर आहे.

समाजात कधी कुठेही वाईट बातमी आपल्याला माहिती पडली तर आपण चिंता करीत बसण्याऐवजी आपणच समाजाप्रती आपले कर्तव्य म्हणून जबाबदारी पार पाळावी म्हणजे कोणाला दोष देवून, स्वताचा मनाचे खच्चीकरण करून, मनस्ताप करून काहीही मिळत नाही तेव्हा स्वतः वैयक्तीक स्तरांवर अवलंबण्याचा निर्धार केल्यास खऱ्या अर्थाने हा वसुंधरा दिवस साजरा करता येईल.

  • पर्यावरणाचे सांभाळ सर्व नागरिकांचे कर्तव्य आहे. कुटुंबप्रमाणे पर्यावरण सुद्धा आपलेच आहे ही भावना सर्वाचा मनात असून त्याचा योग्य सांभाळ व्हायलाच हवे.
  • ग्लोबल वार्मींग यावर एकमात्र उपाय म्हणजे समृद्ध वनीकरण! सर्वप्रथम वने समृद्ध व्हायला हवी म्हणजे वृक्षतोडीवर पुर्णपणे नियंत्रण करून वनीकरणावरच लक्ष्य केद्रिंत करणे म्हणजे झाडे लावा, झाडे जगवा. वनीकरण  समृद्ध म्हणजे पाण्याचे स्त्रोत  समृद्ध, शुद्ध प्राणवायू, उत्तम आरोग्य, वने  समृद्ध पशु-पक्षांचे व जनावरांचे जीवन  समृद्ध, ग्रामिण क्षेत्र  समृद्ध, शुद्ध वातावरण, महागाई नियंत्रित, लोकांचे जीवनमान  समृद्ध व सगळीकडे सुंदर  समृद्धता आणी तोच असणार मानवाचा खरा विकास.
  • पर्यावरणाचा व निसर्गाचा सांभाळ करणे. संसाधनांचा, विजेचा, पाण्याचा, कागदाचा, ईधनांचा जपून वापर व्हायला हवे. पर्यावरण संबंधी अधिक सक्तीचे कायदे नियम बनायला हवे.
  • पर्यावरण संबंधी स्पर्धात्मक कार्यक्रम, चर्चा, पोस्टर, नाट्य, स्लोगन्स, पुस्तक प्रर्दशनी, कार्यशाळा व इतर मार्गाद्वारे समाजात जागृकता निमार्ण करता येईल.
  • प्रसार माध्यमांचा वापर विशेषकरून सोशल मिडीयाचा छान वापर जागृकतेत माहीतीचा प्रसार करण्याकरता करू शकतो.
  • स्वच्छतेचा निर्धार करणे, सौर उर्जेचा वापर, रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग, आधुनिक जिवनशैलीमधे बदल घडविणे.
  • येण्या-जाण्या करीता शक्यतो सार्वजनिक वाहनांचा वापर करावा, सायकल वापरावी व एकाच ठिकाणी जायचे असल्यास खाजगी वाहन शेयरिंग करून चालवावे.
  • युज एंड थ्रो अशा वस्तूंना नाही म्हणा, रिसायकल होणाऱ्या वस्तुंचा वापर करावा. कचऱ्यात कमतरता आणणे, इलेक्ट्रॉनिक कचरा व बायोमेडीकल कचरा मानवी आरोग्य आणी पर्यावरणाकरीता खूपच धोक्याचा आहे तेव्हा अशा कचऱ्याची पुर्णपणे योग्य विलेव्हाट व्हायलाच हवी.
  • संपुर्ण राज्यात शासनाने प्लॅस्टिक बंदी घातली आहे यात आपली ही जबाबदारी आहे की अशा नियमांचे कुठेही उल्लंघन होऊ नये व इतर शासकीय नियमांचे सक्तीने पालन व्हायलाच हवे.

 डाॅ. प्रितम भि. गेडाम